आत्महत्या और दुर्घटनात्मक हत्या मामलों में जिम्मेवार को सजा दें - अरविन्द सिसोदिया accident and suicide murder
आत्महत्या और दुर्घटनात्मक मृत्यु के मामलों की जांच, जिम्मेवार को सजा दिलानें तक की होनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
पिछले दिनों से देखने में आ रहा है कि आत्महत्या और दुर्घटनात्मक मृत्यु के मामलों में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है, यह भी देखने में आ रहा है कि बहुत सारी आत्महत्यायें एवं दुर्घटनायें मूलतः हत्या होती थी। जो कि बड़े प्रोफेशनल तरीके से अंजाम दी जाती हैं और आत्महत्या या दुर्घटना दिखा दी जाती है।
जैसे कई मंजिल ऊपर से नीचे फेंक देना, आत्महत्या या दुर्घटना बता दिया जाता है। एक पुत्र नें अपनी बीमार माँ को छत्त से नीचे फेंक दिया, आत्महत्या करार दे दिया। बाद में कैमरे से खुलासा हुआ कि उसे ऊपर ले जाकर नीचे फेंका गया था।
यही बहुओं के आग लगा कर मरनें के मामलों में भी होता है। पानी में डूबने के मामले में भी यह देखा गया है। सड़क दुर्घटनाओं में भी यह फेक्टर काम करता है।
दुर्घटना मृत्यु में भी इसी तरह हत्याएं किया जाना पाया जाता है। जैसे -
एक आरटीआई एक्टिविस्ट अपने ही घर पर पानी की टंकी में उल्टा डूबा मिला और उसे प्रथम दृष्टि में दुर्घटना माना गया लेकिन वह अपरोक्ष हत्या थी।
मुंबई में विशेषकर हिंदू अभिनेत्रियों के द्वारा की गई आत्महत्याओं का एक लंबा सिलसिला है। उसके अलावा अन्य अभिनेताओं की भी आत्महत्या के बहुत सारी घटनाएं हैं।
दहेज को लेकर के होने वाली आत्महत्या है, कोचिंग छात्रों की होने वाली आत्महत्या में, किसानों की होने वाली आत्महत्या है। आत्महत्याओं का एक लंबा इतिहास है इनके लिए जिम्मेवार और जवाबदेह कारक तत्व तक पहुंचना अनिवार्य किया जावे और जिम्मेवार लोगों पर कार्यवाही होना चाहिए। अभी बड़ी शर्मनाक स्थिति यह है कि कोई कार्यवाही नहीं होती ।
किसी व्यक्ति के किसी कृत्य से, किसी व्यक्ति को अपनी जान गंबानी पड़े, जीवन समाप्त करना पड़े। यह उस कारक व्यक्ति की जबावदेही क्यों नहीं हो। उस पर भी जिम्मेवारी डाली जानी चाहिए।
आत्महत्या और दुर्घटना मृत्यु के विषय में कानूनी पहलुओं पर भी पुनर्विचार होना चाहिए और उन्हें एक सही तरीके से व्यवस्थित किया जाना चाहिए। आत्महत्या और दुर्घटना में क्या है इस संदर्भ में भी गहराई से छानबीन होना चाहिए और इसके लिए उच्च स्तरीय अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया जाना चाहिए।
आत्महत्या में ज्यादातर कारणों को दबा दिया जाता है, छुपा दिया जाता है,जब उसके पीछे कोई ना कोई अपना आस पास का ही व्यक्ति होता है। जो उसे परेशान भी करता है,धोखा भी देता है या किसी तरह का एक अपराध करके उसके मन को तोड़ देता है। जीवन की आशाओं को निराशा में बदल देता है, जीवन जीने की इच्छा को समाप्त कर देता है। यह एक प्रकार का धीमा जहर जैसा है, जो कि धीरे-धीरे किसी व्यक्ति को समाप्त करने की घटना को अंजाम दिया जाना होता है। यही दुर्घटना मृत्यु में कारित होता है।
मेरा तो बहुत ही स्पष्ट मानना है कि आत्महत्या यह दुर्घटना हत्या के लिए जिम्मेवार व्यक्ति को हत्या का ही दोषी माना जाना चाहिए। सजा का प्रावधान भी न्यायाधीश की इच्छा पर निर्भर कर देना चाहिए, ताकि वे अधिक सजा भी दे सकें. किसी दोषी को सजा नहीं मिलना भी एक अन्याय और न्याय की विफलता होती है और सब यह समाज के प्रति एक बड़ा अपराध भी होता है।
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