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देवउठनी एकादशी

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ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी शेष शय्या से योगनिद्रा से जाग जाते हैं। इसी दिन से सभी मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवउठनी एकादशी के नाम से पूजनीय मानी जाती है। शास्त्रों में इस एकादशी को अनेक नामों से संबोधित किया गया है, जिसमें प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवठान एकादशी आदि प्रमुख रूप से उल्लेखित है। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुरूप यह विश्वास किया जाता है कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी को शयन प्रारंभ करने वाले भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी को जागृत हो जाते हैं। वास्तव में देव सोने और देव जागने का अंतरंग संबंध सूर्य वंदना से है। आज भी सृष्टि की क्रियाशीलता सूर्य पर निर्भर है और हमारी दैनिक व्यवस्थाएं सूर्योदय से निर्धारित होती हैं। प्रकाश पुंज होने के नाते सूर्य देवता को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है क्योंकि प्रकाश ही परमेश्वर है। इसलिए देवउठनी एकादशी पर विष्णु सूर्य के रूप में पूजे जाते हैं। यह प्रकाश और ज्ञान की पूजा है। वेद माता गायत्री भी तो प्रकाश की ही प्रार्थना है।...

प्रधानमंत्री मोदी की सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि - अरविन्द सिसौदिया

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सरदार पटेल जयंती 31 अक्टूबर पर भारत रत्न सरदार पटेल का जन्मदिन: “ राष्ट्रीय एकता दिवस ” प्रधानमंत्री मोदी की सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि - अरविन्द सिसौदिया    भारत की स्वतंत्रता में एवं भारत की देशी रियासतों के एकीकरण कर आधुनिक भारत का निर्माण में, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री तथा  गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को आजादी के बाद लम्बे समय तक वह सम्मान नहीं मिला जिसके हकदार सरदार पटेल का महती कार्य था। भारत पर नेहरूवंश की सत्ता में सरदार पटेल को समुचित सम्मान नहीं मिलना अखरता भी रहा, दुर्भाग्य देखिये कि सरदार पटेल को मृत्यु के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत रत्न दिया गया । जबकि नेहरूजी ने स्वंय के जीवन में ही अपने आपको भारत रत्न देे दिया था।  लगता है यह दर्द गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र भाई मोदी को कचोटता होगा और उन्होने सरदार वल्लभभाई पटेल को पर्याप्त  सम्मान दिलाने के प्रयास किये वे स्वागत योग्य है। और हम सभी को सरदार पटेल से जुडे कार्यक्रमों में बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिये।     प्...

माँ का दिवाली तोहफ़ा

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माँ का दिवाली तोहफ़ा - Anita Verma भिलाई छत्तीसगढ़  (यह मार्मिक कहानी अनीता वर्मा जी की फेसबुक से ली गई है  ) शालिनी आईना के सामने खड़ी होकर साड़ी के पल्लू अपने कंधे पर सलीके से जमाते हुए बोली, सूरज इस बार मैं दिवाली शॉपिंग के लिए बहुत लेट हो गयी हूँ, मिसेस तनेजा ने तो वृद्धाश्रम जाकर मिठाई और कपड़े बाँट कर, अपनी पोस्ट फेसबुक मे भी डाल दी, और, मिसेस वोहरा भी अनाथालय में गिफ्ट बांटती हुई अपनी फोटो इंस्टाग्राम में डाली है,.... सूरज तुम सुन भी रहे हो मै क्या बोल रही हूँ...... सूरज झुंझला कर बोला हां यार सुन रहा हूँ मैंने तुझे कब मना किया था, shopping के लिए, ड्राइवर को लेके चली जाती और तुम भी किसी आश्रम में दें आती जो तुम्हें देना है, और अपनी नेकी करती तस्वीरें डाल देतीं फेसबुक पर.... मुझे क्यूँ सुना रही हो.... शर्ट की बटन लगाते हुए सूरज बोला अब और कितनी देर लगाओगी तैयार होने में..... मुझे आज ही अपने स्टाफ को बोनस बांटने भी जाना है जल्दी करो मेरे पास" टाईम" नहीं है... कह कर रूम से बाहर निकल गया सूरज तभी बाहर लॉन मे बैठी "माँ" पर नजर पड़ी,,, कुछ सोचते...

क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक ही सीमित है - प्रणब मुखर्जी

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प्रणब मुखर्जी ने खोला शंकराचार्य पर अत्याचार का सच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ने देश के आगे एक बड़े सवाल को फिर से खड़ा कर दिया है। सवाल ये कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए बेहूदे आरोपों के पीछे कौन था ? नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया था। जिस वक्त गिरफ्तारी की गई थी, तब वो 2500 साल से चली आ रही त्रिकाल पूजा की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन पर अश्लील सीडी देखने और छेड़खानी जैसे घिनौने आरोप भी लगाए गए थे। दरअसल प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द कोएलिशन इयर्स 1996-2012’ में इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि “मैं इस गिरफ्तारी से बहुत नाराज था और कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया भी था। मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती ...