देवदूत बन कर मदद को पहुंचे आरएसएस के स्वयंसेवक रेल हादसे में बचाव कार्य हेतु



देवदूत बन कर मदद को पहुंचे थे आरएसएस के स्वयंसेवक रेल हादसे में बचाव कार्य हेतु

रेलमंत्री नें जिस तरह ग्राउंडलेवल पर रह कर सरकार संभाल और ट्रेक के पुनः व्यवस्थित कर संचालित करवाये जानें का कार्य किया वह भी अत्यंत सराहनीय है. यह भी परिवार भाव का जबावदेही का दिग्दर्शन है।

यूँ तो तकनीक के साथ, प्रकृति के साथ और जीवन के साथ हादसों को कोई रोक भी नहीं सकता और यह भी जीवन का अंग है। किन्तु इस घटना के पीछे कुछ कुछ महसूस हो रहा है. जाँच व्यापक व बहुअयामी होनी चाहिए।

ओडिशा रेल हादसा : प्रशासन से पहले पहुंचे संघ के स्वयंसेवक, 600 यूनिट किया रक्तदान,घायलों की मदद

एक तरफ तमाम राजनैतिक दल ओडीसा रेल हादसे पर बयानबाजी में व्यस्त थे, दौरा करके न्यूज बनवा रहे थे , तब समय की जरूरत को खामोशी से पूरा कर रहा था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक । घायलों की सार संभाल, सहयोग, पीने को पानी की व्यवस्था से लेकर जरूरी रक्त की पूर्ती हेतु रक्तदान तक का कार्य सम्पन्न कर रहे थे संघ के स्वयंसेवक । यह होता है परिवार भाव, अपनापन , समाज से लेकर राष्ट्र तक के लिये समपर्ण । ये अपना काम भूखे प्यासे करते रहे और कार्य सम्पन्न होनें पर बिना किसी औपचारिकता के लौट गये। विश्व में इस तरह का सेवा भाव के लिये समपर्ण सिर्फ संघ और उसके स्वयंसेवकों में ही मिलता है। आंघी तूफान हो बाड सूखा हो भूकम्प या कोई एक्सीडेंट हो। इस तरह की मानवीय सेवा में सबसे आगे रहना वाला संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। इसे किसी के सार्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। 


600 यूनिट किया रक्तदान, बांटी पानी की बोतलें, ट्रेन हादसे के घायलों की मदद के लिए आगे आया संघ

ट्रेन हादसे के घायलों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले घटना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने एनडीआरएफ और दूसरे रेस्क्यू टीमें के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बचाव कार्य किया। 600 यूनिट किया रक्तदान किया , पीनें के पानी की बोतलें बांटी,, ट्रेन हादसे के घायलों की मदद हर संभव मदद की ।

प्रशासन से पहले पहुंचे संघ के स्वयंसेवक, 600 यूनिट किया रक्तदान

आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख रवि नारायण पंडा ने बताया कि “जहां पर दुर्घटना हुई उसके पास स्थित गांव बाहनगा में संघ की शाखा होने के कारण शुरुआत में ही थोड़े संघ के स्वयंसेवक पहुंच गये थे व लगातार रात तक आते आते लगभग ढाई सौ स्वयंसेवक दुर्घटना स्थल पर प्रशासन व राहत कार्यों में लगे जवानों की सहायता की। ”

स्वयंसेवकों ने की अस्पताल पहुंचकर लोगों की मदद

उन्होंने कहा कि राहत बचाव में देरी ना हो , इसके लिए स्वयंसेवकों ने तत्काल प्रभाव से ऑटो, मोटरसाइकिल से घायलों को अस्पताल ले जाना शुरू कर दिया था। संघ के एक स्थानीय स्वयंसेवक विपरीत परिस्थितयों में बोगी के अंदर जा-जाकर पूरी रात घायलों को निकालते रहे और अन्य स्वयंसेवक अस्पताल पहुंचाते रहे। मिली जानकारी के मुताबिक करीब 450 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने रात भर राहत और बचाव कार्य में लगे रहे।उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के लोगों की सहायता की। घायल यात्रियों को अस्पताल ले जाना प्रारंभ होने के बाद बालेश्वर जिला अस्पताल में संघ पदाधिकारी उपस्थित रहे और उन्होंने सेवा कार्यों की निगरानी की. संघ पदाधिकारियों की देखरेख में स्वयंसेवकों ने रक्तदान देना प्रारंभ कर दिया।


स्वयंसेवकों ने 600 यूनिट ब्लड किया डोनेट

यहां पर स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया जबकि आज शाम तक करीब करीब स्वयंसेवकों ने कुल 600 यूनिट के करीब ब्लड डोनेशन किया। दूसरी तरफ कुछ घायल यात्रियों को भद्रक जिला मुख्यालय अस्पताल व सोरो स्थित मेडिकल ले जाया गया। वहां भी संघ के स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाला, इन चिकित्सालयों मे भी स्वयंसेवकों ने रक्त दान किया और रक्त का इंतजाम किया।

घटना स्थल से लेकर अस्पताल तक स्वयंसेवक राहत बचाव और कार्य में लगे रहे। शवों को निकालकर एंबुलेंस तक पहुंचाना,घायलों को अस्पताल में भर्ती कराना,खून की व्यवस्था करना और भोजन पानी की भी व्यवस्था स्वयंसेवकों ने की। यही नहीं दुर्घटना में कई घायलों के परिजनों से स्यंसेवकों ने अपने मोबाइल से बात भी करवायी। बालासोर के इस राहत और बचाव के काम में संघ के अनुषांगिक संगठनएबीवीपी,हिंदू जागरण मंच,बजरंग दल,सेवा भारती के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने राहत बचाव कार्य में अनवरत लगे रहे।

मेडिकल कालेज में संघ के सेवक सक्रिय रहे

प्रांत प्रचार प्रमुख रवि पंडा ने बताया कि हमारे स्वयंसेवकों ने 2 जून शाम 7.30 बजे से लगातार इस भीषण दुर्घटना में जीवन खोने वाले यात्रियों के शवों को लेने में उनके परिजनों की सहायता में स्वयंसेवक लगे रहे। इसी तरह कटक के एससीबी मेडिकल कालेज व अस्पताल में भी संघ के सेवा विभाग से जुडे स्वयंसेवक सक्रिय रहे। इन घायल यात्रियों को अटेंडैंट देने के साथ साथ उनके परिवारों से संपर्क कर उन्हें सूचना देना आदि र्काय़ों में स्वयंसेवक लगे रहे।


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