हीरे से प्रधानमंत्री मोदीजी की जननी मातेश्वरी हीराबेन का निधन , अपूर्णीय क्षति - अरविन्द सिसौदिया

एक मां अपने बच्चे के लिए पूरी दुनिया होती है। मोदी जी की माता जी के देवलोकगमन से असहनीय ओर अपूर्णीय क्षति हुई है। यह वह माता जी थी जिन्होंने देश को एक युग परिवर्तनकारी पुत्र में संस्कारों का संचार किया थापरमपिता परमेश्वर माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे और अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।


जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की माताजी हीराबेन के देहावसान की खबर लगी... लगा कि आज तो उनका पार्थिव शरीर कही अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा.....!

 फिर जैसा अन्य राजनेताओं के परिवार जन की मृत्यु में होता है राजसी तरीके से अंतिम संस्कार होगा......!!

पूरा अंतिम संस्कार का कार्यक्रम सियासी हो जाएगा लेकिन ऐसा सोचते सोचते टेलीविज़न ऑन.....!

देखा मोदीजी और उनके भाई सहित परिवार जन तो माँ के पार्थिव शरीर को बिल्कुल सामान्य तरीके से लेकर  श्मशान पंहुच चुके है! 

मतलब इतनी सामान्यता तो मध्यम आम लोगो के परिवारों में नही देखने को नही मिली।

चित्र देखकर विश्वास नही होता कि विश्व के इतने बड़े नेता अपनी माँ को सामान्य.....बाँस और घास की अर्थी को कंधा देकर चल रहे है इतनी सादगी से विदा कर रहा है! .... वाकई भूतों न भविष्यति ! 
 
 ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व को जन्म देने वाली माँ को .....शत शत नमन....  !!  

*विनम्र श्रद्धांजलि*

 जीवन पथ निर्माता होती है मां
हीरे से प्रधानमंत्री मोदीजी की जननी मातेश्वरी हीरा बने का निधन , अपूर्णीय क्षति - अरविन्द सिसौदिया

narendar modi mother's  heeraben death 

आया है सो जायेगा, राजा रंक फकीर
ऐक सिंहासन चढ़ि चले, ऐक बांधे जंजीर।

यही जीवन सत्य है।
जब एक स्कूटर बहुत ज्यादा खराब हो जाता है, उसे त्याब कर नया वाहन खरीद लिया जाता है, उसी तरह यह ईश्वरीय व्यवस्था है कि जब शरीर पूरी तरह जर्जर हो जाता है। तो ईश्वरीय व्यवस्था से ही यह शरीर छोड कर नये शरीर के लिये प्रस्थान कर जाता है। शरीर की मृत्यु को हम सब निधन कहते है।

जन्म लेनें वाले प्रत्येक प्राणी पर मां का बहुत बडा ऋण होता है। क्यों कि वह संतान का शरीर अपने शरीर से बनाती है। एक संतान की आंख कान नाक से लेकर सम्पूर्ण शरीर मां की कृपा से बनता है। यह ऋण कभी किसी भी तरह नहीं चुकाया जा सकता है। इसलिये किसी भी व्यक्ति के नाम के साथ मां का नाम अवश्य होना चाहिये। जीवन को सम्पूर्णता एक मां ही देती है। मां सिफ जन्म नही नहीं देती बल्कि उसे पाल पोस कर बडा करना, समाज में अच्छा व्यक्ति बनानें के लिये प्रयत्न करना, भूख प्यास का ध्यान रखना , सब कुछ मां ही तो करती है। संतान को नारकीय स्थितीयों में राजकुमार बना कर समाज जीवन में प्रवेश करवाये जानें तक मां ही सबसे बडी संरक्षक होती है। पिता का भी बहुत बडा रोल रहता है मगर वह मां के कार्यों के सामनें बहुत छोटा होता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा (हीराबेन) का शुक्रवार को निधन हो गया. उन्होंने इसी साल जून में अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया था. उनका जन्म 18 जून 1923 को मेहसाणा में हुआ था. हीराबेन की शादी दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी. दामोदरदास तब चाय बेचा करते थे. हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं. नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे. हीराबेन और दामोदरदास की दूसरी संतानें हैं - अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी और बेटी वसंती बेन हंसमुखलाल मोदी.

हीराबेन ताउम्र संघर्षशील महिला रहीं. पीएम मोदी कई बार अपनी मां के संघर्षों का भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं. साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद किया था. तब उन्होंने कहा था कि, ’मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं.’ तब मां की तकलीफों को याद करते हुए पीएम भावुक हो रो पड़े थे. पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी की मां हीराबेन 100 वर्ष का जीवन जी कर 30 दिसम्बर 2023 को देवलोक गमन कर गई हैं।


 भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मां हीराबेन को जो सम्मान दिया वह भी अद्भुत है। यह भारतीय संस्कृति की प्रेरणा ही है। जो करोड़ो करोड़ो नागरिकों को लम्बे समय तक प्रेरित करेती रहेगी।

 काम करो बुद्धि से, जीवन जियों शुद्धि से - मां हीराबेन
प्रधानमंत्री मोदी जी की माताजी ने छोटी उम्र से ही कष्टों को देख छेला ओर छत्रछाया बन कर अपनी संतानों को बडा किया । जब मोदी जी उनसे 100 वें जन्मदिवस पर मिलने पहुंचे तब भी उन्होनें मोदी जी को आर्शीवाद प्रदान करते हुये कहा था । काम करो बुद्धि से , जीवन जियों शुद्धि से ।

प्रधानमंत्री मोदी निश्चित रूप से राष्ट्रधर्म के मंदिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षण से ही भारतीय राजनीति के सिरमौर बननें की राह पर चले और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे । मगर यह मां हीराबेन का ही प्रभाव और संस्कार था कि वे भटक हुये नागरिक न बन कर देश के सफल प्रधान सेवक बनें । अन्यथा बिगडनें में क्या लगता है। एक दो आवारा दोस्त मिले और जीवन भटका ।

जो लोग गरीबी का जीवन जीते है। वे ही गरीबी को जानते हैं और उससे लडना जानते हैं । मेरा जीवन भी गरीबी की गर्त में रहा , मेनें गरीबी से अपनी मां के साथ बहुत संर्घष किये । एक गरीब घर में सबसे ज्यादा विपदा मां और मां की प्रथम संतानों को उठाने पडती है। बाद वाली संतानें सुख भी पाती हैं और उन्हे पता भी नहीं होता कि किन किन कष्टों से परिवार गुजरा है।

मातेश्वरी हीरा बने सो टका खरी मां थी तमाम उम्र कष्टों के दौर में भीसाहस से ईश्वर की नियती मानते हुये स्वाभिमान का जीवन जी ती रहीं । ईश्वर इस तरह की देवात्माओं को अपने ही लोक में स्थान प्रदान करता है। वे जहां हों सुखीं हों , ईश्वर उन्हे सुखपूर्वक रखे इसी कामना के साथ । 

जय श्रीराम ।
 


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