"सावधान : बाहरी दुश्मन और घर के जयचंद एक हो गये हैं।"- अरविन्द सिसोदिया savdhan bharat
भारत के आम चुनाव 2024 तक बहुत अधिक सावधान रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया
"सावधान : बाहरी दुश्मन और घर के जयचंद एक हो गये हैं।"
जिस तरह की भाषा एवं गतिविधियां राजनैतिक क्षेत्र से आ रही है, वह भय उत्पन्न करने वाली है, डर उत्पन्न कर करनें वाली है। क्यों कि यह हमने CAA के समय देखा, कोरोना को फैलाने में देखा, कोरोना इलाज के दौरान देखा, कोरोना के वैक्सीनेश के दौरान देखा,किसान आंदोलन के समय देखा। लालकिले पर प्रदर्शन के दौरान देखा, चीन सीमा पर होनें वाली झड़पों के समय देखा।
देश में विपक्ष की भूमिका देशहित को छोड़ कर सब कुछ करने की रहती है। यह सब कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के द्वारा लगातार हो रहा है।
संकेत तब भय उत्पन्न करते हैं चीनी सेनिकों की कुटाई, भारतीय सैनिक करते हैं और प्रमुख विपक्षी दल कहता है भारतीय सेना पिटी....! पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल न्यूयार्क में और राहुल गांधी भारत में एक ही दिन एक ही भाषा और शब्दाबली में संघ, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को कोसते हैं।
ज़ब देश का एक प्रमुख दल पाकिस्तान और चीन का अनन्य मित्र साबित हो रहा हो, उसकी मित्रता राष्ट्र घाती साबित हो रही हो, तब एक भय इनके विरुद्ध उत्पन्न होता ही है कि आगे ये क्या करेंगे ? एक सावधानी आवश्यक हो जाती है कि उनके गलत मंसूबे विफल कैसे किये जाएँ।
आप पार्टी के कर्ताधर्ता अमेरिका की एक संस्था से लगातार सहायता राशि प्राप्त करके बड़े बनते हैं। भारत में एक नया राजनैतिक दल खड़ा करते हैं, उस पर अरवन नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता है। उस पर मुफ्तखोरी फैला कर देश को अंदर से खोखला करंनें का आरोप प्रमाणित होता है। खालिस्तानी आंदोलन के पाकिस्तानी षड्यंत्र से संबंध होने की संदिग्धता उत्पन्न होती हो।पाकिस्तान परस्त ताकतें उसके लिए नोट और वोट दोनों का इंतजाम करती है
भारत तेरे टुकड़े होंगे ईशा अल्लाह के नारे लगवाने वाले, भारत जोड़ो यात्रा के प्रमुखयात्री हों....। तब देश को विचार करना जरूरी हो जाता प्रतीत होती है।
देश की राजनीति में कुछ सिरफिरे तत्वों की मौजूदगी की अट्टहास और अहसास मुखरित हो रहा है। गौर से सुनो यह प्रत्येक राष्ट्रभक्त को सुनाई देगा। इसके चलते भारत के आम चुनाव 2024 तक इनके द्वारा अनगिणित षड्यंन्त्रों की संभावनायें हैं।
भारत के गृह मंत्रालत, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और सभी गुप्तचर संस्थाओं को सावधान रहना होगा, सतर्क रहना होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय को कोरोना जैसे किसी नए, विषाणु हमले के प्रति भी सतर्क रहना होगा। पर्याप्त दवाओं, प्राण रक्षक उपकरण संग्रह पर ध्यान देना होगा।
यह आलेख कुछ अधिकारीयों के लिए मीनिंग लेस हो सकता है। लेकिन अभी तक जो देखा गया है, भुगता गया है, यह उसी अनुभव की आवाज है कि अब सतर्क हो जाइये....
"सावधान : बाहरी दुश्मन और घर के जयचंद एक हो गये हैं।"
सही बात है
जवाब देंहटाएं