महात्मा गांघी के खून तक को नीलम : बिट्रिश नैतिकता की पोल खुल गई
बिट्रिश नैतिकता की पोल खुल गई ,धन के लिए उन्होंने महात्मा गांघी के खून तक को नीलम कर दिया , ये नंगे भूखे लोग दुनिया को लूटते तो रहे , जब हर रफ से हर के घर बैठ गए तो भी नंगेपन से बाज नहीं आये...यही है इनकी असलियत .................
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भारत सरकार का निक्काम्मापन वह सारा तमाशा देखती रही ....क्या बापू ने यही सब देखने के लिए भारत को स्वतंत्र करवाया था....
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बापू के खून से सनी घास 10,000 पाउंड में नीलाम
लंदन, एजेंसीFirst Published:17-04-12
साल 1948 में जिस जगह महात्मा गांधी की हत्या हुई थी वहां की खून से सनी घास और मिट्टी मंगलवार को 10,000 पाउंड में यहां नीलाम की गई। बापू से जुड़ी जिन चीजों को आज नीलाम किया गया उनमें उनका गोल चश्मा भी शामिल था। नीलामी से पहले चश्मे को जितनी कीमत मिलने का अंदाजा लगाया गया था वह इससे दोगुनी कीमत पर बेचा गया।
चश्मे की नीलामी 34,000 पाउंड में हुई जबकि बापू के चरखे को 26,000 पाउंड की कीमत मयस्सर हुई। नीलामी घर मुलॉक्स ने इस महीने की शुरुआत में ही ऐलान कर दिया था कि वह गांधी से जुड़ी चीजों की नीलामी करने जा रहा है। मुलॉक्स के इस कदम का कई तबके में विरोध भी किया गया और नीलामी को रद्द करने की मांग की गई थी। सामान खरीदने वालों की पहचान अभी नहीं हो सकी है।
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बापू से जुड़ी वस्तुओं की नीलामी दुर्भाग्यपूर्ण : आजाद
18 Apr 2012, जम्मू।। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्मृति चिह्नों की नीलामी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। जम्मू में हुए उन्होंने कहा कि वह इन कीमती चीजों की नीलामी के पक्ष में नहीं हैं।आजाद ने कहा, 'इंग्लैंड में जो हुआ उसके बारे में मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं नीलामी के पक्ष में नहीं हूं।' उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम नहीं चाहते कि गांधीजी से जुड़ी चीजें बेची जाए। ये अनमोल स्मृति चिह्न हैं।'
वर्ष 1948 में जिस जगह गांधीजी की हत्या हुई थी वहां की, बापू के खून में भीगी चुटकी भर रेत और खून से सनी घास को लंदन में गुरुवार को एक नीलामी में 10,000 पाउंड में
बेच दिया गया।
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नीलामी का विरोध: गिरिराज किशोर ने लौटाया 'पद्मश्री', बापू की पौत्री भी भड़कीं
(18/04/2012)नई दिल्ली. महात्मा गांधी की जिस जगह हत्या हुई थी वहां उनके खून की कुछ बूंदें गिरी थीं। उस जगह से ली गई घास, मिट्टी और बापू से जुड़ी कई वस्तुएं मंगलवार को लंदन में 81 लाख रुपए में नीलाम हुई। नीलाम हुई वस्तुओं में खून लगी कुछ ब्लेड, उनका गोल रिम वाला चश्मा और हथौड़ा भी शामिल था। महात्मा गांधी की पौत्री तारा ने कहा है कि बापू से जुड़ी चीजों को नीलाम किए जाने के बजाय समुद्र में विसर्जित कर देना चाहिए था।
गांधीवादियों और कई हस्तियों ने पीएम, राष्ट्रपति को खत लिखकर इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया था, लेकिन कुछ हो नहीं सका। इसलिए अब यहां इसका विरोध तेज हो गया है। राष्ट्रपिता का सामान नीलाम होने के विरोध में गिरिराज किशोर ने पद्मश्री सम्मान वापस करने के लिए राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। प्रतिभा पाटिल को लिखे खत में किशोर ने कहा कि सरकार इस नीलामी को रोक नहीं सकी, लिहाजा अब उनके पास सम्मान लौटाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। गिरिराज किशोर ने गांधी जी के जीवन के एक हिस्से पर आधारित उपन्यास 'पहला गिरमिटिया' लिखा जिसके लिए उन्हें अपार प्रशंसा मिली।
बापू की यादगार वस्तुओं की नीलामी अपेक्षा से दोगुनी से ज्यादा दाम में हुई। मिट्टी और घास को लकड़ी के एक छोटे से बक्से में कांच लगाकर रखा गया था। इन वस्तुओं को एक पतर के साथ पीपी नांबियार ने सहेज कर रखा था। 24 सितंबर 1996 को लिखे गए इस पत्र में कहा गया, 'जिस स्थान पर 30 जनवरी, 1948 को हमारे राष्ट्रपिता एमके गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी। मैंने उसी पवित्र स्थल से मिट्टी का कुछ अवशेष और यह घास एकत्र की है।'
इस नीलामी में शामिल चश्मा बापू ने 1890 में खरीदा था। जब वे लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। यह मूल रूप से एच केनम ऑप्टिशियन, 23 एल्डेट स्ट्रीट, ग्लाउसेस्टर द्वारा तैयार किया गया था। इसमें एक नरम कपड़ा भी लगा हुआ है। चरखे के बारे में बताया गया कि यह चालू अवस्था में है।
बीबीसी के मुताबिक, गांधी जी के खून वाली घास और मिट्टी, उनका चश्मा और उनका चरखा एक भारतीय ने खरीद ली है। समझा जा रहा है कि इसे भारत सरकार को लौटा दिया जाएगा। इन चार चीजों को खरीदने वाले ने फोन पर बोली लगाई, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई गई है। नीलाम करवाने वाली संस्था मुलॉक्स के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये चीजें भारत लौट जाएंगी।
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