मानसिक गुलामी से बाहर निकलें,अपना परम् पवित्र नव-वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा Hindu New Year Varsh Prtipada
यह नववर्ष विदेशी है, पाश्चात्य है। 99 प्रतिशत भारतीयों के मत का भी नहीं है। यह मात्र वेतन बांटने एवं प्रशासनिक कार्य करने तक ही सीमित है, इसका कोई देवत्व प्रभाव नहीं है। हमारे सभी देवी देवता तीज त्यौहार, महूर्त शुभकार्य आदि हमारे संवत सर से ही होते है। जो कि चैत्र शुक्ल एकम की वर्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। वैज्ञानिक एवं खगोलीय गणना पर पूरी तरह से वैज्ञानिकता लिये हुये हमारा संवतसर अपना प्रभाव रखता है। उसमें देवत्व भी है और वैज्ञानिकता भी तथा अपनत्व भी !
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चिन्तन - तनिक विचार कीजिये
*दीपावली मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*रामनवमी मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*कृष्ण जनमाष्टमी*
*मनाते हैं-* विक्रम संवत् के अनुसार*
*नवरात्र मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*श्राद्ध मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*अमावस्या मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*पूर्णिमा मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*दुर्गाष्टमी मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*करवाचौथ मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*महाशिवरात्रि मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*होली-दुलण्डी मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*दशहरा मनाते हैं- विक्रम संवत् के अनुसार*
*ये तो कुछ उदाहरण दिये हैं. हम सब कुछ अपने तीज-त्योहार विक्रम संवत् पन्चाङ्ग के अनुसार ही मनाते हैं. लेकिन तीन उत्सव विवाह वर्षगाँठ, जन्म-दिन एवं नव-वर्ष अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार मनाते हैं किसलिए ?*
*इस मानसिक गुलामी से बाहर निकलें और अपना परम् पवित्र नव-वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाये.*
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!! जयश्रीराम!!*
*!!सादर् सुप्रभातम्!!*
सृष्टि संवत् 1,96,08,53,124
युगाब्द् संवत् 5,124
विक्रमी संवत् 2,079
दिन - शनिवार
तिथि - नवमी
माह - पौष
नक्षत्र - रेवती
पक्ष - शुक्ल
ऋतु - शिशिर
सूर्य - दक्षिणायन
दिनॉक 31 दिसम्बर 2,022
पूर्ण विश्व के लिए मंगलमय हो.
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*नववर्ष*
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*यदि आप अंग्रेज़ी नववर्ष का इतिहास जान लेंगे तो छोड़ देंगे 1 जनवरी को नववर्ष मनाना.*
*विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में राज करने के लिए सबसे पहले भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया जिससे हम अपनी महान दिव्य संस्कृति भूल जाएं और उनकी पाश्चात्य संस्कृति अपना लें जिसके कारण वे भारत में राज कर सकें.*
*अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं.*
*नववर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था. लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी. प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया. ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 ईस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था. उसके बाद भारतीय नववर्ष के अनुसार छोड़कर ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे.*
*भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में स्थापना की. उसके बाद भारत को 190 वर्ष तक गुलाम बनाकर रखा गया. इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे. लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया.*
*भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे.*
*हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई भी देने लग जाते हैं. क्या किसी भी ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..??? किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?*
*इस वर्ष आने वाला नया वर्ष 2023 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया वर्ष है.*
*हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2079 चल रहा है.*
*इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है.*
*इस विक्रम संवत से 5000 वर्ष पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए. उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है.*
*कहाँ करोड़ों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नववर्ष मना रहे हैं.*
*तनिक सोचिए....!!!*
*हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है. यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!*
*जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है. ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह, जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है. सभी व्रत, त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं. मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है. मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है.*
*आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं. इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता.*
*सोचिये! आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ?*
*1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????*
*न ऋतु बदली... न मौसम...न कक्षा बदली...न सत्र....न फसल बदली...न खेती.....न पेड़ पौधों की रंगत...न सूर्य चाँद सितारों की दिशा.... ना ही नक्षत्र...*
*हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी.*
*भारतीय संस्कृति का नव संवत् ही नया वर्ष है.... जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है.*
*अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये.*
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*राष्ट्रकवि रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता*
*यह नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*
*है अपना यह त्यौहार नहीं*
*है अपनी यह तो रीत नहीं*
*है अपना यह व्यवहार नहीं*
*धरा ठिठुरती है सर्दी से*
*आकाश में कोहरा गहरा है*
*बाग़ बाज़ारों की सरहद पर*
*सर्द हवा का पहरा है*
*सूना है प्रकृति का आँगन*
*कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं*
*हर कोई है घर में दुबका हुआ*
*नव वर्ष का यह कोई ढंग नहीं*
*चंद मास अभी इंतज़ार करो*
*निज मन में तनिक विचार करो*
*नये साल नया कुछ हो तो सही*
*क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही*
*उल्लास मंद है जन -मन का*
*आयी है अभी बहार नहीं*
*यह नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*
*है अपना यह त्यौहार नहीं*
*यह धुंध कुहासा छंटने दो*
*रातों का राज्य सिमटने दो*
*प्रकृति का रूप निखरने दो*
*फागुन का रंग बिखरने दो*
*प्रकृति दुल्हन का रूप धार*
*जब स्नेह – सुधा बरसायेगी*
*शस्य – श्यामला धरती माता*
*घर -घर खुशहाली लायेगी*
*तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि*
*नव वर्ष मनाया जायेगा*
*आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर*
*जय गान सुनाया जायेगा*
*युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध*
*नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध*
*आर्यों की कीर्ति सदा -सदा*
*नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा*
*अनमोल विरासत के धनिकों को*
*चाहिये कोई उधार नहीं*
*यह नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं*
*है अपना यह त्यौहार नहीं*
*है अपनी यह तो रीत नहीं*
*है अपना यह त्यौहार नहीं*
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