संघ प्रचारक : नर करनी करे और नारायण हो जाए
संघ प्रचारक : नर करनी करे और नारायण हो जाए ( संघ के प्रचारकों के प्रति यह मेरा व्यक्तिगत भाव है इसे अन्यथा ना लिया जाये ! ) संघ को अधिक जानने समझनें में यह लिक मददगार होगा http://www.archivesofrss.org प्रारंभिक कुछ वर्षों तक संघ में यह प्रचारक शब्द परिचित नहीं था। केवल संघ कार्य का ही अहोरत्रचिंतन करने वाले डॉक्टरजी ही एक मात्र स्वयंसेवक थे। अधिकांश शालेय छात्र किशोर स्वयंसेवक अपने घरों में रहते और कार्यक्रम अथवा बैठक के समय एकत्र आते थे। आयु में कुछ बड़े स्वयंसेवकों में, बाबासाहब आपटे नागपुर की एक बीमा कम्पनी के कार्यालय में टंकलेखन कार्य करते थे। श्री दादाराव परमार्थ ने शालांत परीक्षा उत्तीर्ण करने के अनेक प्रयास किये किन्तु गणित जैसे भयानक विषय के कारण असफल होकर, उसके पीछे लगे रहने की बजाय वे अधिकाधिक समय देकर संघ कार्य करने लगे। उनकी ओजपूर्ण भाषण शैली तथा अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व के कारण, संघ कार्य करते समय उन्हें कभी भी विद्यालयीन अथवा महाविद्यालयीन उपाधियों की कमी महसूस नहीं हुई। इस समय संघ का कार्य नागपुर के बाहर भी पहुंच चुका था- विदर्भ के ...