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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शक्तिशाली और विस्तारित होने का रहस्य

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जानिए : आरएसएस के शक्तिशाली और विस्तारित होने का रहस्य  ' - लखेश्वर चंद्रवंशी 'लखेश' राष्ट्रीय   स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सारी दुनिया के चिंतन का केन्द्रीभूत विषय बन गया है। संघ जहां धर्म, अध्यात्म, विश्व कल्याण और मानवीय मूल्यों की रक्षा करनेवालों के लिए शक्ति स्थल है, वहीं वह हिन्दू या भारत विरोधी शक्तियों के लिए चिंता और भय कम्पित करनेवाला संगठन भी है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में ख्यात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना सन 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुआ। पराधीन भारत में जन्में इस संगठन के विस्तार की राह आसान नहीं थी। संघ को रोकने के लिए विरोधी पग-पग पर कांटें बोते रहे पर वे संघ के संगठन शक्ति को रोक नहीं पाए। आखिर, संघ के मूल में ऐसी कौन सी शक्ति छिपी है जिसने उसे इतना बड़ा कर दिया कि आज वह दुनिया के बुद्धिजीवियों के ध्यानाकर्षण का केन्द्र बन गया है। यही प्रश्न संघ के प्रशंसकों, विरोधियों और शोधकर्ताओं के मन में उठता है। इसलिए इन प्रश्नों के उत्तर यदि चाहिए तो सबको संघ संस्थापक एवं आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के विचारों को उचि

शक्तिशाली संघ के रहते ‘आपातकाल’ कैसे टिक सकता था ?' - लखेश्वर चंद्रवंशी 'लखेश'

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शक्तिशाली संघ के रहते ‘आपातकाल’ कैसे टिक सकता था?' - लखेश्वर चंद्रवंशी 'लखेश' 25 जून, 1975   की काली रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आपातकाल’ (Emergency) लगाकर देश को लगभग 21 माह के लिए अराजकता और अत्याचार के घोर अंधकार में धकेल दिया। 21 मार्च, 1977 तक भारतीय लोकतंत्र ‘इंदिरा निरंकुश तंत्र’ बनकर रह गया। उस समय जिन्होंने आपातकाल की यातनाओं को सहा, उनकी वेदनाओं और अनुभवों को जब हम पढ़ते हैं या सुनते हैं तो बड़ी हैरत होती है। आपातकाल के दौरान समाचार-पत्रों पर तालाबंदी, मनमानी ढंग से जिसे चाहें उसे कैद कर लेना और उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देना, न्यायालयों पर नियंत्रण, ‘न वकील न दलील’ जैसी स्थिति लगभग 21 माह तक बनी रही। आज की पीढ़ी ‘आपातकाल की स्थिति’ से अनभिज्ञ है, वह ऐसी स्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकती। क्योंकि हम लोग जो 80 के दशक के बाद पैदा हुए, हमें ‘इंदिरा के निरंकुश शासन’ के तथ्यों से दूर रखा गया। यही कारण है कि हमारी पीढ़ी ‘आपातकाल’ की जानकारी से सरोकार नहीं रख सके। हम तो बचपन से एक ही बात सुनते आए हैं कि इंदिरा गांधी बहुत सक्षम और सुदृढ़ प्रधानमंत

आपातकाल के संघर्ष को याद रखना नई पीढ़ी के लिए जरूरी है : अमित शाह

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी द्वारा आपातकाल के ४० वर्ष - लोकतंत्र का काला अध्याय विषय पर आयोजित संगोष्ठी पर दिये गये भाषण के प्रमुख अंश आपातकाल ना तो अध्यादेशों से आता है और ना ही अध्यादेशों को लाने के विचारों से आता है, आपातकाल कुत्सित मानसिकता से आता है: अमित शाह आपातकाल के संघर्ष को याद रखना नई पीढ़ी के लिए जरूरी है: अमित शाह इतना संघर्षऔर दमन होने के बावजूद न कोई टूटा और न ही कोई झुका। वास्तव में भारत के मिटटी में लोकतंत्र की खुशबू बहुत गहरी है: अमित शाह आज जो हमारा लोकतंत्र इतना मजबूत है, जो मीडिया की स्वतंत्रता बची है और लोगों की अभिव्यक्ति की जो स्वतंत्रता व्यापक हुई है वह आपातकाल के दौरान उन हज़ारों लोगों के बलिदान के फलस्वरूप ही संभव हो पाया है: अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज दिल्ली के मावलंकर हॉल में आपातकाल के ४० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी "लोकतंत्र का काला दिवस" को सम्बोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत करते हुये सर्वप्रथम उनलोगों को श्रद्धा-सुमन अर्प

