कविता...आध्यात्मिक कविता.........उठ जाग मुसाफिर ..




आध्यात्मिक कविता.........
उठ जाग  मुसाफिर ....
- मोहनलाल गालव ( ग्राम कोयला जिला बांरा, राजस्थान।)
उठ जाग मुसाफिर सोच जरा, तेरे मौत कि नौबत बाज रही।
कोई आज मरा कोई कल को मरा, कोई मरने को तैयार पडा।। 1 ।।
धन दौलत और ऐश्वर्य सब, कोई न होगा साक्षी तेरा।
जीवन साथी सब छूटेंगें, जिसका तुछकों है न,मलाल जरा।। 2 ।।
करनी धरनी सब तेरे हाथ में, व्यर्थ समय क्यों गवां रहा । 
पशु तुल्य जीवन व्यतीत कर, मानव जीवन क्यों पतित करा। 
दुखः रूपी क्रीडा स्थल में, तुम परोपकारी जीव बनों।
मन्थर गति से चलते चलते , तुम गूढ आध्यात्म प्राप्त करो।
सत्य अहिंसा मार्ग पकड तुम, कोटि - कोटी जन के परित्राण हरो।
सर्वस्व अर्पण कर ईश्वर को तुम, जीवन लक्ष्य प्राप्त करो।
जीवन मृत्यु एक रहस्य है,इसको तुम अंगीकार करो।
जीवन के दिवसों का भी तुम , शुद्ध सात्विक विचार करो।


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

मेरी कवितायें My poems - Arvind Sisodia

कविता "कोटि कोटि धन्यवाद मोदीजी,देश के उत्थान के लिए "

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

आत्मा की इच्छा पूर्ति का साधन होता है शरीर - अरविन्द सिसोदिया

वक़्फ़ पर बहस में चुप रहा गाँधी परिवार, कांग्रेस से ईसाई - मुस्लिम दोनों नाराज