हिन्दू धर्म और राष्ट्रीयता – शंकर शरण
हिन्दू धर्म और राष्ट्रीयता – शंकर शरण द्वारा एक व्याख्यान जनवरी 8, 2018 भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन https://indictales.com/hi समय बदल गया है, समय की मांग बदल गयी है,और जो नयी पीढ़ी आती है वह स्वयं सबकुछ तय नहीं करती; बहुत सी चीजे उसको बनी-बनायीं मिलती है | यह जो कैरियर ओरिएंटेडनेस का आज कासमय है, उसमेपढ़ना-लिखनाएक तरह से कम हो गया है|सबकुछ रेडीमेड, जल्दी, गूगल से मिल जाये, नेट से मिल जाये,उससे कम चल जाये – यह परंपरा बन गयी है और उसी में जो लोग सिद्धहस्त है,उनको ही सफलमाना जाता है |लेकिन जिस तरह के राष्ट्रवादी वातावरण में आपका संस्थानमुझे दिखाई पढ़ता है, और जिस तरह के परम्पराएं इस संस्थान ने बनाई हुई है,उसमे मुझे लगता है की आपको थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए | क्यूंकि भारत एक अनूठा देश है | अपने सभ्यता की दृष्टि से भी अनूठा है,और विश्व में आज भारत का जो स्थान है,अच्छा भी और कठिन भी – वह दोनों ही दृष्टिसेपहले आपको समझ के रखना चाहिए | आजआप युवा है,काल आप प्रोफेशन में जायेंगे, काम करेंगे, तो आपको यह चेतना होनी चाहिए की इस पुरे एक्सिस्टेंस में विश्व के परिदृश्य में आप, आपका देश,