कविता - सत्य सनातन सृष्टि नूतन

कविता - " सत्य सनातन सृष्टि नूतन "
- अरविन्द सिसोदिया 9414180151 

जन्म,जीवन और  मृत्यु
यही सनातन और सृष्टिक्रम सत्य है,
जन्मदिन से मृत्यु और मृत्यु से नव जीवन।
यह शाश्वत यात्रा है,
जहाँ अंत ही आरम्भ है,
और आरम्भ ही अंत।

सृष्टि के सृजन से यह क्रम चलता आया,
और प्रलयँकारी समापन तक चलता रहेगा।
मनुष्य ही नहीं,
देव, दानव, ग्रह-नक्षत्र, आकाशगंगाएँ—
सब इसी बंधन में बँधे हैं।

किसी की आयु  दो दिन की,
किसी की दो अरब वर्षों की।
पर समय का प्रवाह सबको बहा ले जारहा है,
और अन्ततः रूप, नाम, स्वरूप सब बदल जाते हैं।

जो इस परिवर्तन से परे है,
जो न जन्म लेता है, न मृत्यु को जानता है,
वही ईश्वर है, वही परमेश्वर है।
वही आदि अनादि शक्ति सत्य है।

यही है ‘सनातन’
सदैव अस्तित्वमय,
सदैव नूतनता को ग्रहण करने वाला।
नित्य और नूतन का यह अद्भुत संगम,
भारतीय संस्कृति का हृदय है,
जो विश्व में कहीं और नहीं।

सनातन ही संपूर्ण का ज्ञान विज्ञान
सनातन ही ध्यान अंतरध्यान
सनातन ही कालचक्र और गति 
सनातन ही आत्मा और परमात्मा 
सनातन ही विराम अविराम 
सनातन ही पूर्णम पूर्णतः पुरनेतः
सनातन ही अनंत अविराम!
---
बहुत सुंदर कविता है 🙏
मैंने इसे उसी

सत्य सनातन सृष्टि नूतन

✍🏻 अरविन्द सिसोदिया

जन्म, जीवन और मृत्यु—
यही सनातन सत्य है,
यही सृष्टिक्रम का अटूट विधान।
जन्म से मृत्यु,
और मृत्यु से नवजीवन—
यह शाश्वत यात्रा निरंतर चलती रहती है;
जहाँ अंत ही आरम्भ है,
और आरम्भ ही अंत।

सृष्टि के सृजन से यह क्रम गतिमान है,
और प्रलयकारी समापन तक गतिमान रहेगा।
मनुष्य ही नहीं,
देव-दैत्यों से लेकर ग्रह-नक्षत्र,
आकाशगंगाओं तक—
सब इसी बंधन के जाल में गुंथे हैं।

किसी की आयु केवल दो दिवस की,
किसी की अरबों वर्षों की।
पर समय का अजेय प्रवाह
सबको बहा ले जाता है;
रूप, नाम और स्वरूप—
सब परिवर्तित हो जाते हैं।

जो इस परिवर्तन से परे है,
जो न जन्म को जानता है, न मृत्यु को—
वही ईश्वर है, वही परमेश्वर है,
वही आदि, अनादि, अक्षय शक्ति है।
वही है सनातन सत्य।

सनातन का अर्थ—
सदैव अस्तित्वमय,
और सदैव नूतनता को ग्रहण करने वाला।
नित्य और नूतन का यह अद्भुत संगम
भारतीय संस्कृति का हृदय है,
जो कहीं और नहीं।

सनातन ही ज्ञान-विज्ञान,
सनातन ही ध्यान और अंतरध्यान।
सनातन ही कालचक्र और गति,
सनातन ही आत्मा और परमात्मा।
सनातन ही विराम और अविराम,
सनातन ही पूर्णम पूर्णतः,
सनातन ही अनंत अविराम।
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