पाकिस्तान,जबरिया तालिवान का बाप बनने की कोशिश OIC-Muslim-Summit-अरविन्द सिसौदिया
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की मदद के बहानें मुस्लिम देशों का नेतृत्व करने की जो योजना बनाई है। उसका मकसद न तो अफगानिस्तान की मदद है और न ही तालिबान को कोई ठोस सहयोग की बाता है। बल्कि वह इस ओट से अपने आप की मदद करना चाहता है। वह विश्व के गैर मुस्लिम देशों को यह संदेश देना चाहता कि उसका मुस्लिम देशों पर बर्चस्व है। आतंकवाद उसकी जेब में है। जो उसको महत्व नहीं देगा वह अंजाम भुगतेगा।
कुल मिला कर वह जबरिया तालिवान का बाप बनने की कोशिश कर रहा है। उसका मकसद तालिवान हुकुमत पर अपना बर्चस्व दिखाना और उससे स्वहित साधना मात्र है।
किन्तु अभी तक की खबरों में इस्लामाबाद ओआईसी बैठक में लगभग आधे इस्लामिक देशों के पहुंचनें की बात सामनें आ रही है। पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा है कि 57 सदस्यीय इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के कई विदेश मंत्री अफगानिस्तान की मदद करने के तरीकों को खोजने के लिए रविवार 19 दिसम्बर 2021 को इस्लामाबाद में बैठक करेंगे।
इस्लामाबाद में होने वाली इस 'महाबैठक' के लिए पाकिस्तान ने सभी 57 मुस्लिम देशों से शामिल होने के लिए मनुहार की है, लेकिन अभी तक सिर्फ 24 देशों ने ही बैठक में शामिल होने पर सहमति जताई है। हालांकि, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि, बैठक में सभी मुस्लिम मुवालिक शामिल होंगे, लेकिन अभी तक पाकिस्तान की तरफ से शामिल होने वाले देशों को लेकर लिस्ट जारी नहीं की गई है। ऐसे में देखने वाली बात होगी, कि बैठक में कितने मुस्लिम देश शामिल होते हैं?
इस संदर्भ में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि ओआईसी की बैठक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं देती। इस बैठक का अर्थ है, ‘ कृपया, अफगानिस्तान को छोड़िए नहीं . कृपया संपर्क बनाए रखिए . हम अफगानिस्तान के लोगों के लिए बात कर रहे हैं . हम किसी विशेष समूह की बात नहीं कर रहे . ’
कुरैशी ने यह भी कहा है कि अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ सहित प्रमुख शक्तियां अफगानिस्तान पर एक दिवसीय शिखर सम्मेलन में अपने विशेष प्रतिनिधियों को भेजेंगी . अफगानिस्तान के लिए तालिबान द्वारा नियुक्त विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भी इस सम्मेलन में अपने विशेष प्रतिनिधियों को भेजेंगी . अफगानिस्तान के लिए तालिबान द्वारा नियुक्त विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे .
कुल मिला कर यह बैठक अफगानिस्तान के नाम पर हो रही है किन्तु इसका मकसद सही मायनें में भारत को घेरनें, विश्व पटल पर अपनी धाक जमानें और अपने आपकी आर्थिक मदद करने का ही प्रतीत हो रहा है। यूं तो इस बैठक के सम्पन्न होने पर ही यह तय हो पायेगा कि क्या हुआ ? यूं तो इस तरह के संगठन अपने स्वयं के अर्न्तविरोध से भी ग्रस्त रहते है। यह भी अभी सामनें आना बांकी है।
कुल मिला कर टिविट् र पर अत्यंत सक्रीय राहुल गांधी की प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा है कि वे इसे क्या मानते है ?
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