मंहगी चुनाव प्रक्रिया से बाहर निकले भारत - अरविन्द सिसौदिया costly-electoral-process

 

मंहगी चुनाव प्रक्रिया से बाहर निकले भारत - अरविन्द सिसौदिया

मंहगी चुनाव प्रक्रिया से बाहर निकले भारत - अरविन्द सिसौदिया 

India should get out of expensive election process

- Arvind Sisodia

costly electoral process
expensive election  

Arvind Sisodia.2



उत्तरप्रदेश चुनाव के ठीक पूर्व कथित तौर पर समाजवादी पार्टी से जुडाव रखनें वाले इत्र व्यापारी के पास से सैंकडों करोड की नगदी बरामद हुई है। इसे चुनाव से जोड कर देखा जा रहा है। स्वाभाविक है कि वर्तमान चुनाव पद्यती में  चुनाव आयोग की दी गई चुनाव खर्च की सीमा में बहुत मामूली चुनावी काम काज हो पाते हैं। सामान्यतौर पर 95 प्रतिशत चुनावी खर्च कालेधन सें ही होता है। पार्टी की तरफ से भी चुनाव प्रबंधनकर्ता नगद लाखों रूपये चार पांच किस्तों में प्रत्याशीयों को भेजते हैं। चुनाव का खर्च सुरसा के मुंह की तरह प्रतिदिन बडता है और उस खर्च को करना ही पडता है।

यह भी सच है कि कार्यकर्ताओं को बहुत कम मिलता है या नहीं मिलता है। किन्तु ईमानदार से ईमानदार व्यक्ति भी इस अवसर पर बहानें बाजी के द्वारा मोटी से मोटी रकम चाहता है। कई जगह तो विज्ञप्ति तक साईज के आकार पर आ जाती है, एक एक शब्द के पैसे लगते हैं।

एक विधायक मामूलीतौर पर भी तीन चार करोड खर्च करता है,मजबूरी भी है। इसका बहूत बडा कारण चुनाव प्रक्रिया भी है। जो वर्तमान के साथ जीना नहीं चाहती। नया जमाना नई टेक्नोलोजी आ चुकी है नये कानूनों और नई प्रक्रिया की जरूरत है।

