प्रोत्साहन राशि सहित अनिवार्य मतदान पर विचार करे निर्वाचन आयोग - अरविन्द सिसौदिया compulsory voting

 


 प्रोत्साहन राशि सहित अनिवार्य मतदान पर विचार करे निर्वाचन आयोग - अरविन्द सिसौदिया

हाल ही में गुजरात के चुनावों का मतदान हुआ, हिमाचल प्रदेश में भी मतदान हुआ , इससे पूर्व उत्तरप्रदेश,उत्तराखण्ड,पंजाब,मणीपुर के निर्वाचन हुये । इनमें एक बात कामॅन थी कि मतदान शतप्रतिशत नहीं हो पाता, एक बहुत बडा वर्ग मतदान नहीं करता । इसके मुख्यतौर पर जो कारण गिनाये जाते हैं। उनमें एक नाम कई जगह जुडा होना,मतदाता का किसी दूसरे शहर में नौकरीपेशा या कर्मचारी होना , मतदाता का किसी समस्या के कारण मतदान कार्य करनें में परेशानी के कारण भी, मतदान केन्द्र दूर होनें पर भी मतदाता नहीं जाता, किसी प्रतिष्ठान में कर्मचारी होनें पर छुट्टी नहीं दी जाती, इस कारण भी मतदान नहीं कर पाता एवं मतदाता का वोट डालने में रूची नहीं होना।

अधिकतम मतदान के लिये प्रेरित करनें के लिये भारत निर्वाचन आयोग अनेकानेक उपाये करता रहता है। वहीं अब मतदाता सूची को आधारकार्ड से भी जोडा जा रहा है। आधारकार्ड से जुड़ते ही फर्जी व कई जगह जुडे़ नामों की समस्या समाप्त हो जायेगी।

अनिवार्य मतदान का अर्थ है कि कानून के अनुसार किसी चुनाव में मतदाता को अपना मत देना या मतदान केन्द्र पर उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि कोई वैध मतदाता, मतदान केन्द्र पहुंचकर अपना मत नहीं देता है तो उसे पहले से घोषित कुछ दण्ड का भागी बनाया जा सकता है। वर्तमान समय में 33 देशों में मतदान करना जरूरी है।

अनिवार्य मतदान कोई नई अवधारणा नहीं है। अनिवार्य मतदान कानूनों को पेश करने वाले कुछ पहले देश 1892 में बेल्जियम, 1914 में अर्जेंटीना और 1924 में ऑस्ट्रेलिया थे। वेनेजुएला और नीदरलैंड जैसे देशों के उदाहरण भी हैं, जिन्होंने अपने इतिहास में एक समय में अनिवार्य मतदान का अभ्यास किया था, लेकिन तब से इसे समाप्त कर दिया है।

 
मुख्य सवाल यही है कि मतदाता अपने कर्त्तव्य का पालन करे। मतदान करे लोकतंत्र को मजबूत करे। इसके लिये दोहरी व्यवस्था करना चाहिये।
1- प्रोत्साहन राशी का दिया जाना - मतदाता को मतदान के साथ ही बैंक खाते में मतदान में भाग लेनें के लिये प्रोत्साहनराशि का भुगतान होना चाहिये। यह राशी एक जैसी अथवा दूरी के आधार पर भी तय हो सकती है। जैस एक किलोमीटर के अन्दर मतदान केन्द्र पर पहुचनें वाले मतदाता को 200 से 300 रूपये भुगतान और इससे अधिक पर 500 रूप्ये भुगतान । जो कि मतदाता के द्वारा दिये गये बैंक / मोबाईल एकाउन्ट में पहुंच जायें।
इस व्यवस्था से मजदूर - पेशा - जरूरी कार्यवाले कर्मचारियों को फायदा होगा , वोट प्रतिशत बडेगा ।
2- अर्थ दण्ड किया जाना - जो मतदाता पहलीबार वोट नहीं डालता उस पर 1000 रूपये और फिर दुबारा से वोट नहीं डालता तो 5000 रूपये अर्थदण्ड का प्रावधान रखा जावे एवं राशि की उगाही का कार्य सम्बधित थानें को सौंपा जाये।
इसमें मानवीय आधार पर छूट भी हो।
3- व्यापारिक एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को वास्तविक तौर पर छुट्टी नहीं दी जाती । इसके लिये प्रतिष्ठान को जवाबदेह बनाया जाये। उसकी जिम्मेवारी होगी कि उसका कर्मचारी मतदान करने के बाद ही कार्य करे, अर्थदण्ड भी तय किया जावे।
 

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