“जम्मू और कश्मीर” डॉ0 मुखर्जी के बलिदान से ही भारत में - महेश विजयवर्गीय

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प्रेस विज्ञप्ति महासम्पर्क अभियान पखवाडे़ का शुभारम्भ सम्पर्क अभियान सामग्री का वितरण किया गया डॉ0श्यामाप्रसाद मुखर्जी बलीदान दिवस संगोष्ठि “जम्मू और कश्मीर” डॉ0 मुखर्जी के बलिदान से ही भारत में - महेश विजयवर्गीय 23 जून कोटा । भाजपा शहर जिला कोटा के द्वारा महासम्पर्क अभियान 2015 के तत्वाधान में जनसंघ के संस्थापक डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखजी के 23 जून बलिदान दिवस से 6 जुलाई जयंती तक विशेष सम्पर्क अभियान चलाया जायेगा। इसीक्रम में मंगलवार सायं 5 बजे स्वर्णरजत कला मार्केट , सब्जिमण्डी के हाल में बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसके मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि , पूर्व जिला अध्यक्ष एवं कोर कमेटी सदस्य महेश विजयवर्गीय थे एवं अध्यक्षता जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय ने की । इस अवसर पर उपमहापौर श्रीमती सुनीता व्यास, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हनुमान शर्मा एवं वरिष्ठ भाजपा नेता जटाशंकर शर्मा मंचस्थ थे। संचालन जिला महामंत्री अरविन्द सिसोदिया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जिला महामंत्री अमित शर्मा ने किया तथा सूचनायें जिला महामंत्री जगदीश जिंदल ने दी। स्वागत जिला उपाध्यक्ष कृष्णकुमार सोनी र

कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए नया मार्ग खुला

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कैलास मानसरोवर यात्रा दूसरा मार्ग नई दिल्ली। चीन ने भारत के साथ ताजा विश्वास बहाली उपायों के तहत कैलाश-मानसरोवर यात्रा में भारतीय श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को इजाजत देते हुए नाथू ला होकर तिब्बत जाने का दूसरा मार्ग खोल दिया। समुद्र तल से 4,000 मीटर की उंचाई पर सिक्किम में नाथू ला के हिमालयी दर्रे से होकर दूसरे मार्ग को खोले जाने की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले महीने चीन के दौरे के दौरान हुई थी। इससे और अधिक श्रद्धालुओं को इस पवित्र यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा। लिपूलेख दर्रा के अलावा यह एक नया मार्ग है। 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ की वजह से इस मार्ग को बहुत ज्यादा क्षति पहुंची थी। इस वार्षिक यात्रा के लिए 44 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे ने सिक्किम में भारत की ओर से सीमा को पार किया और तिब्बत की ओर चीनी अधिकारियों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। तिब्बत में तकरीबन 6,500 मीटर की उंचाई पर स्थित कैलाश के लिए विभिन्न उम्र समूहों और भारत के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने नाथू ला दर्रा पार किया। इस साल यात्रा में हिस्सा लेने के लिए 250 लोगों के पहले जत्थे को

सम्पूर्ण प्राणी जगत के कल्याण की सोच ही हमें “ विश्वगुरू” बनायेगी - दामोदर प्रसाद शांडिल्य

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विश्व योग दिवस के क्रम में कार्यक्रम सम्पूर्ण प्राणी जगत के कल्याण की सोच ही हमें “ विश्वगुरू” बनायेगी - दामोदर प्रसाद शांडिल्य 21वीं सदी विश्व में भारतीय संस्कृति के अभ्युदय की होगी- - दामोदर प्रसाद शांडिल्य 21 जून। सम्पूर्ण प्राणी जगत के कल्याण की सोच ही हमें “ विश्वगुरू” बनायेगी, हमारी भारतीय संस्कृति बिना किसी भेद के सम्पूर्ण प्राणी जगत के कल्याण और उन्नती के मार्ग पर चलती है। इसी आचार - विचार और भावना से ही विश्व का कल्याण होगा। अब 21 वीं सदी भारतीय संस्कृति के विश्वव्यापी अभ्युदय की होगी। यह उद्गार भारतीय जनता पार्टी, शहर जिला कोटा की ओर से विश्व योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि से रूप में दामोदर प्रसाद शांडिल्य ने व्यक्त किऐ। वे वरिष्ठ साहित्यकार , लेखक एवं जनसंघ कालिक भाजपा नेता हैं। ट्रैफिक गार्डन मौजीबाबा की गुफा के पास आयोजित कार्यक्रम ठीक प्रातः 6.15 बजे प्रारम्भ हुआ, प्रारम्भ में योग गुरू एवं जनसंघ कालिक भाजपा कार्यकर्ता सत्यनारायण सैन ने सभी को योग अभ्यास करवाया तथा विभिन्न बीमारियों से दूर रहने के तरीके बताये। स्वांस-प्रस्व

