100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज
(संदर्भ : परमपूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी द्वारा 26–28 अगस्त 2025 को दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला ‘100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज’ के अंतर्गत प्रदत्त उद्बोधन।)
डॉ. हेडगेवार और संघ
"डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। बचपन से ही यह चिंगारी उनके मन में थी।“
“संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार सहित अनेक संघ के पदाधिकारी स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागी रहे हैं।“
"डॉ. साहब कोलकाता गए, मेडिकल की पढ़ाई की और अनुशीलन समिति से संबंध भी स्थापित किया। त्रिलोक्यानाथ चक्रवर्ती, रासबिहारी बोस की पुस्तकों में उनका ज़िक्र आता है। उनका कोड नाम ‘कोकेन’ था।"
“संघ का बीजारोपण वास्तव में कई वर्ष पहले हो चुका था, लेकिन 1925 की विजयादशमी के बाद उन्होंने इसकी औपचारिक घोषणा की।“
संघ का उद्देश्य : हिन्दू समाज का संगठन
“संपूर्ण समाज का संगठन। संपूर्ण हिन्दू समाज का संगठन। हिन्दू कहने से यह अर्थ नहीं है कि हिन्दू वर्सेस ऑल, ऐसा बिल्कुल नहीं है। ‘हिन्दू’ का अर्थ है ‘समावेशी’।“
“जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं तो किसी को छोड़ रहे हैं ऐसा नहीं है। संघ किसी विरोध में और प्रतिक्रिया के लिए नहीं निकला है।“
“दादाराव परमार्थ ने कहा था, “RSS is an evolution of life mission of Hindu Nation.”
“व्यक्ति निर्माण से समाज के आचरण में परिवर्तन संभव है। पहले समाज बदलना पड़ता है, तो व्यवस्था ठीक हो जाती है। हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है – इन बातों को छोड़कर संघ में सब बदल सकता है।“
“सम्पूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करने के लक्ष्य तक चलते रहना है। किस तरीके से? चार शब्दों में उसका वर्णन होता है - मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा।“
वर्तमान में संघ का विस्तार
“आज संघ कार्य सर्वदूर, सभी क्षेत्रों में पहुँचा और प्रभावी बना है। देशभर में 51740 स्थानों पर 83,129 दैनिक शाखाएं तथा अन्य 26,460 स्थानों पर 32,147 साप्ताहिक मिलनों के माध्यम से संघ कार्य का देशव्यापी विस्तार हुआ है।“
संघ और पंच-परिवर्तन
“शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन - 1. सामाजिक समरसता, 2. पर्यावरण संरक्षण, 3. कुटुम्ब प्रबोधन, 4. स्व आधारित जीवन, 5. नागरिक कर्तव्यबोध, इन विषयों पर परिवर्तन हेतु जन जागरण के प्रयास चलेंगे।“
संघ और स्वयंसेवक
“संघ में इंसेंटिव नहीं है। संघ में आओगे तो कुछ मिलेगा नहीं, जो है वह भी चला जाएगा। स्वयंसेवक इसी भाव से काम करता है - आत्मनो मोक्षार्थ, जगद हिताय च।“
“हमारे स्वयंसेवकों में समन्वय का ज्ञान है। हम मिलकर एक निर्णय लेते हैं, इसलिए मतभेद नहीं होते।“
“संघ के स्वयंसेवकों ने मुसलमानों पर कोई आक्रमण किया हो, इसका कोई सबूत नहीं है। चरखी-दादरी की विमान दुर्घटना, केरल की बाढ़ और गुजरात के भूकंप में बिना किसी भेदभाव के सबकी सहायता की गई।“
संघ और सेवा कार्य
