सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को गाया गया था राष्ट्रगान जन गण मन अधिनायक जय है jan-gan-man

 


सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को गाया गया था राष्ट्रगान जन गण मन अधिनायक जय है

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम है।

राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है। इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं,जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। इसके पूरे गान में 5 पद हैं, पहला पद राष्ट्रगान के रूप में लिया गया है।

मूल कविता के पांचों पद
जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाँथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री।
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंखध्वनि बाजे
संकटदुःखत्राता।
जनगणपथपरिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले दृ
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

विवाद
1- क्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं? यह प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिजोए एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य । ए आई आर 1980 एस सी 748 (3) नाम के एक वाद में उठाया गया। इस वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इसलिये निकाल दिया गया था क्योंकि इन्होने राष्ट्र-गान जन-गण-मन को गाने से मना कर दिया था। यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्र-गान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गाते नहीं थे। गाने के लिये उन्होंने मना कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी याचिका स्वीकार कर इन्हें स्कूल को वापस लेने को कहा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्र-गान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है। अतः इसे न गाने के लिये उस व्यक्ति को दण्डित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।

 2- ऐसा कहा जाता रहा है कि टैगोर ने इस गीत को अंग्रेज जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में लिखा था। 1939 में लिखे एक पत्र में टैगोर ने इस बात को खारिज किया था।
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भारत का राष्ट्रगान जब बजता है, तो हर कोई उसके सम्‍मान में खड़ा हो जाता है। भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन-गन-अधिनायक जय हे आज से ठीक 107 साल पहले 27 दिसंबर 1911 को कोलकत्‍ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन के गाया गया था।

इसे गाने वाली सरला जी, नोवेल पुरस्‍कार विजेता और इस राष्ट्रगान के रचयिता राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर की भांजी थीं। उन्‍होंने स्‍कूली बच्‍चों के साथ यह गान बंगाली और हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया था। उसी साल गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने इसकी रचना की थी।

रविन्द्रनाथ टैगोर ने पहले राष्ट्रगान को बंगाली में लिखा था। बाद में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के आग्रह पर आबिद अली ने इसका हिंदी और उर्दू में रूपांतरण किया था। बाद में इसकी अंग्रेजी में भी रचना की गई। यह हिंद सेना का नेशनल ऐंथम था। वहीं 24 जनवरी 1950 को आजाद भारत की संविधान सभा ने इसे अपना राष्ट्रगान घोषित किया।

 देश आजाद होने के बाद 14 अगस्त 1947 की रात पहली बार संविधान सभा का समापन इसी राष्ट्रगान के साथ किया गया। वहीं 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रगान के बारे में जानकारी मांगी गई तो महासभा को जन-गण-मन की रिकॉर्डिंग दी गई।

52 सेकेंड का समय लगता
राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है, वही इसके पहली और अंतिम पंक्ति गाने में 20 सेकेंड का समय लगता है, राष्ट्रगान को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका अनुपालन करना जरूरी होता है। अगर कोई व्यक्ति इन नियमों की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

अंग्रेजों ने गॉड सेव दि क्वीन गीत को किया था अनिवार्य
अंग्रेजों ने 1870 में अपना गीत गॉड सेव दि क्वीन गीत को गाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेजों के इस आदेश से उस वक्त के सरकारी अधिकारी बंकिमचंद्र चटर्जी काफी आहत हुए थे। इसके बाद उन्होंने 1876 में इस गीत के विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से वंदे मातरम नए गीत की रचना की थी। शुरूआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे, जो केवल संस्कृत में थे।

हमारे राष्‍ट्र गान के बारे में दिलचस्‍प तथ्‍य-


1- 24 जनवरी 1950 को आधिकारिक तौर पर इस गाने को राष्ट्रगान के तौर पर अपना लिया गया।


2- राष्ट्रगान के बोल और धुन स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आन्ध्रप्रदेश के मदनापल्ली में तैयार की 


3- बेसेन्ट थियोसोफिकल सोसायटी की प्रिंसिपल और कवि जेम्स एच. कजिन्स की पत्नी मारगैरेट ने राष्ट्रगान के अंग्रेजी अनुवाद के लिए म्यूजिकल नोटेशन्स तैयार किए थे।

4- कानून के मुताबिक राष्ट्रगान गाने के लिए किसी को बाध्य नही किया जा सकता।

5- राष्ट्रगान के नियमों का पालन नही करने व राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ  इनसल्‍ट टू नेशनल ऑनर एक्‍ट-1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई की जाती हैं।

 

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