बिहार में एसआईआर का विरोध कर रहे विपक्ष की जमीनी निष्क्रियता उजागर – अरविन्द सिसोदिया Bihar SIR
बिहार में एसआईआर का विरोध कर रहे विपक्ष की जमीनी निष्क्रियता उजागर – अरविन्द सिसोदिया
कोटा, 24 अगस्त। भाजपा राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सह-संयोजक अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि " बिहार में मतदाता सूची शुद्धिकरण (एसआईआर) को लेकर संसद, सड़क और मीडिया में आसमानी तूफान खड़ा करने वाले विपक्ष का झूठ सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर बेनकाब हो गया है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने बूथ स्तर पर मतदाताओं की कोई सहायता नहीं की। राज्य के लगभग 1 लाख 60 हजार राजनीतिक दलों के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) निष्क्रिय साबित हुए हैं। उनकी ओर से मात्र 2 आवेदन ही दाखिल किए गए। इस राजनैतिक निष्क्रियता को देखते हुए वहाँ के सभी 12 पंजीकृत राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाते हुए अगली सुनवाई में शपथपत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।"
सिसोदिया ने कहा कि " चुनाव आयोग के विरुद्ध विपक्ष का हंगामा केवल चुनावी नौटंकी साबित हुआ है। वास्तव में भारत चुनाव आयोग विश्व की सबसे पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संस्था है। मतदाता सूची बनाने से लेकर परिणाम घोषित करने तक प्रत्येक कार्य में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाता है और उनकी सहमति ली जाती है। इसलिए आयोग की निष्पक्षता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता।"
उन्होंने कहा कि " मतदाता सूची में जो भी त्रुटियाँ रह जाती हैं, वे मुख्यतः स्थानीय स्तर पर राजनीतिक दलों की उदासीनता और कभी-कभी स्वयं मतदाताओं की लापरवाही के कारण होती हैं—जैसे मृतक का नाम न कटवाना, किरायेदार का स्थान परिवर्तन होने पर नाम न हटवाना, या जानबूझकर कई जगह नाम दर्ज करवाना आदि। इसके लिए सीधे चुनाव आयोग को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।"
सिसोदिया ने कहा कि "डुप्लीकेट नाम हटाने के लिए मतदाता सूची को आधार कार्ड से लिंक करना एक उपाय हो सकता है, लेकिन इसके साथ कई कानूनी और तकनीकी चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। पहला तो आधार व्यक्ति की पहचान है, नागरिकता की नहीं। दूसरा आधार डेटा के लीक होने से मतदाताओं को नुकसान भी हो सकता है। इसलिए मतदाता सूची की शुद्धता केवल जमीनी सक्रियता और जन-जागरूकता से ही सुनिश्चित की जा सकती है। इसके लिए सभी नागरिकों को सहभागी बनना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि " मतदाता सूची बनाने में कार्यरत बीएलओ, पर्यवेक्षक, एसडीएम, एडीएम, डीएम और राज्य के सीईओ मुख्यतः राज्य सरकार के अधीन रहते हैं और उनकी नीतियों का पालन करते हैं। इसी कारण कभी-कभी राजनीतिक प्रभाव से भी त्रुटियाँ रह जाती हैं। किंतु प्रत्येक स्तर पर राजनीतिक दलों को इनका विरोध करने का अवसर उपलब्ध रहता है। इसलिए कोई भी दल आयोग पर सीधे आरोप नहीं लगा सकता। "
सिसोदिया ने स्पष्ट कहा कि " न तो वोट चोरी हो रही है और न ही कोई बड़ी गड़बड़ी। बल्कि आयोग पर असली दबाव इस लिए डाला जा रहा है कि मतदाता सूची से विदेशी घुसपैठियों के नाम न हटें। यही पूरी नौटंकी चुनाव आयोग को डराने और दबाव में रखने की कोशिश है।"
अंत में सिसोदिया ने सुझाव दिया कि " चुनाव आयोग को अपनी पारदर्शी और स्पष्ट व्यवस्थाओं पर प्रति सप्ताह पत्रकार वार्ता कर जनता के सामने तथ्य और सच्चाई रखते रहना चाहिए। इससे जनमत जागरण भी होता है।"
भवदीय,
अरविन्द सिसोदिया
प्रदेश सह-संयोजक, मीडिया संपर्क विभाग
मो. 9414180151
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