“संघ में दो प्रकार के सेवा कार्य चलते हैं। पहला, आपदाओं के समय किया जाने वाला कार्य। जैसे - मोरबी, केदारनाथ की बाढ़ के समय; चरखी-दादरी, अहमदाबाद की विमान दुर्घटना के समय; सुमानी; और भूकंप इत्यादि परिस्थितियों में स्वयंसेवकों ने सक्रिय सेवा कार्य किए।“
“दूसरा स्थाई प्रकल्प के सेवाकार्य हैं, जिनके अंतर्गत आज संघ स्वयंसेवक समाज के सहयोग से स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कार और स्वावलंबन के विषयों पर ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में 1,29,000 सेवा कार्य व गतिविधियां चला रहे हैं। समाज परिवर्तन के इन प्रयासों में समाज का भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा है।“
संघ में महिलाओं की भूमिका
“संघ में महिलाओं की प्रभावी भूमिका है। केवल दोनों की शाखा अलग लगती है। यह शाखा राष्ट्र सेविका समिति के नाम से लगती है। महिलायें एवं पुरुष परस्पर पूरक है। संघ प्रेरित अनेक संगठनों की प्रमुख महिलायें ही हैं।“
संघ के विचार : भारत के प्रति निष्ठा
"संघ की निर्मिति का प्रयोजन भारत है, संघ के चलने का प्रयोजन भारत है, और संघ की सार्थकता भारत को विश्वगुरु बनाने में है।"
“100 साल की संघ की यात्रा हो रही है। संघ चलाने का एक उद्देश्य है - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्यों शुरू हुआ, कितनी बाधाएँ आईं, स्वयंसेवकों ने सारी परिस्थितियाँ झेलते हुए इसे क्यों आगे बढ़ाया, और आज 100 साल पूरे होने के बाद भी वह नए क्षितिजों की बात क्यों कर रहा है? इसका यदि एक वाक्य में उत्तर देना हो तो वह है - संघ की प्रार्थना के अंत में हम रोज कहते हैं : ‘भारत माता की जय।‘ अपना देश है, उस देश की जय-जयकार होनी चाहिए, उस देश को विश्व में अग्रगण्य स्थान मिलना चाहिए।“
संघ के विचार : वैश्विक परिदृश्य
“दुनिया में इतने देश हैं, विश्व पास आ गया है। यद्यपि विश्व का जीवन एक है, मानवता एक है, परंतु वह एक जैसी नहीं है। इस विविधता के अपने-अपने रंग हैं।”
“प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी तीसरे विश्वयुद्ध जैसी स्थिति आज दिखाई देती है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ (League of Nations, UN) स्थायी शांति स्थापित नहीं कर पाईं। समाधान केवल धर्म-संतुलन और भारतीय दृष्टि से संभव है।“
“भारत के अधिकाँश पड़ोसी देश पहले कभी भारत ही थे। लोग वही हैं, भौगोलिक स्थिति वही है। तो पहला कर्तव्य बनता है कि वे अपनत्व की भावना से जुड़ जाएँ।“
“देश की नीति में स्वेच्छा से अंतरराष्ट्रीय व्यवहार होना चाहिए, दबाव में नहीं। यही स्वदेशी है।“
“भारत का समय-समय पर विश्व में अवदान होना यह ईश्वरीय योजना है। उसके लायक हम सबको बनना है, अपने देश को बनाना है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसीलिए है ‘दि इवोल्यूशन ऑफ लाइफ मिशन ऑफ हिन्दू नेशन’।“
संघ के विचार : सांस्कृतिक एकता
“इस देश में हिन्दू, मुसलमान, बौद्ध आदि-आदि आपस में संघर्ष नहीं करेंगे; इसी देश में जिएँगे, इसी देश में मरेंगे।”
“विभिन्न वर्गों के बीच परस्पर संवाद और सद्भावना स्थापित करने का प्रयास।“
“संपूर्ण समाज का संगठन करता है संघ, और ये 100 साल से कर रहा है।“
“अपना स्वाभाविक धर्म क्या है? ‘समन्वय’ – संघर्ष नहीं।“
