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आत्मगौरव का प्रतीक भारतीय नव वर्ष

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आइये अपने पर गर्व करें, नव विक्रमी संवत की शुभकामनाएं दें यह नव संवत् ही मेरा नववर्ष ! आपका नववर्ष !! प्रत्येक भारतीय का नववर्ष !!! साकेन्द्र प्रताप वर्मा सोचिए 1 जनवरी तो अंग्रेजों का नववर्ष अथवा उनका नववर्ष जो अंग्रेजियत में जी रहे हैं. जिन्हें न गुलामी का दंश पता है, न स्वतंत्रता की कीमत, जिन्हें गीता और रामायण का ध्यान  नहीं है, जिन्हें न तो हस्तिनापुर याद है, न ही दुष्यंत पुत्र भरत याद है, जिन्हें राम, कृष्ण, शिवाजी, राणाप्रताप, चन्द्रगुप्त, बुद्ध, महावीर याद नहीं तथा जिन्हें गुरू गोविन्द सिंह, शेखर, सुभाष, भगत सिंह और रानी लक्ष्मीबाई की बलिदानी परम्परा याद नहीं. उनको ही भारत याद नहीं-अपना नववर्श याद नहीं. याद है केवल इण्डिया और उसका न्यू ईयर. न्यू ईयर का अर्थ है जश्न, नृत्य, शराब से मनाया जाने वाला रात्रिकालीन हुड़दंग. आत्मगौरव का प्रतीक भारतीय नव वर्ष भारतीय नव वर्ष जैसा दुनिया के किसी नव वर्ष का आनन्दोत्सव न तो देखा गया न ही सुना गया, परन्तु अंग्रेजों की गुलामी से पनपी आत्मविस्मृति के कारण हम अनुभव ही नहीं करते कि यह आनन्द का पर्व हमारे नव वर्ष का शुभारम्भ ...

मानसिक गुलामी से बाहर निकलें,अपना परम् पवित्र नव-वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा Hindu New Year Varsh Prtipada

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   यह नववर्ष विदेशी है, पाश्चात्य है। 99 प्रतिशत भारतीयों के मत का भी नहीं है। यह मात्र वेतन बांटने एवं प्रशासनिक कार्य करने तक ही सीमित है, इसका कोई देवत्व प्रभाव नहीं है। हमारे सभी देवी देवता तीज त्यौहार, महूर्त शुभकार्य आदि हमारे संवत सर से ही होते है। जो कि चैत्र शुक्ल एकम की वर्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। वैज्ञानिक एवं खगोलीय गणना पर पूरी तरह से वैज्ञानिकता लिये हुये हमारा संवतसर अपना प्रभाव रखता है। उसमें देवत्व भी है और वैज्ञानिकता भी तथा अपनत्व भी !  *****************   चिन्तन   -       तनिक विचार कीजिये   *दीपावली मनाते हैं-         विक्रम संवत् के अनुसार* *रामनवमी मनाते हैं-       विक्रम संवत् के अनुसार* *कृष्ण जनमाष्टमी*        *मनाते हैं-*              विक्रम संवत् के अनुसार* *नवरात्र मनाते हैं-           विक्रम संवत् के अनुसार* *श्राद्ध मनाते हैं-            ...

कालगणना का मूल ज्ञान भारतीय संस्कृति के पुरूखों के परिश्रम से ही विश्व को मिला - अरविन्द सिसौदियाnew-year

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  कालगणना का मूल ज्ञान भारतीय संस्कृति के पुरूखों के परिश्रम से ही विश्व को मिला - अरविन्द सिसौदिया अंतरिक्ष विज्ञान में अनन्तकाल से भारत ही अग्रणी रहा है औ अभी भी है। भारत के पंचागं अन्तरिक्ष विज्ञान की सटीक जानकारी रखते है। नासा लेकर बडे बडे स्पेस वैज्ञानिक भारत के पंचांगों से अपना ज्ञान बढाते है। भारत में नववर्ष वर्षपतिपदा की तिथि से अनन्तकाल से मनाया जाता रहा है और आज भी विक्रम संवत उसी पद्यती से मनाया जाता है। पूर्व में पश्चिमी देशों में भी भारतीय समय के अनुसार ही नववर्ष मार्च के महीनें में मनाया जाता था। किन्तु बाद में कुप्रथावश राजा / नरेश /शासकों ने इसे अपने नाम से चलाना प्रारम्भ किया और इससे इसके मनाये जानें वाली तारीखों तिथियों में भिन्नता आने लगी। नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है। हिन्दू नववर्ष, पश्चिमी नव वर्ष,हिब्रू नव वर्ष, भारतके अनेक अन्य नव वर्ष,इस्लामी नव वर्ष सहित अनेकों न...