विज्ञान सम्मत है हिन्दू धर्म

 

 वैज्ञानिक कारण..! 
एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं..
एक दिन डिस्कवरी पर
जेनेटिक बीमारियों से
सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था , उस प्रोग्राम में
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की - जेनेटिक बीमारी न हो
** इसका एक ही इलाज है**
और वो है "सेपरेशन ऑफ़ जींस"
मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में
विवाह नही करना चाहिए
क्योकि
नजदीकी रिश्तेदारों में
जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता
और
जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे
हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की
100% चांस होती है ..
फिर बहुत ख़ुशी हुई
जब उसी कार्यक्रम में
ये दिखाया गया की
आखिर
"हिन्दूधर्म" में
********
हजारों-हजारों सालों पहले
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जींस और डीएनए के बारे में *
कैसे लिखा गया है ?
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हिंदुत्व में गोत्र होते है
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और
एक गोत्र के लोग
आपस में शादी नही कर सकते
ताकि
जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. *
उस वैज्ञानिक ने कहा की
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आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा की
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"हिन्दूधर्म ही"
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विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो
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"विज्ञान पर आधारित" है !
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हिंदू परम्पराओं से जुड़े
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ये वैज्ञानिक तर्क:
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1-
कान छिदवाने की परम्परा:
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भारत में लगभग सभी धर्मों में
कान छिदवाने की
परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
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दर्शनशास्त्री मानते हैं कि
इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है।
जबकि
डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली
अच्छी होती है और
कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का
रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
2-
माथे पर कुमकुम/तिलक
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महिलाएं एवं पुरुष माथे पर
कुमकुम या तिलक लगाते हैं 
वैज्ञानिक तर्क-
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आंखों के बीच में
माथे तक एक नस जाती है।
कुमकुम या तिलक लगाने से
उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है।
माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है,
तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है।
इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता
3- 
जमीन पर बैठकर भोजन
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भारतीय संस्कृति के अनुसार
जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है
वैज्ञानिक तर्क-
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पलती मारकर बैठना
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एक प्रकार का योग आसन है।
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इस पोजीशन में बैठने से
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मस्त‍िष्क शांत रहता है और
भोजन करते वक्त
अगर दिमाग शांत हो तो
पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही
खुद-ब-खुद दिमाग से 1 सिगनल
पेट तक जाता है, कि
वह भोजन के लिये तैयार हो जाये
4-
हाथ जोड़कर नमस्ते करना
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जब किसी से मिलते हैं तो
हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
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जब सभी उंगलियों के शीर्ष
एक दूसरे के संपर्क में आते हैं
और उन पर दबाव पड़ता है।
एक्यूप्रेशर के कारण उसका
सीधा असर
हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है,
ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें।
दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं
तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते।
अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।
5-
भोजन की शुरुआत तीखे से और
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अंत मीठे से
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जब भी कोई धार्मिक या
पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो
भोजन की शुरुआत तीखे से और
अंत मीठे से होता है।
वैज्ञानिक तर्क-
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तीखा खाने से
हमारे पेट के अंदर
पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं
इससे
पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है
अंत में
मीठा खाने से
अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है
इससे पेट में जलन नहीं होती है
6-
पीपल की पूजा
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तमाम लोग सोचते हैं कि
पीपल की पूजा करने से
भूत-प्रेत दूर भागते हैं। 
वैज्ञानिक तर्क-
%%%%%%
इसकी पूजा इसलिये की जाती है,
ताकि
इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े
और
उसे काटें नहीं
पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो
रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है
7-
दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना
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दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है
तो लोग कहते हैं कि
बुरे सपने आयेंगे
भूत प्रेत का साया आयेगा,poorvajon ka esthaan,आदि
इसलिये
उत्तर की ओर पैर करके सोयें
वैज्ञानिक तर्क-
%%%%%%
जब हम
उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं,
तब
हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है।
शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा
दिमाग की ओर संचारित होने लगता है
इससे अलजाइमर,
परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है
यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है
8-
सूर्य नमस्कार
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हिंदुओं में
सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते
नमस्कार करने की परम्परा है। 
वैज्ञानिक तर्क-
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पानी के बीच से आने वाली
सूर्य की किरणें जब
आंखों में पहुंचती हैं तब 
हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है
9-
सिर पर चोटी
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हिंदू धर्म में
ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे
आज भी लोग रखते हैं
वैज्ञानिक तर्क-
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जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है
उस जगह पर
दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं
इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है
और
इंसान को क्रोध नहीं आता
सोचने की क्षमता बढ़ती है।
10-
व्रत रखना
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कोई भी पूजा-पाठ, त्योहार होता है तो
लोग व्रत रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क-
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आयुर्वेद के अनुसार
व्रत करने से
पाचन क्रिया अच्छी होती है और
फलाहार लेने से
शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है
यानी
उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं
शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से
कैंसर का खतरा कम होता है
हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी
जल्दी नहीं लगते
11-
चरण स्पर्श करना
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हिंदू मान्यता के अनुसार
जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो
उसके चरण स्पर्श करें
यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं
ताकि वे बड़ों का आदर करें
वैज्ञानिक तर्क-
%%%%%%
मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा
हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए
एक चक्र पूरा करती है
इसे
कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं
इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है
या तो
बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक
या फिर
छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक
12-
क्यों लगाया जाता है सिंदूर
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शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं
वैज्ञानिक तर्क-
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सिंदूर में
हल्दी,चूना और मरकरी होता है
यह मिश्रण
शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है
इससे स्ट्रेस कम होता है।
13-
तुलसी के पेड़ की पूजा
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तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है
सुख शांति बनी रहती है। 
वैज्ञानिक तर्क-
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तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है
लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा तो
इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और
उससे बीमारियां दूर होती हैं।
 
