कविता - गद्दारों अब भारत छोड़ो, मक्कारों अब भारत छोड़ो!! kvita
समसामायिक कविता
गद्दारों अब भारत छोड़ो!
मक्कारों अब भारत छोड़ो!!
- अरविन्द सिसोदिया
94141-80151
बहुत हुई अब देश-विरोधी नौटंकी,
नहीं चलेगी झूठ-फरेब की होनी - अनहोनी।
भारत माँ की संतानें दे रही चेतावनी,
गद्दारों अब भारत छोड़ो!
मक्कारों अब भारत छोड़ो!!
---1---
फूट डालो-राज करो की नीति विदेशी,
जातिवाद से तोड़ रहे एकता की डोरी।
राष्ट्रविरोधी करतूत अब सहन न होगी,
झूठी अफवाहें, चालाकी मंज़ूर न होगी।
बहुत हुई अब देश-विरोधी नौटंकी,
अब नहीं चलेंगी छल प्रपंच की कहानी।
भारत माँ की संतानें गरज रही,
गद्दारों अब भारत छोड़ो!
मक्कारों अब भारत छोड़ो!!
---2---
शहीदों ने खून से मातृभूमि को सिंची है,
जन-गण-मन करता भारत माँ की आरती।
छल कपट पाखंड की आँच न झुलसा पायेगी ,
एकता के स्वरों के बनें हम सभी सारथी।
बहुत हुई अब देश-विरोधी नौटंकी,
अब न टिकेगी षड्यंत्र की चालाकी।
भारत माँ की संतानें हुँकार रही,
गद्दारों अब भारत छोड़ो!
मक्कारों अब भारत छोड़ो!!
---3---
कौन हो तुम? किसके इशारे चलते?
देश की नज़र से तुम कहाँ बच सकते?
सदियों से जीवित यह भारत महान,
तोड़ न पाओगे इसकी एकता का मान ।
बहुत हुई अब देश-विरोधी नौटंकी,
अब न चलेगा असत्य अहंकारी,
भारत माँ की संतानें करती ऐलान,
गद्दारों अब भारत छोड़ो!
मक्कारों अब भारत छोड़ो!!
---समाप्त---
लेखक -
अरविन्द सिसोदिया
बेकरी के सामने, राधाकृष्ण मंदिर रोड़,
डडवाड़ा, कोटा जंक्शन, कोटा
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