OIC-Muslim-Summit-Pakistanआईओसी देशों के सम्मेलन का पाकिस्तानी मकसद फैल - अरविन्द सिसौदिया
आईओसी देशों के सम्मेलन का पाकिस्तानी मकसद फैल - अरविन्द सिसौदिया
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की मदद के बहानें मुस्लिम देशों का नेतृत्व करने की जो योजना बनाई है। उसका मकसद न तो अफगानिस्तान की मदद है और न ही तालिबान को कोई ठोस सहयोग है। बल्कि वह इस ओट से अपने आप की मदद करना चाहता है। वह विश्व के गैर मुस्लिम देशों को यह संदेश देना चाहता था कि उसका मुस्लिम देशों पर बर्चस्व है। आतंकवाद उसकी जेब में है। जो उसको महत्व नहीं देगा वह अंजाम भुगतेगा। कुल मिला कर वह जबरिया तालिवान का बाप बनने की कोशिश कर रहा है। उसका मकसद तालिवान हुकुमत पर अपना बर्चस्व दिखाना और उससे स्वहित साधना मात्र है।
महासम्मेलन हो गया पाकिस्तान में इसकी किरकिरी हो रही है। क्यों कि जो तब्बजो मिलना चाहिये थी, वह नहीं मिली है। यह मात्र औपचारिक हो कर ही रह गया है। वहीं भारत ने भी उसी दिन अफगानिस्तान के 5 पडौसी देशों को नई दिल्ली में बुला कर , इस सम्मेलन की मानों हवा निकाल दी । कुल मिला कर पाकिस्तान इस सम्मेलन के द्वारा जो दादागिरी दिखाना चाहता था । उसमें वह विफल हुआ है।
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आई ओ सी देशों की पाकिस्तान मीटिंग विफल
पाकिस्तान ने रविवार को इस्लामिक सहयोग संगठन की मीटिंग बुलाई थी और इसमें कुल 57 मुस्लिम देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस बैठक में सिर्फ 20 देशों के नेता ही पहुंचे। इसके अलावा कुछ अन्य देशों ने अपने राजदूतों को ही भेजा।
इसे लेकर पाकिस्तान में ही इमरान खान घिर गए हैं और उनकी विदेश नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल 19 दिसंबर को ही भारत ने भी 5 देशों की मीटिंग अफगानिस्तान को लेकर बुलाई थी। इस बैठक में उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाखस्तान, तुर्किमेनिस्तान और किर्गिस्तान के विदेश मंत्री आए थे। इन सभी 5 इस्लामिक देशों की सीमाएं अफगानिस्तान से लगती हैं और उनकी भूमिका अशांत देश में पैदा हालातों को नियंत्रित करने के लिए अहम मानी जा रही है।
सऊदी अरब (Saudi Arabia ) के प्रस्ताव पर बुलाए गए इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) के 17वें विशेष सत्र की मेजबानी पाकिस्तान (Pakistan) कर रहा है। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति को दुनिया के सामने लाना है।
उसी दिन भारत में मौजूद रहे 5 इस्लामिक देशों के नेता
रविवार को भले ही इस्लामाबाद और दिल्ली में अलग-अलग बैठकें हो रही थीं, लेकिन विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि भारत की इस रणनीति से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। दरअसल पाकिस्तान बीते कई सालों से तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर इस्लामिक देशों की लीडरशिप स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन महज 20 देशों के नेताओं का ही पहुंचना उसके लिए झटका था। यही नहीं उन 57 देशों में से 5 के नेता तो दिल्ली में ही मौजूद थे। इस्लामिक देशों के नेताओं का इस्लामाबाद की बजाय दिल्ली आना पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है।
कश्मीर पर मांगी इस्लामिक देशों से मदद, पर फिर झटका
इस्लामिक सहयोग संगठन की मीटिंग में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए ट्रस्ट फंड बनाने पर सहमति बनी है। यही नहीं पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने एक बार फिर से कश्मीर के मुद्दे को इस्लाम से जोड़ते हुए सदस्य देशों से एकजुटता की अपील की। हालांकि इस पर भी किसी अन्य देश की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा, 'फलीस्तीन और कश्मीर के लोग इस्लामिक दुनिया से एकजुटता के साथ प्रतिक्रिया चाहते हैं।' पाक पीएम ने कहा कि इस्लामिक सहयोग संगठन को दुनिया को इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में बताने के लिए एकजुट होना चाहिए।
पाकिस्तानी मीडिया में साधा जा रहा इमरान खान पर निशाना
पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार कमर चीमा ने OIC मीटिंग में कम देशों के पहुंचने पर इमरान खान सरकार पर निशाना साधा है। चीमा ने कहा कि पिछले महीने सेंट्रल एशियाई देशों के NSA भी दिल्ली आए थे। इसके बाद
भारत ने 26 जनवरी 2022 को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता दिया। अब इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट हुई है। कुल मिलाकर भारत ने अफगानिस्तान में अपनी गहरी पैठ फिर बना ली है। जयशंकर और अजीत डोभाल की डिप्लोमेसी की तारीफ करनी होगी। यह पाकिस्तान की हार है। भारत ने एक झटके में इमरान और विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी की मेहनत को नाकाम कर दिया।
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