कुछ ठोस बदलावों के द्वारा इसे काफी कम किया जा सकता है । जैसे कि :-

1-चुनाव की घोषणा प्रथम मतदान से 45 दिन पूर्व होगी। तथा उसी दिन से सरकार अधिकार विहीन हो जायेगी, कुछ सरकारी सुविधायें भी समाप्त हो जायेंगी। इस दौरान महामहिम राज्यपाल,मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं चुनाव आयोग का पर्यवेक्षक कुल पांच सदस्यीय टोली सरकार के रूप में संयुक्त रूप से निर्णय ले सकेगी, चुनाव आयोग के द्वारा किसी अन्य प्रांत से मुख्य सचिव या पूर्व मुख्य सचिव स्तर का व्यक्ति चुनाव पर्यवेक्षक लगाया जायेगा।  मुख्य शासन सचिव इसके सचिव होंगे।
2-चुनाव प्रदेशस्तर पर 20 लोकसभा क्षेत्र के प्रांतों में एक चरण में  ही, इससे अधिक लोकसभा क्षेत्रों के प्रांतो में अधिकतम दो चरण में और राष्ट्रीयस्तर पर अधिकतम तीन चरण पर्याप्त है। किसी भी चरण में तीन दिन से अधिक का अंतर नहीं होगा।
3- कोई भी व्यक्ति एवं दल किसी भी सूरत में नामांकन भरनें से पहले प्रत्याशी घोषित नहीं करेगा। यदि वह नामांकन से पहले किसी को घोषित करता है तो उसका पर्चा निरस्त माना जायेगा। यह चुनाव में न्यूनतम खर्च की दृष्टि से अनिवार्य है। एक राजनैतिक दल अधिकतम दो व्यक्तियों का नामांकन भरवा सकेगी । जिसमें सूची का प्रथम नाम अधिकृति प्रत्याशी होगा, किन्ही कारणों से यदी अधिकृत प्रत्याशी का नाम निरस्त हो जाता है तो दूसरा नाम वैकल्पिक होगा।
4- चुनाव लडने वाले प्रत्याशी को मात्र चुनाव प्रचार की अनुमति दी जायेगी। रैली, बैनर, पोस्टर, विज्ञापन जैसे मंहगें खर्चे वाले सभी कार्य प्रतिबंधित होंगे। प्रत्याशी क्षेत्र में काम करने वाला होगा तो उसे चुनाव में अतिरिक्त प्रचार की आवश्यकता ही नहीं है। राजनैतिक दल जिला केन्द्र पर एक एवं संभाग केन्द्र पर दो,अधिकतम आम सभायें कर सकेंगे। मतदान के दिन से दो दिन पूर्व तक ही आम सभा की जा सकेगी।
5- नाम भरने के लिये एक दिन पर्याप्त है, सुबह 10 बजे से अपराहन 3 बजे तक। दूसरे दिन आपत्ती और जांच,नामों की अंतिम सूची, तीसरे दिन नाम वापसी एवं चुनाव चिन्ह आबंटन एक दिन में ही हो सकता है। जांच के दौरान यह ध्यान रखा जायेगा कि नामांकन बहुत बडी बात होनें पर ही निरस्त किया जाये। किन्तु आपराधिक रिकार्ड वालों को कानून बनाने वाले सदनों में कैसे प्रवेश दिया जा सकता है ? उन पर तो रोक होनी ही चाहिये। नामांकनकर्ता के बारे में पुलिस थाना एवं स्थानीय बीएलओ को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से सही जानकारी देनी होगी। आपत्ती का अधिकार आम जनता एवं सरकारी प्रशासन को भी होगा।
6- प्रशासन के बीएलओ प्रत्याशीयों की अंतिम सूची घोषित होनें के बाद प्रत्येक मतदाता को उनके मतदान केन्द्र एवं  मतदाता सूची में नाम एवं क्रमांक के साथ मतदान हेतु आमत्रण पत्र सापोंगे तथा वे प्रत्येक प्रत्याशी का जीवन परिचय,आपराधिक रिकार्ड, सम्पैतिक रिकार्ड एवं चुनावी घोषणाओं वाले एक ए-4 के कागज पर जानकारी वाला पत्रक भी सभी मतदाता परिवारों के धरों में पहुचायेगें।
7- कोई भी दल एवं कोई भी प्रत्याशी प्रलोभन वाली कोई भी बात नहीं कह सकेंगे। किसानों को कर्ज माफी की बात कहना प्रलोभन है। आप अपने पार्टी कार्यक्रमों में जो भी कहेंगे वह तथ्यातम होगा । हवा हवाई नहीं ।
8- प्रत्येक प्रत्याशी को और पार्टी को अपना चुनावी वायदों का घोषणा पत्र कोई है तो वह लीपीबद्ध स्वरूप में मय शपथ पत्र के नामांकन के साथ जमा करवाना होगा। उसकी आपूर्ती नहीं होनें पर प्रत्याशी स्वतः अगामी आजीवन चुनाव हेतु अयोग्य हो जायेगा।
9- चुनाव चिन्ह मिलने के अगले दिन से सात दिन विधायक को और 15 दिन लोकसभा सांसद को चुनाव प्रचार हेतु पर्याप्त है। चुनाव प्रचार की डोर टू डोर जानें की ही अनुमति होगी। इसमें भी प्रत्याशी को अपने साथ अधिकतम दस व्यक्ति रखनें एवं दो वाहन रखनें की अनुमति होगी। प्रत्याशीयों के पक्ष में डोर टू डोर जानें वाले कार्यकर्ताओं पर यह पावंदी होगी कि वे सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक ही प्रचार करें। आम जन को अनावश्यक परेशान किया जाना औचित्यहीन है।
10- राजनैतिक दलों को प्रत्याशी को अधिकृत सिम्बल आबंटन के साथ प्रत्याशी की पार्टी में कम से कम दो वर्ष पूर्व से पार्टी कार्यकर्ता होनें तथा किसी भी प्रकार के पद पर कार्य करनें का विश्वसनीय प्रमाणपत्र देना होगा । राजनैतिक दल अपने ही दल के कार्यकर्ताओं के साथ धोकाधडी करती है, यह ठीक नहीं । दूसरे दलों में तोड फोड भी ठीक नहीं। किसी का हदय परिवर्तन हुआ है तो वह उस दल में काम करे आगे भाग्य अजमाये। निर्वाचन अधिकारी को प्रतीत होता है कि प्रत्याशी चयन में गडबड है तो वह राजनैतिक दल से नया नाम भी मांग सकता है। 

