राजस्थान जैसे कुर्सी युद्ध कि नींव हिमाचल में भी डल गई - अरविन्द सिसौदिया himachal pradesh
राजस्थान जैसे कुर्सी युद्ध कि नींव हिमाचल में भी डल गई - अरविन्द सिसौदिया
कांग्रेस हाई कमान में लोकप्रिय कांग्रेसी को हतास करने की परम्परा लम्बे समय से है। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी हुआ था । राजस्थान में सचिन पायलेट को दरकिनार किया गया। मध्यप्रदेश में महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार किया गया। सचिन कम साथियों के कारण कांग्रेस से रूस कर बाहर जाकर फिर से लौट आये। नम्अर गेम में खरे उतरनें से ज्योतिरादित्य नें मध्यप्रदेश में सरकार बदल दी , वे भाजपा सरकार में केबिनेट मंत्री हैं। पंजाब में बैठे बिठाये कैप्टिन अमिरन्दर सिंह की पगडी उछाल दी और अन्ततः वहां कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और भविष्य में वहां कांग्रेस बचेगी नहीं। पंजाब में अब भाजपा बडी पार्टी इसलिये बनेगी कि कैप्टन सिंह अब भाजपा में हें।
सब जानते हैं कि हिमाचल के राजा साहब वीरभद्र सिंह की साहनुभूति भुना कर उनकी प्रत्नि प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में हिमाचल जीता गया, ठीक वैसे ही जैसे सचिन पायलेट के नेतृत्व में राजस्थान जीता गया था। जब चुनाव परिणाम आ रहे थे तब ही से कयास लगनें लगे थे कि राहुल गांधी के निकट सुखविन्दर सिंह सिक्खू हैं वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे, भले ही प्रियंका की सदभावना प्रतिभा सिंह के साथ हो। हुआ भी यही वीरभद्र सिंह के परिवार से अन्याय हुआ भी। सचिन की ही तरह प्रतिभा सिंह भी मुख्यमंत्री पद से बंचित हैं।
हिमाचल में भाजपा कांग्रेस में 15 सीटों का अन्तर है। 3 निर्दलिय हैं। साल - डेढ साल में हिमाचल की यह सरकार खतरे में आती दिख रही है। सरकार बनी भी रहे तो भी कुर्सी युद्ध निरंतर रहनें वाला है, राजस्थान की तरह, क्यों कि प्रतिभा सिंह एवं स्व0 वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमसदित्य सिंह सदन में विधायक है। उन्हे मंत्री पद भी दिया जायेगा। इस तरह से एक धडा सदन में बना ही रहेगा जो सरकार को सिरदर्द देता रहेगा।
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