“शुद्ध सात्त्विक प्रेम अपने कार्य का आधार है, यही संघ है।“
“सर्वत्र भला हो, हमारी विचारधारा में यही है।“
“हिंदू और मुस्लिम एक ही हैं, इसलिए अलग से उनकी एकता की ज़रूरत नहीं। सिर्फ़ पूजा ही तो बदली है।“
“40,000 वर्ष पूर्व से भारत के लोगों का डीएनए एक है। हमारी संस्कृति एक है, मिलजुल कर रहने की।“
“मुस्लिम और ईसाई भी भारत से जुड़ेंगे जब उनका नेतृत्व कहे कि वे यूरोपियन या अरब नहीं हैं। वे यहीं के हैं और उनके पूर्वज भी यहीं के थे।“
“आक्रान्ताओं के नाम पर शहरों और रास्तों के नाम नहीं होने चाहिए। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए वीर अब्दुल हमीद और अब्दुल कलाम के नाम पर होने चाहिए।“
संघ के विचार : सामाजिक समरसता
“मंदिर, पानी और श्मशान – इन तीनों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।“
“जातिवाद देश की प्रगति में रुकावट है। जाति और वर्ण व्यवस्था कभी रही होगी। वह व्यवस्था अब नहीं है, अव्यवथा बन गई है। उसका अहंकार बना हुआ है। अब शोषण मुक्त और समानता वाली व्यवस्था बननी चाहिये।“
“जातिगत आरक्षण पर संवेदना से विचार करना चाहिए। दीनदयाल उपाध्याय जी ने एक दृष्टि दी है। जो नीचे है उसे ऊपर आने के लिए हाथ उठाकर कोशिश करनी चाहिए, और ऊपर जो है उसे हाथ पकड़ कर ऊपर खींचना चाहिए।“
“दुर्बल वर्ग के आरक्षण का प्रयास हम करेंगे। समाज में अपने वर्ग की उन्नति के लिए उस वर्ग की नेतृत्व क्षमता खड़ी हो—इस दिशा में हमारे प्रयास चल रहे हैं और चलते रहेंगे।“
संघ के विचार : विकास, धर्म, समाज एवं अर्थ
“जड़वाद बाधा है और चरम पर पहुँच गया। व्यक्तिवाद बाधा है और यही भी चरम पर पहुँच गया। उपभोक्तावाद और क्रूर भौतिकवाद के कारण सात सामाजिक पाप पनप रहे हैं : Work without Wealth, Pleasure without Conscience, Knowledge without Character, Commerce without Morality, Science without Humanity, Religion without Sacrifice, Politics without Principle – यह महात्मा गाँधी ने कहा था।“
“विकास के क्रम में खोजते-खोजते दुनिया ने अपने अंदर झाँकना बंद कर दिया, पर भारत ने उसे जारी रखा।“
“धर्म में कन्वर्ज़न नहीं होता। धर्म एक सत्य तत्त्व है, जिसके आधार पर सब चलता है। उसे स्वभाव कहते हैं, कर्त्तव्य कहते हैं।“
“भारत की डेस्टिनी क्या है विवेकानंद कहते थे - भारत एक धर्मप्राण देश है दुनिया को समय-समय पर धर्म देना, वह कहते थे, उसके लिए भारत को तैयार करना पड़ेगा।“
“विश्व शांति का प्रवर्तन देने वाला हिन्दू धर्म है।“
संघ के विचार : परिवार प्रबोधन
“सबसे पहले कुटुंब प्रबोधन - परिवार संस्कृति को बचाना। सप्ताह में एक बार एक साथ बैठकर भोजन, भजन, संवाद और संस्कार बनाये रखने के प्रयास करना।“
“बच्चों को संबंधों और समाज की वास्तविकता का अनुभव कराना। जैसे पेरिस ले जाने के बजाय कारगिल, झुग्गी-बस्तियाँ, या ग्रामीण जीवन दिखाना।“
“भूतकाल की जानकारी बच्चों को देना ताकि उन्हें गौरव प्राप्त हो सके।“
“तीन संतान तक की स्वीकृति होनी चाहिए, उससे अधिक नहीं।“
संघ के विचार : स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता
“आत्मनिर्भरता सब बातों की कुंजी है। अपना देश आत्मनिर्भर होना चाहिए।“
“अपनी घर की चौखट के अंदर अपनी भाषा, अपनी वेशभूषा होनी चाहिए।“
