भारत हड़पो यात्रा - अरविन्द सिसौदिया


 


भारत हड़पो यात्रा - अरविन्द सिसौदिया

एक विश्लेषण

कांग्रेस के राजकुमार भारत जोडो यात्रा पर हैं। यह यात्रा उनके लिये सबसे अहम है क्यों कि इस यात्रा के बाद भी कांग्रेस विफल रही, लोकसभा 2024 के चुनावों में खास कुछ नहीं कर पाई ,तो कांग्रेस के लिये अंत होगा और आगे चल कर वह कई क्षेत्रीय पार्टियों में विभक्त हो जायेगी। जैसा कि 1996 में नरसिंह राव के नेतृत्व में हुये आम चुनावों के समय हुआ था।

कांग्रेस को इस यात्रा की सफलता को लेकर हमेशा ही संदेह रहा है क्यों कि वह इस यात्रा में धुर विरोधी लोगों को साथ लेकर चली और प्रत्येक प्रदेश के लिये उसने अलग अलग रणनीतियां बनाईं । जैसे केरल में वह गौ हत्यारों के नजदीक भी दिखी वह चर्च के साथ भी दिखी । वहीं वह उत्तर भारत में हिन्दूवादी दिखनें की अधिकतम कोशिश कर रही है। महाकाल के मंदिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की नकल करते राहुल जी दिखे।

इस यात्रा को लेकर जनता में कांग्रेस नें हमेशा भ्रम फैलाया कि यात्रा राजनीति से परे है। मगर कोई भी राजनैतिक देल राजनीति से परे तो हो ही नहीं सकता, वह कार्य को किसी भी तरह करे उसका मूल मकसद तो वोट बटोरना ही रहता है। राहुल गांध की यात्रा राजनीति से परे होती तो बयानों की बौछार कभी भी राजनैतिक नहीं होती । उनका एक भी बयान इस दौरान राजनीति से परे नहीं रहा । सभी बयान, टिविट राजनैतिक ही थे और वे पूरी तरह आक्रमक थे। इसलिये यात्रा तो राजनैतिक ही है।

राहुल गांधी ने लगातार मोदीजी और संघ पर प्रहार किये, सावरकर जी को कोसा, गोडसे का नाम भी लिया, विभाजन की तमाम बातें कहीं जिनसे देश सहमत नहीं है। फिर भारत जुडा कब !

राहुल गांध लाख मोदीजी का विरोध कर रहे हें, मगर वे नकल सभी मोदी जी की ही कर रहे हें। अविवाहित तो हें ही..! अब दाडी भी बडा ली !! बोलनें के अंदाज में भी मोदी दिखनें की कोशिश करते है। मगर उनकी हिन्दी आज भी अच्छी नहीं है।

 
कांग्रेस पार्टी के कारण ही विशेषकर नेहरूजी के कारण पाकिस्तान बना भी और बाद में भी चीन और पाकिस्तान को फायदा हुआ भी । पाकिस्तान ने पीओके हडप लिया और चीन ने तिब्बत हडप लिया । इसके बाद लगातार
पाकिस्तान और चीन से कांग्रेस पार्टी ने अच्छे सम्बंध बनाये रखे। पाकिस्तान जाकर कांग्रेस पार्टी मोदीजी को हटानें की सहायता मांगती है तो चीन जाकर चंदा लेकर आती है। सवाल वहीं खडा हो जाता है कि राष्ट्रहित की कसौटी पर आपकी विश्वसनीयता क्यों मानी जाये।

जब 1 से लेकर 10 तक की गिनती गिन कर किसानों का कर्ज माफ करते हैं और फिर यह बात थोथी साबित होती है। तो सामान्य विश्वसनीयता भी प्रश्नचिन्हित होती है। कांग्रेस राजकुमार की अनेकानेक बातें हवाहवाई रहीं है। इसीलिये भारत की जनता उन्हे गंभीरता से नहीं लेती।
कांग्रेस पर भारत तोडने का आरोप लगता है, कांग्रेस की एतिहासिक वादा खिलाफी भी भारत तोडना ही है। जब रावी के तट कांग्रेस अधिवेशन में अखण्ड भारत की शपथ ली गई थी तो भारत बंटा क्यों ! महात्मा गांधी बहुत भटकते फिरे कि भारत एक रहे, मगर उनकी न सुनने वाले प0 जवाहरलाल नेहरू ही थे। नेहरू अपनी शांती में खलल नहीं चाहते थे इसलिये उन्होने जिन्ना से पिण्ड छुडानें के लिये पाकिसतान बनने दिया। नेहरू के विरूद्ध पटेल खडे नहीं होते तो जम्मू और कश्मीर  तथा हैदराबाद भी भारत में नहीं होता ।  नेहरू जी डरते थे गोवा लेने तक की तो उनमें हिम्मत नहीं थी। पटेल को तीन दिन भी दिये होते तो पीओके भारत में ही होता । इसलिये यह तो माना ही नहीं जा सकता कि कांग्रेस भारत जोडने निकली है।

कांग्रेस या नेहरू परिवार भारत जोडनें की सोचता तो 1965 में और 1971 में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। हम पहले अपने पीओके को वापस लेते फिर समझौता करते । 1971 में में तो जबरिया पीओके वापस लेनें की स्थिती भी थी। पाकिसतान टूट चुका था, 90 हजार से ज्यादा पाकिसतानी सेना हमारे पास बंदी थी। जब बांगला देश पाकिसतान से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बन सकता है तो हम अपना पीओके क्यों नही ले सकते थे। मगर भारत को बडा बनाना ही कौन चाहता था। कांग्रेस ने भारत को हमेशा छोटा बनाने की ही सोची । इसी कारण भारत बंटा था।

राहुल गांधी की कांग्रेस पाकिस्तान और चीन की मित्र है, कैसे मान लिया जाये कि यह इन भारत विरोधी ताकतों से देश की रक्षा कर लेगी ।

सरी बातों का लव्वोलुआव यह है कि यात्रा तो 2024 की तैयारी ही है। मात्र लोकसभा चुनाव की तैयारी। राजनैतिक दृष्ठि से भारत जोडा से ज्यादा सटीक शब्द भारत हडपो यात्रा ही माना जा सकता है। आलोचना में यह शब्द ही अधिक उपयुक्त भी है।
जिस तरह से गुण दोष और विशेषतायें प्रत्येक पदार्थ में होता है, प्रत्येक व्यक्ति में होता है। वैज्ञानिक व्यवस्था है। इसी तरह इस यात्रा के गुण दोष और विशेषता सिर्फ इतनी ही है कि कांग्रेस ने एक बार फिर नई लेबिलिंग के जर्ये कांग्रेस राजकुमार की लोंचिंग की है। राजनैतिक दृष्टि से इसे कांग्रेस की भारत हडपो यात्रा नाम दिया जा सकता है।



 

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