कविता - हिंदी भारत की पहचान kvita hindi bharat ki pahchan
हिंदी की विशेषता (गायन योग्य कविता)
कोरस (हर पद के बाद दोहराएँ)
- अरविन्द सिसोदिया
9414180151
हिंदी है हम सबकी शान,
हिंदी भारत की पहचान।
आओ मिलकर सब गाएँ,
अपनी हिंदी के गुणगान॥
(प्रथम )
हिंदी है दिल की भाषा, हिंदी है मन की बोली,
जैसे सूरज की किरणें, उजियारों से भरती झोली।
सरल, सहज अभिव्यक्ति इसकी,
सबके मन को भाती है,
भारत की शान है हिंदी,
सबको राह दिखाती।
(दोहराएँ → कोरस)
(द्वितीय )
देवनागरी लिपि सुहानी, विज्ञान की इसमें ठाठी,
रेखा-रेखा में समाई, स्वर-व्यंजन की पाठ पढ़ाई,
संस्कृत है इसकी माई ,
स्वर शब्द मिलें इकजाइ
हर भाव का रंग समेटे,
हिंदी ने बहुत प्रगति पाई।
(दोहराएँ → कोरस)
(तृतीय )
तुलसी, कबीर,सूर, मीरा, रसखान प्रेम भक्ति की धारा,
प्रेमचंद की कलम ने लिखा, जन-जन का दुख सारा।
गीत, कहानी, कविता प्यारी,
सबमें हिंदी छाई,
लोकगीत और कथा भगवत में भी,
अपनी छवि दिखाई।
(दोहराएँ → कोरस)
(चतुर्थ )
सिनेमा के सुरों में गूँजे, गानों में भी तान,
इंटरनेट पर फैली हिंदी, पा रही सम्मान।
भारत की आत्मा है यह,
संस्कृति का श्रृंगार,
दुनिया में फैल रही हिंदी,
बढ़ता दिन-दिन इससे प्यार।
(दोहराएँ → कोरस)
---
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें