कविता / भजन मोक्ष परम धाम
कविता / भजन
-अरविन्द सिसोदिया
9414180151
(धुन: कोमल, सरल, भक्ति-रसयुक्त)
जन्म मरण का बंधन भारी,
आत्मा भटके,जगत संसारी ।।धृ।।
नाम जपो रे, हरि नाम जपो रे,
मोक्ष परमधाम , प्रभु चरण धरो रे,
प्रभु चरण धरो रे,प्रभु चरण धरो रे।।
----1---
मानव तन अमूल्य मिला है,
भक्ति बिना शून्य धरा है ।।
ज्ञान, ध्यान और सेवा साधो,
अहं त्यागो प्रभु शरण विराजो ।।2।।
----2---
सत्कर्म करो भई , दया करो रे,
सब में देखो, हरि स्वरूप धरो हे ।।
जग में कुछ भी अपना नहीं रे ,
सबका स्वामी प्रभु होई हे ।।3।।
----3----
जन्म मरण से पार वही ले जाये ,
शांति, प्रेम,आनंद वहीं से पाएं ।।
मोक्ष धाम है परम सुख सागर,
हरि चरणों में प्रेम की गागर ।।4।।
नाम जपो रे, हरि नाम जपो रे,
मोक्ष परमधाम , प्रभु चरण धरो रे,
प्रभु चरण धरो रे,प्रभु चरण धरो रे।।
---समाप्त ---
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