राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा दे मेरा व्याह..


राधिका गोरी से बृज की छोरी से
मैया करा दे मेरा व्याह


जो नहीं व्याह करावे तेरी गैया नहीं चरावु
आज के बाद मोरी मैया तेरी देहली पर न आवु
आएगा रे - २  मजा रे मजा अब जीत हार का
राधिका गोरी से बृज............

चन्दन की चौकी पर मैया तुझे बैठाऊ
अपनी राधिका से मै चरण तोरे दबवाऊ
भोजन बनवाऊंगा -२  मै छत्तीस प्रकार के
राधिका गोरी से बृज............

छोटी सी दुलहनिया जब आँगन में डोलेगी
तेरे सामने मैया वो घुंघट न खोलेगी
दाऊ से जा कहो -२  वो बैठेगे द्वार पे
राधिका गोरी से बृज............

सुन कर बातें लल्ला की मैया बैठी मुस्कराए
लेकर बलैया मैया, हिवडे से अपने लगाये
नजर कहीं न लगे - २ न लगे मेरे लाल को
राधिका गोरी से बृज............
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कृष्णा कन्हैया का भजन - १

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सबकी आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका, मोहन तो है सबका प्यारा

यमुना तट पर नन्द का लाला, जब जब रास रचाए रे
तन मन डोले कान्हा ऐसी, बंसी मधुर बजाए रे
सुध-बुध खोये कड़ी गोपिया, जाने कैसा जादू डारा
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..................

रंग सलोना ऐसा जैसे छाई हो घटा सावन की
ऐसी मई तो हुई दीवानी, मन मोहन मन भावन की
तेरे कारण देख संवारे, छोड़ दिया जग सारा रे
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..................
   

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