“हम आत्मनिर्भर बनें; मुक्त व्यापार हो, दबाव में नहीं – यही संघ का विचार है।
“विकसित भारत के लिए क्या करना चाहिए – देश के लिए जीना-मरना और उद्यमिता बढ़नी चाहिए।“
संघ के विचार : शिक्षा एवं भाषा
“जहाँ आवश्यक हो, अपनी भाषा के शब्दों का प्रयोग करो। ‘स्व’ के आधार पर ही प्रगति होती है।
“हमें अंग्रेज़ नहीं बनना है, लेकिन अंग्रेज़ी सीखने में कोई दिक्कत नहीं। एक भाषा के नाते इसका कोई दुष्परिणाम नहीं है। हालाँकि, रामायण महाभारत से लेकर उपनिषद तक की उच्च परंपरा है। उसे अवश्य पढ़ना जानना चाहिए।“
“इंग्लिश नोवल पढ़ने से मेरा हिंदुत्व कम नहीं होता, लेकिन उसके लिए हमारी कथाओं को नहीं छोड़ना चाहिए।“
“गुरुकुल पद्धति, शिक्षा पद्धतियों में सर्वोत्तम है।“
“भारत को जानना है तो संस्कृत पढ़ना अनिवार्य है।“
“सब जगह अपनी परम्परा, मूल्यों और संस्कृति की शिक्षा देनी चाहिए। वह धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक है।“
“व्यवहार के लिए संपर्क के लिए एक भारतीय भाषा होनी चाहिये। वह विदेशी न हो। भाषा को लेकर विवाद नहीं करना चाहिए।“
संघ के विचार : संविधान
“हर हालत में संविधान, नियम और क़ानून का पालन करना चाहिए।“
“संविधान की प्रस्तावना, नागरिक कर्त्तव्य, नागरिक अधिकार और मार्गदर्शक तत्व – इन चार विषयों की जानकारी विद्यालय के छात्रों को होनी चाहिए।“
संघ के विचार : राष्ट्रीय सुरक्षा एवं जनसँख्या असंतुलन
“[घुसपैठ का सन्दर्भ] परमिशन लेकर आना चाहिए, लेकिन विधि-विधान को एक तरफ रखकर आना गलत है। इसलिए घुसपैठ को रोकना चाहिए।“
“भारत के मुस्लिमों के रोज़गार के अवसर छीनकर घुसपैठ करने वालों को देना क्या उचित होगा।“
“जनसांख्यिकी की चिंता होती है। यह बदलती है तो इसके दुष्परिणाम होते है।“
“जनसंख्या असंतुलन के पीछे मतांतरण एक कारण है। इस्लाम में भी यह मतांतरण निषेध है, ऐसा मुस्लिम स्कॉलर कहते है।“
“अवैध लोगों को पहचानकर, सुरक्षा के नाते उनकी रिपोर्ट करना और उन्हें रोजगार नहीं देना चाहिए।“
संघ का विरोध और स्वयंसेवक
“किसी स्वयंसेवी संगठन का इतना कड़ा, कटु और लंबा विरोध नहीं हुआ, जितना संघ का हुआ।“
“उपेक्षा और विरोध के वातावरण में संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी निष्ठा के बलबूते स्वयं को दांव पर लगाकर लगातार संघ को इन सब कालखंडों से पार किया।“
संघ के बारे में चर्चा
“संघ पर जो भी चर्चा हो, वह परसेप्शन पर नहीं बल्कि फैक्ट्स पर हो।“
“संघ को आप तथ्यों के आधार पर समझें।“
“संघ के पास आकर संघ को देखिए और समझिए।“
“संघ पर हिंसक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप तथ्यहीन हैं। कोई हिंसा करने वाला संगठन 75000 स्थानों पर विस्तारित नहीं होता।“
संघ और राजनीति
“हमारा सभी सरकारों के साथ समन्वय रहता है।“
“1948 में हाथ में जलती मशाल लेकर श्री जयप्रकाश नारायण संघ कार्यालय जलाने पहुँचे, लेकिन आपातकाल के बाद वह हमारे प्रशंसक बन गए।“
भविष्य की योजना
“अगले पड़ाव का लक्ष्य : चरित्र निर्माण, देशभक्ति का जागरण, संघ के कार्य को सम्पूर्ण समाज में प्रवाहित करना।“
“भौगोलिक दृष्टि से हर जगह, समाज के सभी वर्गों में तक संघ शाखा का जाल व्यापक करना।“
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