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मानवीय, पारदर्शी एवं जवाबदेह चिकित्सा सेवा अधिनियम – प्रस्तावित प्रावधान (राज्यस्तरीय)

अध्याय 1 – प्रारंभिक प्रावधान

1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन

इस अधिनियम को "मानवीय, पारदर्शी एवं जवाबदेह चिकित्सा सेवा अधिनियम, 20XX" कहा जाएगा।

यह अधिनियम राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी, ट्रस्ट, चैरिटेबल और कॉर्पोरेट स्वास्थ्य संस्थानों पर लागू होगा।

2. परिभाषाएँ

"चिकित्सा संस्थान" – किसी भी प्रकार का अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर, स्वास्थ्य केंद्र या पोस्टमार्टम हाउस।

"परिजन" – मृतक/मरीज का कानूनी निकटतम संबंधी या अधिकृत प्रतिनिधि।
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अध्याय 2 – मरीज एवं परिजन के अधिकार

3. मृत शरीर सौंपने की अनिवार्यता

किसी भी स्थिति में मृत शरीर को भुगतान, औपचारिकताओं या अन्य कारणों से रोका नहीं जाएगा।

मृत्यु के समय से अधिकतम 2 घंटे के भीतर मृत शरीर परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा।

उल्लंघन पर ₹50,000 से ₹5,00,000 जुर्माना तथा न्यूनतम 6 माह का कारावास।

बकाया राशि की वसूली केवल दीवानी प्रक्रिया द्वारा।

4. पोस्टमार्टम समय-सीमा

किसी भी कारण से आवश्यक पोस्टमार्टम मृत्यु के समय से अधिकतम 6 घंटे के भीतर पूर्ण किया जाएगा।

विलंब केवल विधिक/न्यायिक आदेश या अत्यावश्यक वैज्ञानिक कारणों से ही संभव होगा, जिसकी लिखित सूचना परिजनों को देनी होगी।

उल्लंघन पर जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक व आपराधिक कार्रवाई।

5. बीमा सुविधा का सत्यापन और उपयोग

मरीज द्वारा दिए गए बीमा दस्तावेज का सत्यापन 24 घंटे के भीतर करना अनिवार्य।

बीमा उपलब्ध होने पर नकद भुगतान के लिए दबाव या झूठा इनकार दंडनीय अपराध।

दंड: ₹25,000 प्रति मामला + लाइसेंस निलंबन (बार-बार उल्लंघन पर)।

6. पूर्ण स्वास्थ्य और खर्च जानकारी का अधिकार

बीमारी, उपचार विकल्प, अनुमानित खर्च, और जोखिम की लिखित व मौखिक जानकारी मरीज/परिजन को दी जाएगी।

₹10,000 से अधिक के अतिरिक्त खर्च हेतु पूर्व लिखित सहमति अनिवार्य।

उल्लंघन पर ₹1,00,000 जुर्माना।

7. परिजन की उपस्थिति

गंभीर मरीज के साथ कम से कम एक परिजन की उपस्थिति की अनुमति (ऑपरेशन जैसी प्रक्रिया छोड़कर) अनिवार्य।

उल्लंघन पर ₹25,000 जुर्माना।

8. सम्मानजनक व्यवहार

सभी कर्मचारी और चिकित्सक मरीज/परिजन के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करेंगे।

दुर्व्यवहार या अपमानजनक टिप्पणी पर ₹50,000 जुर्माना और दोषी का निलंबन।

9. मुख्य चिकित्सक की अनिवार्य मुलाक़ात

मुख्य/वरिष्ठ चिकित्सक प्रतिदिन मरीज के परिजनों से मिलकर स्थिति एवं उपचार की जानकारी देंगे।

उल्लंघन पर ₹10,000 प्रतिदिन जुर्माना।

अध्याय 3 – पारदर्शिता और निगरानी

10. स्वतंत्र चिकित्सा एवं वित्तीय ऑडिट

सभी चिकित्सा संस्थानों का 6 माह में एक बार राज्य मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा चिकित्सा, बिलिंग और वित्तीय ऑडिट।

ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक पोर्टल पर प्रदर्शित।

11. अनावश्यक चिकित्सा पर रोक

बिना चिकित्सकीय आवश्यकता के जांच, दवा या प्रक्रिया कराने पर ₹50,000 प्रति मामला जुर्माना।

दोहराव पर पंजीयन 1 वर्ष के लिए निलंबित।

12. शव परिवहन की उचित दर

मृत शरीर को घर तक पहुंचाने हेतु राज्य सरकार द्वारा तय दर पर एंबुलेंस उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।

अतिरिक्त वसूली पर ₹20,000 जुर्माना और राशि वापसी।

13. राज्य स्तरीय हेल्पलाइन

24x7 हेल्पलाइन से शिकायत दर्ज करना और 72 घंटे में निवारण अनिवार्य।

14. जिलास्तरीय चिकित्सा एवं सतर्कता निगरानी समिति

अध्यक्ष: जिला कलेक्टर

सचिव: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

सदस्य: सांसद, विधायक, न्यूनतम 10 जनप्रतिनिधि/सामाजिक प्रतिनिधि

अधिकार: निरीक्षण, शिकायत निवारण, लाइसेंस निलंबन की अनुशंसा।
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अध्याय 4 – दंड और प्रवर्तन
15. दंडात्मक कार्रवाई

इस अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराधों की सुनवाई दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी द्वारा की जाएगी।

जुर्माने की राशि राज्य स्वास्थ्य कोष में जमा होगी और पीड़ित/परिजन को 50% क्षतिपूर्ति के रूप में लौटाई जाएगी।
16. प्रवर्तन प्राधिकरण

राज्य स्वास्थ्य विभाग और जिला निगरानी समिति संयुक्त रूप से इस अधिनियम का प्रवर्तन सुनिश्चित करेंगे।
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इस स्वरूप में यह कानून न केवल निजी बल्कि सरकारी चिकित्सा संस्थानों को भी जवाबदेह बनाएगा, पोस्टमार्टम में होने वाली देरी रोकेगा, और पूरे स्वास्थ्य ढांचे में पारदर्शिता लाएगा।
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