जनता जाये भाड़ में,कांग्रेस को चीन की पडी, क्या तमाशा है - अरविन्द सिसौदिया china soniya gandhi MOU
जनता जाये भाड़ में,कांग्रेस को चीन की पडी, क्या तमाशा है
- अरविन्द सिसौदिया
संसद के शीतकालीन सत्र में सबसे महत्वपूर्ण मसला चीन में, कोरोना वायरस की नई किस्म से हो रही जनधन की हॉनी एवं हाहाकार का होना चाहिये था। यदि में विपक्ष की किसी भी पार्टी का नेता होता तो सबसे पहले इस मुद्दे पर चर्चा करवानें के लिये तमाम संसदीय प्रक्रिया के उपाय करता । क्यों कि मसला सिर्फ चीन का नहीं बलिक उससे सटे हमारे अपने भारत देश का भी है। यह संक्रमण कब भारत में आ कर हालात बिगाड दे , इसकी कोई भी गांरंटी न थी और न है ।
कांग्रेस ने कोरोना का मसला इसलिये नहीं छुआ कि चीन नहीं चाहता उसका सच बाहर जाये । वह सब कुछ छिपाये रखना चाहता है, इसलिये हमारे यहां चीन से एम ओ यू किये हुये मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मसले को छुआ तक नहीं । बल्कि जब यह मामला उनके ही हिमाचल के मुख्यमंत्री सुक्खू के कोरोना पॉजिटिव होनें और कॉरेन्टाईन होने से चिन्ता का विषय बना तो उसे दबानें में पूरी ताकत लगा दी गई।
चीन की सीमा पर झडपें होना निश्चित ही एक गंभीर मसला है, अब भारत चीन की सैनाओं को खदेडनें लगा है। पूरी ताकत से प्रतिरोध करता है। अब पीछे नहीं हटता बल्कि उससे टकराता है मरता मारता है। यह स्थिती 2014 के बाद की वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रबंधन और प्रतिक्रिया से, सेना में उत्पन्न आत्म विश्वास के कारण बनीं है। अन्यथा 2013 तक की स्थितियां भी सब जानते है। जब सैंकडों बार चीन सीमा पर अतिक्रमण करता रहता था कोई आवाज तक नहीं आती थी। शुतर्मुर्ग की तरह अपनी गर्दन नीचे किये सामनें देखनें का साहस नहीं हुआ करता था। तब यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार हुआ करती थी।
तवांग में भारत की सेना ने चीन को खदेडा है, इसकी पुष्ठि स्वयं चीन ने भी अपरोक्षरूप से की ही है। देश के सामनें सच आ चुका था शेष कुछ नहीं था । बमेरिका ने भी माना है कि भारत पूरी ताकत से जबाव दे रहा है। मगर चीन चाहता था कि विश्व के सामनें उसे जीता हुआ दिखाया जाये और भारत को हारा हुआ दिखाया जाये। चीन की इस इच्छा को पूरी करने में एम ओ यू सुदा कांग्रेस अपने कुछ साथियों के साथ परी ताकत से जुट गई। स्वयं सोनिया गांधी जी भी मैदान में उतर आईं ।
कोरोना की नई किस्म के कारण , चीन में जो हालात हैं वे डरावनें हें। माना जाता है कि वहां कि 60 प्रतिशत आबादी कोरोना से ग्रसत हुई और मृत्यु दर भी ज्यादा रही है। स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बुखार की गोलियों से लेकर मृतकों के अंतिम संस्कार तक में सिर्फ अभाव ही अभाव है। कोई व्यवस्था नहीं है सब कुछ भगवान भरोषे पर है। यह बहुत ही डरावना दृष्य है। सबसे बडी चिन्ता की बात कि यह हमारी सीमा से सटे देश में है। कब इसका पदार्पण यहां हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता ।
भारत 140 करोड लोगों का देश है। माना कांग्रेस के लिये भारतीयों के जीवन का कोई मूल्य नहीं , मगर मोदी सरकार के लिये सभी भारतीय मूल्यवान हैं। देश के विभाजन में 20 लाख लोगों की जान जानें का दुख कभी कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू ने व्यक्त नहीं किया। डेढ करोड लोगों को बेघर करने का पाप करने वाली कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू ने कभी अफसोस व्यक्त नहीं किया । जिन्ना की सनक पर अखण्ड भारत को तबाह करने की अपराधी कांग्रेस है, विभाजन पर दस्तखत करने वाले जवाहरलाल नेहरू हैं।
कांग्रेस के नाम कई नरसंहार लिखे हुये है। महात्मा गांधी की हत्या पं. जवाहरलाल नेहरू के कुप्रबंधन के कारण हुई,सजा निर्दोष ब्राहम्णों को मिली, उनका कत्लेआम हो गया। प्रधानमंत्री इन्दिराजी के शासन में गौ भक्तों पर गोलियां चला कर किया गया नरसंहार किसी से छुपा नहीं है। श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्यवाही के कारण हुई, पूरे देश में निर्दोष सिखों के गले में टायर डाल डाल कर जला दिया गया । अकेले दिल्ली में ही 5000 के लगभग की यह संख्या थी।
राजीव गांधी की हत्या लिट्टे ने की, क्यों कि राजीव गांधी ने भारत की सेना श्रीलंका में भेजी थी और उस सेना ने श्रीलंका में हजारों तमिलों लिट्टे से जुडे लोगों का नरसंहार किया था। इसमें भारत के सैनिक भी बडी संख्या में बलिदान हुये थे। स्वयं राजीव गांधी पर हमला श्रीलंका दौरे के दौरान हुआ था।
कश्मीरी में लगातार कई वर्षों तक जनता कबूतरों की तरह भूनी जाती रही, तो देश में आतंकवाद और अग्रवाद और माओवाद ने कहर बरपाया था।
निश्चित रूप से भारत की जनता की जान की कीमत कांग्रेस पार्टी के लिये या नेहरू परिवार के लिये कुछ भी न हो , मगर देश का एक एक नागरिक अपना जीवन रखता है, उसे जीनें का अधिकार है। उसके जीवन की रक्षा का वचन संविधान देता है। कोरोना की नई किस्म के द्वारा मचाई जा रही भयंकर तवाही के चलते कांग्रेस को संसद में इसकी चर्चा को प्रमुखता से करवाये जानें पर जोर देना चाहिये था। जिस पर वह चुप रही है। उसने चीन को लाभ पहुचानें का काम किया है।
मोदी सरकार के स्वास्थय मंत्री ने कांग्रेस के राजकुमार को सर्तक किया तो पूरी पार्टी आग बबूला हो गई। अजी राहुल गांधी जी की यात्रा में ही , 100 वें दिन के अवसर पर हिमाचल के नये नये बनें मुख्यमंत्री सुखविन्दसिंह सुक्खु सम्मिलित हुये थे, वे राहुल गांधी के साथ भी चले, गले भी मिले और फिर कोरोना पॉजिटिव पाये गये। काफरेन्टाईन हुये उनके सभी कार्यक्रम निरस्त किये गये वे हिमाचल भवन में क्वारेन्टाईन है। यह सबूत था और इसीलिये सर्तक किया गया था। इस पर धन्यवाद आना चाहिये था। मगर केन्द्रीय स्वस्थ्य मंत्री को क्या पता कि वे बर्र के छत्ते में हाथ डाल बैठे ।
खैर कांग्रेस चर्चा करे न करे, चीन के एजेण्डे पर चले....भारत को कोई फर्क नहीं पडता....क्यों कि चौकीदार सर्तक है। भारत समझदार और सर्तक हाथों में है।
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