cds-vipin-ravat: शत्रुओं के लिये महाकाल थे जनरल विपिन रावत
जनरल विपिन रावत ,
शत्रुओं के लिये महाकाल का नाम था । भारत की सेनाओं ने तो यूं तो हमेशा ही शत्रुओं के दांत खट्टे किये है। किन्तु विपिन रावत ने राजनैतिक ताकतों को विश्वास में लेते हुये दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारनें की महारत हांसिल करली थी। विपिन रावत के दिमाग में वह सब कुछ इतना फास्ट चलता था जिसकी कल्पना शत्रु बहुत बाद में कर पाता था । इसीलिये उन्होनें ढाई मोर्चा शत्रुओं के नाम से घोषणा की थी। जो पाकिस्तान और चीन के साथ - साथ जम्मू और कश्मीर में चलने वाले शत्रु प्रेरित आंतरिक आतंकवादियों से भी दो - दो हाथ करनें में समर्थ थे। जो कश्मीरी के राजनेता कहते थे खून की नदियां बह जायेंगी और कश्मीर जल उठेगा, 370 समाप्ती के बाद वहां चूं तक नहीं हुई। इसमें जनरल रावत की बडी रणनीति थी। भारत ने बिना बडे युद्ध किये शत्रु को उसके घर में घुस कर मारने के सफल अभियानों में जनरल रावत के नेतृत्व में ही काम करना प्रारम्भ किया और सफलतपूर्वक अंजात भी दिये। इसलिये जनरल रावत विश्व के सबसे तेजतर्रार सेनानायकों में से एक मानें गये। इसी कारण उनके निधन पर संयुक्त राष्ट्र संघ , विश्व की तमाम महाशक्तियों एवं शत्रु राष्ट्रों उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की है। भारत के महामहिम राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,रक्षामंत्री ने उनके पार्थिव शरीर पर दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे और नमन किया तथा श्रृद्धांजली अर्पित की ।
सेना के हेलीकाफ्टर के दुर्घटनाग्रस्त होनें पर, निश्चित ही कई प्रश्न जेहन में है। मगर यह भी उतना ही सत्य है कि जिस जगह दुर्घटना हुई वह भी दुर्दान्त जंगली जगह ही थी। नीचे उडना वास्तव में ही खतरे से भरा रहा होगा। खैर दुर्घटना हुई तो भी गंभीरता से विचार योग्य है और शत्रु की खुफिया कार्यवाही थी तो भी गंभीर विचार योग्य है। सबसे मुख्यबात यह है कि इस तरह के पदों की सुरक्षा व्यवस्था एवं आवगमन में सौ प्रतिशत सुरक्षा की सुनिश्चितता होनी ही चाहिये। मौसम खराब था तो आगे नहीं बड करके लौटना चाहिये था। खैर जो भी रहा होगा वह असामान्य ही रहा होगा। वो मौसम हो या कुछ ओर...देश इस समय सर्वश्रैष्ठ नेतृत्व के अधीन है और वहां हमशे ज्यादा सोचा जा रहा होगा।
जनरल रावत आधुनिक युद्ध पद्यतियों के ज्ञाता थे , उन्होने देश की महान सेवा के साथ साथ, सैन्य आधुनिकीकरण के क्षैत्र में असीम योगदान दिया है। उनका ज्ञान और मार्गदर्शन हमारी सैन्यशक्ति का हमेशा ही मार्गदर्शन करता रहेगा।
हम देश को इतना ही बताना चाहते हैं कि जनरल विपिन रावत के साहस और शौर्य को एक एक देशवासी अंगीकृत करता है और संकल्प लेता है कि हम अपने अपने क्षेत्र में जनरल रावत जैसे साहस के साथ ही जीवन जियेगें। यही उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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Mi-17 V-5 हेलीकॉप्टर को बहुत सुरक्षित माना जाता है। इसलिए इसे पीएम समेत अन्य वीवीआईपी यूज करते हैं। इसमें डबल इंजन होता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि यदि यह हेलीकॉप्टर इतना सुरक्षित है तो आखिर यह हादसा कैसे हो गया। क्या इस हादसे की वजह तकनीकी गड़बड़ी है या कुछ और। वहीं, जानकारों का मानना है कि कुन्नूर में हुए इस हादसे की वजह कोहरा और सही दृश्यता नहीं होना हो सकती है। जानकारों का कहना है कि इसमें तकनीकी गड़बड़ी का आशंका बहुत कम है। हालांकि, दुर्घटना के जांच के असली कारणों का पता भारतीय वायुसेना की तरफ से की जा रही कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद ही आएगा। हेलिकॉप्टर के अवशेषों की आगे की फोरेंसिक जांच से यह भी पता चल सकता है कि क्या दुर्घटना के बाहरी कारण थे। इसके अलावा, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, वेलिंगटन, तमिलनाडु में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में डायरेक्टिंग स्टाफ भी उड़ान के बारे में सीधे जानकारी दे सकते हैं।
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“हम ढाई मोर्चों पर लड़ रहे हैं”
जनरल बिपिन रावत ने एक बार कहा था “हम ढाई मोर्चों पर लड़ रहे हैं”.
कल दुर्घटना में उनके दुःखद निधन के बाद खुश होते कुछ निकृष्टतम लोगों को देखकर उनकी यह बात याद आ गई..!
बाकी के दो मोर्चे तो हमारे वीर सैनिक संभाल रहे हैं और संभालते रहेंगे. लेकिन बचा हुआ आधा मोर्चा हम जैसे सामान्य नागरिकों को ही संभालना है..!
जनरल रावत और उनके जैसे तमाम वीर सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम ये आधा मोर्चा संभालकर उनकी मृत्यु पर हंसने वाले इन मनोरोगी दानवों को करारा जवाब दें….
दूसरी बात, जनरल रावत या पुलवामा पर खुश होकर तुम बार-बार सिद्ध कर देते हो कि तुम हमारे जैसे नहीं, हमारे बीच के नहीं, हमारे अपने नहीं….!
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