विपक्ष दूध से धुला नहीं है, मगर हादसे के आपराधिक षड्यंत्र की जाँच होनी ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया odisha train accident



क्या डबल इंजन के स्लोगन के खिलाफ षड्यंत्र है यह हादसा, इस दृष्टिकोण से भी जाँच हो - अरविन्द सिसोदिया 

विपक्ष दूध से धुला नहीं है, मगर हादसे के षड्यंत्र की जाँच होनी ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया 

मोदीजी की सरकार नें रेल हादसे के बाद जिस संवेदनशीलता से स्थिति को पुनः बहाल किया, वह भी अपने आप में काबिले तारीफ है। दुर्घटना पर तो किसी का बस नहीं होता है, मगर उसके बाद स्थिति को  संभालना और पुनः सामान्य करना यह सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, जिसमें सरकार पूरी तरह सफल रही है। रिकार्ड कम समय में सब कुछ दुरुस्थ करके दिखाया है।

 यह भी पहली बार हुआ कि दुर्घटना वाली जगह पर केंद्र सरकार के चार-चार मंत्री पहुंचे हो और रेल मंत्री लगातार 50 घंटे तक केंप किये हों। दुर्घटनावाली जगह रहकर के सारी व्यवस्थाओं को संपन्न कर रहे हो।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने पूरे घटनाक्रम को बहुत ही अच्छे ढंग से संभाला। बहुत ही जबरदस्त संवेदनाओं और सार संभाल का प्रदर्शन किया है ।

विपक्ष के द्वारा वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था, मगर भारत में अब विपक्षी की नैतिकता मर चुकी है।  राजनीति में मूर्खता, बड़बोलापन और अहंकार वाद का एक चलन चल गया है, देश के कर्मशील प्रधानमंत्री मोदीजी को किसी न किसी बहाने गरियाने, उन्हें बुरा भला कहने का इन दिनों एक राजनीतिक बीमारी विपक्ष की लगी हुई है। मगर मोदी सरकार ने जिस अच्छे ढंग से दुर्घटना को संभाला और ट्रैक को जिस तरीके से ठीक करके पुनः चालू किया। उससे यह स्पष्ट है कि यह सरकार  संवेदनशील है, कर्तव्य वान है  कार्य क्षमता से युक्त है।

 जहां तक विपक्ष की आलोचनाओं का विषय है उनमें से कोई भी दूध का धुला हुआ नहीं है। सभी के कार्यकाल में बड़ी बड़ी रेल दुर्घटनाएं हुई है, और इतनी जल्दी ट्रैक को पुनः चालू करने में भी विफल रहते थे। किंतु जैसा की राजनीति का चलन है अपनी नाक ऊंची रखने के लिए सरकार को भला बुरा भला कहने के लिए कोई अवसर नहीं छूटना चाहिए यही सब विपक्ष ने किया।
1- ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुये 54 बार रेल टक्कर हुई है 839 दुर्घटनायें  और उनमें 1451 मृत्यु हुई।
2- नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते 78 बार रेल टक्कर हुई,1000 से अधिक दुर्घटनाएं हुई 1527 मृत्यु हुई। 
3- लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री  रहते हुए 57 बार टक्कर हुई 550 रेल दुर्घटना हुई 1159 मृत्यु हुई।

यू भी यूपीए के 9 साल के शासनकाल में 1470 से अधिक रेल दुर्घटना हुई थीं जबकि  मोदी सरकार के 638 रेल हादसे हुए हैं जो आधे से भी कम हैं।

 नीतीश कुमार भले ही कह रहे हो कि उन्होंने रेल दुर्घटना के बाद में इस्तीफा दे दिया था, मगर सच ठीक उल्टा है।  तब एनडीए की सरकार थी और उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया था  क्योंकि वे लगातार फैल रेल मंत्री साबित हो रहे थे। 

यूँ तो रेल दुर्घटना में ज्यादातर मामले रेल की चपेट में आने के, रेल से गिर जाने के होते रहते हैं, किन्तु पिछले कुछ समय से उकसावे के द्वारा रेल सेवाएं बाधित करने और बदनाम करने का षड्यंत्र पूरे देश में चल रहा है। वन्दे भारत ट्रेनों पर पत्थर फेंकने और अनेकानेक ट्रेकों से छेड़छाड़ के मामले सामने आये हैं। राजस्थान में प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा लोकार्पण किये गये ट्रेक पर 15 दिन से भी कम समय में विस्फोटक पाया गया। यह काम कर जाता तो कितना बड़ा हादसा होता...? ये शरारती षड्यंत्र कहीं न कहीं राजनैतिक पाखंड से प्रेरित प्रतीत हो रहे हैं। इसलिए जाँच का बहुअयामी होना आवश्यक है।

इस वर्ष तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कुछ राज्यों में आमचुनाव 2024 में भाजपा और नरेंद्र मोदी जी डबल इंजन की सरकार के लोकप्रिय स्लोगन के साथ उतरनेवाली है, उसके इस स्लोगन को बाधित करने के लिए यह षड्यंत्र संभव है, इस दृष्टिकोण से भी जाँच होनी चाहिए।

कांग्रेस का सीबीआई जाँच का विरोध अपराधियों को बचानें की कोशिस मात्र है। रेलवे सिर्फ तकनीकी जाँच तक ही सीमित रहती है। इसलिए सी बी आई जाँच का कदम सही है ताकी अपराधियों तक पहुंचा जासके, देश को सावधान किया जा सके।

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