11- मतदाता को मतदान करना अनिवार्य है। किसी वाजिव कारण से मतदान नहीं कर पायेगा तो उसे यह सूचना पहले देनी होगी। जो मतदाता मतदान नहीं करेगा उसे पहलीबार 20 हजार रूपये जुर्माना भरना होगा। दूसरी बार चूक पर तीन माह की जेल तक हो सकती है। एक दिन पूर्व विकलांग एवं वरिष्ठ नागरिकों से बिना दवाब एवं गोपनीयता से बीएओ आन लाईन मतदान डोर टू डोर पहुंच कर भी करवा सकेगे, इस तरह की मशीन डबल सिक्योर होगी। देश की व्यवस्थाओं में जिम्मेवारी से भागेदारी निभाना प्रत्येक देशवासी को अनिवार्य एवं आवश्यक है।

12- अंतिम मतदान के तीसरे दिन मतगणना होनी ही चाहिये।
13- परिणाम आने के तीन दिन के अंदर सदन में शपथ हो जानी चाहिये।
14- सदन में शपथ पूरी होनें के तीन दिन के अन्दर सदन के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री के चुनाव होना चाहिये। इसमें एक दिन नामांकन दस प्रतिशत सदस्यों के प्रस्तावक बनने के साथ , नाम वापसी एवं अंतिम प्रत्याशी सूची का प्रकाशन तथा दूसरे दिन 11 से 2 के मध्य मतदान, परिणाम घोषणा एवं पदासीन करवाया जाना हो जाना चाहिये। जो इस चुनाव में विजयी हो उसके बहूमत पर अगले दो साल तक कोई विचार / अविश्वास नहीं।
15- जो विजयी व्यक्ति अपने पद से त्यागपत्र देता है तो उसे किसी भी सूरत में किसी भी तरह का चुनाव, त्यागपत्र की तिथि से अगले 6 वर्ष तक चुनाव लडने की अनुमती नहीं होगी। तथा उस क्षैत्र में पुनः चुनाव करवाये जानें का पूरा खर्च भी त्यागपत्र देनें वाले सदस्य से वसूला जायेगा। किसी भी राजनैतिक दल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडा व्यक्ति , किसी भी दूसरी पार्टी में प्रवेश नहीं कर सकता । उसे किसी अन्य दल में जाना है तो उसे सिम्बल देनें वाली पार्टी से धोका करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वह पहले त्यागपत्र दे, 6 साल इंतजार करे फिर जहां चाहे जाये।
16- लोकतंत्र जनता के प्रति जबावदेह है। किसी राजनैतिक दल के लिये नहीं। आम व्यक्ति भी चुनाव लड सके इस तरह की स्थिती का निर्माण करना ही संविधान की सर्वोच्चता है।

यह सच है कि ये बातें स्वप्निल हैं, संविधान संसोधन से लेकर बडी इच्छाशक्ति की जरूरत है। किन्तु राजनैतिक सुचिता के लिये धीरे धीरे इन सुधरों पर आना ही पडेगा।
  

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