On this earth, every living being is mortal but its soul is immortal. In Hinduism, we have a belief in reincarnation and transmigration of soul or spirit after the biological death depending upon the quality of work that a person has done in their past life. To attain Moksha is the aim in life of all human beings so that the almighty would send them back to the earth again and it is an endless continuous process until one achieves Moksha or liberation of life.

इस धरती पर प्रत्येक जीव नश्वर है लेकिन उसकी आत्मा अमर है। हिंदू धर्म में, हम किसी व्यक्ति द्वारा अपने पिछले जीवन में किए गए कार्य की गुणवत्ता के आधार पर जैविक मृत्यु के बाद आत्मा या आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं। मोक्ष प्राप्त करना सभी मनुष्यों के जीवन का लक्ष्य है ताकि सर्वशक्तिमान उन्हें फिर से पृथ्वी पर वापस भेज सके और यह एक अंतहीन सतत प्रक्रिया है जब तक कि कोई मोक्ष या जीवन मुक्ति प्राप्त नहीं कर लेता।

Most Hindus believe that birth – death and rebirth is a cycle of life that may be in different forms either as human beings or animals or insects or as even plants on the earth. According to Hinduism, the soul after clinical death either goes to Swarga Loka (Heavenly abode) or Narak Loka (Hell) depending upon the lifestyle, set of circumstances, the standard of living, way of acting or how much time it had devoted for mankind or worshipped the creator in their life span. Always we have to follow a sensible path in life because life provides us with huge possibilities and opportunities.

अधिकांश हिंदुओं का मानना ​​है कि जन्म - मृत्यु और पुनर्जन्म जीवन का एक चक्र है जो विभिन्न रूपों में या तो मनुष्य या जानवर या कीड़े या यहां तक ​​कि पृथ्वी पर पौधों के रूप में भी हो सकता है। हिंदू धर्म के अनुसार, नैदानिक ​​​​मृत्यु के बाद आत्मा या तो स्वर्ग लोक (स्वर्गीय निवास) या नरक लोक (नरक) में जाती है, जो जीवन शैली, परिस्थितियों के सेट, जीवन स्तर, अभिनय के तरीके या मानव जाति के लिए कितना समय समर्पित है। या अपने जीवन काल में निर्माता की पूजा की। हमें हमेशा जीवन में एक समझदार रास्ते पर चलना होता है क्योंकि जीवन हमें बहुत बड़ी संभावनाएँ और अवसर प्रदान करता है।

The lifestyle determines the Karma or the internal action, and hence, the Hindus believe that the good or bad actions of life foster the positive or negative merits for the rebirth of the soul. If our actions are good as humans, then there may be a chance to have rebirth as humans again or if we failed to do good Karma, then the soul may come back as an animal or even as tiny insects or plants, and the process of rebirth goes on until and unless the taste of life is completed. It is believed that the process of rebirth may take place as a plant even.

जीवन शैली कर्म या आंतरिक क्रिया को निर्धारित करती है, और इसलिए, हिंदुओं का मानना ​​है कि जीवन के अच्छे या बुरे कर्म आत्मा के पुनर्जन्म के लिए सकारात्मक या नकारात्मक गुणों को बढ़ावा देते हैं। यदि हमारे कर्म मनुष्य के रूप में अच्छे हैं, तो फिर से मनुष्य के रूप में जन्म लेने का मौका हो सकता है या यदि हम अच्छे कर्म करने में विफल रहे, तो आत्मा एक जानवर या छोटे कीड़े या पौधे के रूप में भी वापस आ सकती है, और प्रक्रिया पुनर्जन्म तब तक चलता रहता है जब तक कि जीवन का स्वाद पूरा नहीं हो जाता। ऐसा माना जाता है कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया एक पौधे के रूप में भी हो सकती है।

We have different plants, some known as Amrita Brikhha, whose fruits are offered for the worship of God, and some plants are poisonous. Behind these, it is again the Karma or action of life. In Hinduism, it is commonly believed that if you are committing the most serious offence either to your parents or Guru or any form of life, then you may come back to the lowest form of insect that is faeces beetle.

हमारे पास अलग-अलग पौधे हैं, कुछ अमृत बृक्षा के नाम से जाने जाते हैं, जिनके फल भगवान की पूजा के लिए चढ़ाए जाते हैं, और कुछ पौधे जहरीले होते हैं। इनके पीछे, यह फिर से कर्म या जीवन की क्रिया है। हिंदू धर्म में, आमतौर पर यह माना जाता है कि यदि आप अपने माता-पिता या गुरु या जीवन के किसी भी रूप में सबसे गंभीर अपराध कर रहे हैं, तो आप कीट के सबसे निचले रूप में वापस आ सकते हैं, जो कि मल भृंग है।

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