अनसुने को सुनने की क्षमता ही श्रेष्ठ प्रशासक की निशानी है Good governance



वो सुनो जो कभी नहीं सुना गया हो

बहुत समय पहले की बात है,नयासर के एक राजा ने अपने बेटे को अच्छा शासक बनाने के उद्देश्य से गुरु जी के पास भेजा।

गुरु जी ने कुछ दिन अपने साथ रखने के बाद युवराज गुर्वित को एक साल के लिए जंगल में अकेले रहने के लिए भेज दिया।

जब युवराज गुर्वित लौटे तो गुरु जी ने पूछा, "बताओ तुमने जंगल में क्या सुना?"

"मैंने कोयल की कूक सुनी, नदियों की कल-कल सुनी, पत्तियों की सरसराहट सुनी, मधुमक्खियों की गुंजन सुनी, मैंने झींगुरों का शोर सुना, हवा की धुन सुनी…" युवराज अपना अनुभव सुनाता चला गया।

जब युवराज गुर्वित ने अपनी बात पूरी कर ली तब गुरु जी बोले, "अच्छा है, अब तुम एक बार फिर जंगल जाओ और जब तक तुम्हे कुछ नयी आवाजें ना सुनाई दे दें तब तक मत लौटना।

एक साल जंगल में बिताने के बाद युवराज अपने राज्य को लौटना चाहता था, पर गुरु जी की बात को टाल भी नहीं सकता था, इसलिए वह बेमन ही जंगल की ओर बढ़ चला।

कई दिन गुजर गए पर युवराज को कोई नयी आवाज़ नहीं सुनाई दी। वह परेशान हो उठा। उसने निश्चय किया कि अब वह हर आवाज़ को बड़े ध्यान से सुनेगा!

फिर एक सुबह उसे कुछ अनजानी सी आवाजें हल्की-हल्की सुनाई देने लगीं. इस घटना के कुछ दिनों बाद वह गुरु जी के पास वापस लौटा और बोला, "पहले ती मुझे वही ध्वनियाँ सुनाई दीं जो पहले देती थीं, लेकिन एक दिन जब मैंने बहुत ध्यान से सुनना शुरू किया तो मुझे वो सुनाई देने लगा जो पहले कभी नहीं सुनाई दिया था…. मुझे कलियों के खिलने की आवाज सुनाई देने लगी, मुझे धरती पर पड़ती सूर्य की किरणों, तितलियों के गीत, और घांस द्वारा सुबह की ओस पीने की ध्वनियाँ सुनाएं देने लगीं…."

यह सुनकर गुरु जी खुश हो गए और मुस्कुराकर बोले, "अनसुने को सुनने की क्षमता होना एक अच्छे राजा की निशानी है। क्योंकि जब कोई शासक अपने लोगों के दिल की बात सुनना सीख लेता है, बिना उनके बोले, उनकी भावनाओं को समझ लेता है, जो दर्द बयाँ न किया गया हो उसे समझ लेता है, अपने लोगों की अनकही शिकायतों को सुन लेता है, केवल वही अपनी प्रजा का विश्वास जीत सकता है, कुछ गलत होने पर उसे समझ सकता है और अपने नागरिकों की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरी कर सकता है।"

शिक्षा.....

मित्रों, अगर हमें अपनी क्षेत्र का लीडर बनना है तो हमें भी वो सुनना सीखना चाहिए जो नहीं कहा गया है। यानी हमें उस युवराज की तरह बिलकुल सावधान हो कर अपना काम करना चाहिए और अपने साथ काम करने वालों की ज़रूरतों और भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए तभी हम खुद को एक अच्छे लीडर की तरह स्थापित कर सकेंगे।

     सदैव प्रसन्न रहिये।

   

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

भारत नें सालों तक याद रखने वाला सबक पाकिस्तान को सिखाया है - प्रधानमंत्री मोदी PM Modi

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

योगिराज श्यामा चरण लाहिरी महाशय Yogiraj Shyama Charan Lahiri Mahasaya

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो

कांग्रेस का पाकिस्तान को बचाने का ये षड्यंत्र देशवासी समझ चुके है - अमित शाह Amit Shah Lok Sabha

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग