असंभव मांगों से जारी रहेगा किसान आन्दोलन,ताकि इलेक्शन पकडा जा सकेkisan-andolan-toolkit

 

kisan-andolan-toolkit

भाजपा के खिलाफ कभी राजस्थान में बडी कौम गुर्जर को सामनें रख कर आन्दोलन चला, पटरियां उखाडीं गई, राज बदल गया आन्दोलन खत्म हो गया। आन्दोलन करने वाला तक चुनाव हार गया। यही प्रयोग भाजपा के खिलाफ गुजरात में पटेल समाज को आगे रख कर किया गया, गुजरात भाजपा बचा ले गई, मगर उसे बहुत मसक्कत करनी पडी। जाट समाज को आगे करके यही सब हरियाणा में हुआ, सरकार ने बहूमत गंवा दिया , समझौते से सरकार बनीं।

   हिन्दूओं की किसी मजबूत कौम को किसी आन्दोलन के नाम पर एक जुट करना और हिन्दू समाज को विभाजित कर भाजपा को नुकसान पहुचानें का वर्तमान प्रयोग / एपीसोट किसान आन्दोलन है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के बाद, कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर जी ने भी किसानों से घर वापसी का आग्रह किया है। किन्तु यह कथित किसान संगठन कुछ इस तरह की मांगे लायेगें, जो पूरे नहीं हो सकें,जिन पर बार बार विवाद खडा किया जा सके और चुनाव तक इसे बनाये रखा जा सके। 

  जो पंजाब और यूपी चुनाव 2022 एवं लोकसभा चुनाव 2024 के लिये रचा गया है। क्यों कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहीं पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इन प्रदेशों में चुनाव होनें है। अन्दर ही अन्दर पैक्ट भी हो चुके है। बाहर कुछ भी कहा जाये मगर सपा पंजाब में चुनाव नहीं लडेगी और कांग्रेस यूपी में चुनाव नहीं लडेगी, ऐसा प्रतीत हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई मुद्दा किसान आन्दोलन के लिये छोडा ही नहीं । किन्तु उसे अब लम्बा कैसे खींचा जाये, इस हेतु असंभव मांगों के द्वारा, इसे जारी रखा जायेगा ताकि इलेक्शन 2022 और 2024 का पकडा जा सके। इसी रणनीति पर टूलकिट काम कर रहा है। पीछे कौन हैं सब जानते है। किसान का नाम और राजनीति और लक्ष्य चुनाव है। क्यों कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहीं पंजाब में कांग्रेस की सरकार है।

शनिवार 4 दिस्मबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार से एमएसपी से बात करने के लिए कमेटी ने पांच नाम फाइनल कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि किसान संगठन के सभी नेताओं ने बैठक कर यह नाम तय किए हैं। मगर खबर यह भी आ रही है कि ज्यादातर पंजाब के संगठन आये ही नहीं है। 

 

 कथित किसानों की केन्द्रीय कृषि मंत्री से बातचीत के तमाशे पहले भी देखे हैं। ये सभी मिल कर सरकार से एमएसपी पर बात करेंगे। अब नई नौटंकी क्या होगी, इसका इंतजार है।


फिलहाल इस कमेटी में :-
1-अशोक डाल्वे,
2-शिवकुमार कक्का,
3-गुरनाम सिंह चढूनी,
4-युद्धवीर सिंह और
5-बलबीर सिंह राजेवाल

हलांकी इन पांच नामों में रोकश टिकैत का नाम क्यों नहीं है। यह रणनीति भी हो कसती और आने वाले समय की फूट भी हो सकती है।

आज की बैठक के बाद प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे, तब तक किसान आंदोलन वापस लेने के बारे में सोच भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून, किसानों को मुआवजा, शहीद किसानों के स्मारक के लिए जमीन, लखीमपुर खीरी मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग पूरी होने तक किसान सभी मोर्चों पर डटे रहेंगे। इसके अलावा सरकारों से बातचीत के लिए हर राज्य में कमेटियों का गठन किया गया है। अगली बैठक 7 दिसम्बर को होगी ।

----------

ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से चर्चा में आया टूलकिट
टूलकिट की शुरुआत चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunbergs) के ट्वीट से हुई. किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा थनबर्ग ने एक ट्वीट किया और एक टूलकिट (toolkit) नाम का एक डॉक्यूमेंट शेयर किया. जिसे देखकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा लगा. ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट किया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया. ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गई इस टूलकिट में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई है.

इस टूलकिट में स्पष्ट शब्दों में समझाया गया है कि आखिरकार कैसे भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारें जरूरी अपडेट लेने हैं? अगर कोई यूजर किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन सा हैशटैग लगाना हैं? अगर कोई दिक्कत आए तो किन लोगों से बात करनी है? ट्वीट करते वक्त क्या करना जरूरी है? क्या करने से बचना है? ये सारी बातें इस टूलकिट में मौजूद हैं. अब जानते हैं टूलकिट के बारे में…

क्या है टूलकिट?
टूलकिट का पहली बार जिक्र तब हुआ था जब अमेरिका में ब्लैक लाइफ मैटर नाम का आंदोलन शुरू हुआ था. अमेरिकी पुलिस द्वारा एक अश्वेत की हत्या किए जाने के बाद इस आंदोलन ने जन्म लिया, जिसे पूरे दुनिया का समर्थन मिला. अमेरिका में इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले लोगों ने एक टूलकिट तैयार की थी. इसमें आंदोलन में हिस्सा कैसे लिया जाए, किस जगह पर जाया जाए, पुलिस एक्शन पर क्या करें? कौन से हैशटैग का इस्तेमाल करें जिससे ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे समेत कई बातों का जिक्र किया गया था.

स्पष्ट है कि टूलकिट वह डिजिटल हथियार है जो सोशल मीडिया पर एक बड़े वर्ग पर किसी आंदोलन को हवा देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसमें जोड़ने के लिए किया जाता है. टूलकिट में वो सभी चीजें मौजूद होती हैं, जो लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है ताकि आंदोलन भी बढ़े और किसी तरह की कोई बड़ी कार्रवाई भी न हो सके.


 

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

रामसेतु (Ram - setu) 17.5 लाख वर्ष पूर्व

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

हम ईश्वर के खिलोने हैँ वह खेल रहा है - अरविन्द सिसोदिया hm ishwar ke khilone

माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है mata pita ishwr ke saman

हमारा शरीर, ईश्वर की परम श्रेष्ठ वैज्ञानिकता का प्रमाण