My Gov सदन एवं आचरण

1- संसद, विधानसभाओं और अन्य सभी सदनों के सदनों को चलाने की प्रक्रिया में यह आवश्यक होगा कि सदन में उसी व्यक्ति को निर्वाचित होकर प्रवेश का अधिकार होगा, जिसकी कम से कम दो पीढ़ियां शुद्ध भारतीय हों माता पिता और दादादादी शुद्ध भारतीय हों। उनका जन्म भारत भूमि पर ही हुआ भारतीय नागरिकों से हुआ हो।

2- सदन के सदस्यों हेतु एक शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता होगी जिसे, केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग मिल कर तय करेंगे।

3- सदनों में नैतिक आचरण अनिवार्य होगा, अनुशासन हीनता पर सदस्य निलंबित किया जा सकेगा, पूरे सत्र के लिये। यही लगातार अनुशासन हीनता होती है की जाति है तो उसे स्थाई रूप से सदन की सदस्यता से बर्खास्त कर नये चुनाव करवाये जा सकेंगे। तथा बर्खास्त सदस्य को अगले दस वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है।

4- किसी भी निर्वाचत सदस्य को बिना सबूत किसी भी प्रकार का आरोप लगाने का अधिकार नहीं होगा। क्योंकि निर्वाचित सदस्य की बात का असर होता है. अफवाह फैलाना दण्डनीय अपराध होगा।

---
प्रस्तावित विधेयक प्रारूप

“जनप्रतिनिधित्व नैतिकता और योग्यता अधिनियम, 2025”

(A Bill to ensure ethical, qualified, and culturally rooted representation in Parliament and State Legislatures)

---
धारा 1: संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ और विस्तार

1. इस अधिनियम को “जनप्रतिनिधित्व नैतिकता और योग्यता अधिनियम, 2025” कहा जाएगा।

2. यह भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में लागू होगा।

3. यह अधिनियम भारत सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित तिथि से प्रभावी होगा।

---
धारा 2: परिभाषाएँ

इस अधिनियम में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:
(a) "सदन" का अर्थ है लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाएँ तथा विधान परिषदें।
(b) "निर्वाचित सदस्य" वह व्यक्ति है जो किसी भी सदन के लिए विधिवत निर्वाचित हुआ हो।
(c) "शुद्ध भारतीय" का अभिप्राय ऐसा नागरिक है जिसकी दोनों पिछली पीढ़ियाँ (माता-पिता और दादा-दादी/नाना-नानी) भारत में जन्में भारतीय नागरिक रहे हों।
---
धारा 3: वंशानुक्रम आधारित पात्रता

1. कोई भी व्यक्ति तब तक संसद या विधानमंडलों का सदस्य बनने हेतु पात्र नहीं होगा जब तक वह यह प्रमाणित न करे कि:
(a) उसके माता-पिता तथा
(b) उसके चार में से कोई भी तीन दादा-दादी/नाना-नानी —
भारत भूमि पर जन्में तथा भारतीय नागरिक रहे हैं।


2. इसके प्रमाण हेतु आधिकारिक जन्म प्रमाणपत्र, नागरिकता दस्तावेज एवं अन्य प्रमाण निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित रूप में प्रस्तुत किए जाएंगे।

---
धारा 4: शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता

1. संसद एवं विधानमंडलों के लिए प्रत्याशी बनने हेतु न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आवश्यक होगी।

2. इस योग्यता का निर्धारण केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग की संयुक्त समिति द्वारा किया जाएगा।

3. यह योग्यता सभी राज्यों में समान रूप से लागू होगी।

---
धारा 5: नैतिक आचरण और अनुशासन

1. प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के लिए सदन में नैतिक आचरण और मर्यादा का पालन करना अनिवार्य होगा।

2. किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता पर अध्यक्ष/सभापति को यह अधिकार होगा कि वह उस सदस्य को शेष सत्र के लिए निलंबित कर सके।

3. यदि कोई सदस्य लगातार तीन सत्रों में अनुशासनहीन आचरण करता है, तो उसे स्थायी रूप से बर्खास्त किया जा सकेगा और उस क्षेत्र में पुनः चुनाव कराया जाएगा।

4. बर्खास्त सदस्य को अगले 10 वर्षों तक किसी भी जनप्रतिनिधि चुनाव में भाग लेने से वंचित किया जा सकेगा।

---
धारा 6: तथ्य-आधारित वक्तव्य की बाध्यता

1. कोई भी निर्वाचित सदस्य किसी भी व्यक्ति, संस्था या पदाधिकारी पर बिना पर्याप्त साक्ष्य के आरोप नहीं लगा सकेगा।


2. सार्वजनिक मंचों पर फैलायी गई अफवाहें या अप्रमाणित आरोप दण्डनीय अपराध माने जाएंगे।


3. दोषी पाए जाने पर उस सदस्य को सदन से अस्थायी निलंबन, क्षमायाचना एवं कानूनी कार्यवाही के अधीन किया जा सकेगा।

---
धारा 7: दण्डात्मक प्रावधान

1. इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाले सदस्य पर निम्नलिखित दण्ड लगाए जा सकते हैं:
(a) मौखिक या लिखित चेतावनी
(b) अस्थायी या स्थायी निलंबन
(c) पुनः चुनाव से वंचित करना
(d) न्यायालय में अभियोजन
---
धारा 8: नियम बनाने की शक्ति

भारत सरकार और भारत निर्वाचन आयोग को यह अधिकार होगा कि वे इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु नियमों और प्रक्रियाओं का निर्माण करें।
---
टिप्पणी:
यह मसौदा संविधान के मूल ढांचे के अनुरूप प्रस्तावित किया गया है, परंतु धारा 3 जैसे बिंदु संविधान के मौलिक अधिकारों (विशेषकर अनुच्छेद 14 - समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 - भेदभाव निषेध) से टकरा सकते हैं, अतः इसे लागू करने हेतु संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।
---



टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

भगवा आतंकवाद गढ़ने वालों पर प्रभावी कार्यवाही होनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया

मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

प्रधानमंत्री मोदीजी के आव्हान पर स्वदेशी खरीददारी का संकल्प लें - अरविन्द सिसोदिया