भारतीय ज्ञान की श्रेष्ठता के सम्मान का ऐतिहासिक दिन

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21 जून विश्व योग दिवस: उत्सवपूर्वक मनायें रंग लाई मोदी की मुहिम, UN ने किया 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने का ऐलान aajtak.in [Edited By: अमरेश सौरभ] | नई दिल्ली, 11 दिसम्बर 2014  संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने का ऐलान किया है. भारतीयों के लिए गर्व की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएन से योग दिवस मनाए जाने की अपील की थी. वैसे तो योग हजारों साल से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में इसका प्रचार-प्रसार हो चुका है. यूएन के ऐलान के बाद अब इसका फैलाव और तेजी से होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि बीते 27 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रस्ताव पेश किया था कि संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत करनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में मोदी ने कहा था कि भारत के लिए प्रकृति का सम्मान अध्यात्म का अनिवार्य हिस्सा है. भारतीय प्रकृति को पवित्र मानते हैं. उन्होंने कहा था कि योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है. यूएन में प्रस्ताव रखते वक्त मोदी ने योग की अहमियत बताते हुए कहा था, 'योग

विश्व योग दिवस : भारतीय विरासत की वैश्विक पहचान' : शिशिर सिन्हा

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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : भारतीय विरासत की वैश्विक पहचान' शिशिर सिन्हा (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) दिनांक - 14 जून, दिन - रविवार, समय – सुबह के पांच बजे, स्थान – नयी दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम। आम तौर पर रविवार के दिन दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर सुबह-सुबह सैर, व्यायाम या योग करने वालों की संख्या कम ही दिखती है। वजह, सप्ताह भर की थकान को उतारने के लिए रविवार को देर तक सोने का चलन आम है। लेकिन 14 जून रविवार को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में तड़के चार बजे से ही बड़ी तादाद में हर उम्र के लोगों का जुटना शुरु हो गया था। मौका था, ठीक सात दिन बाद होने वाले अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस के पूर्व योग गुरु रामदेव की ओर से आयोजित प्रशिक्षण लेने का। एक अनुमान के मुताबिक, पांच हजार से भी ज्यादा लोगों ने जहां इस शिविर में भाग लिया, वहीं टेलीविजन के माध्यम से देश विदेश में करोड़ों लोग जुड़े। यह तो महज प्रशिक्षण शिविर था ताकि लोग सात दिनों के बाद देश दुनिया में कहीं भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सहभागी बने। इसी के साथ योग में विश्वास की बेहद बड़ी बानगी दिखेगी। वैसे तो हम भारतीय आदि अन

न्यूयार्क में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जुटेंगे 30 हजार लोग

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न्यूयार्क में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जुटेंगे 30 हजार लोग By  एजेंसी Wednesday, 17 June 2015 न्यूयार्क: अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 30 हजार से अधिक लोग जुटेंगे और टाइम्स स्क्वेयर पर योग करेंगे. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दुनिया के विभिन्न देशों के नेता और राजनयिक योग करेंगे. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई दूत अशोक कुमार मुखर्जी ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि मुख्य कार्यक्रम का आयोजन ईस्ट रीवर के किनारे किया जाएगा. कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून संबोधित करेंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम कुतेसा तथा भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी इस अवसर पर अपनी बात रखेंगे और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को समर्थन देने वाले देशों के प्रतिनिधियों से मुखातिब होंगे. आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर योग के फायदों पर व्याख्यान देंगे. वह वीडियो लिंक के जरिये टाइम्स स्क्वेयर पर भी हजारों लोगों को योग के बारे में बताएंगे. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए अपने संदेश में बान ने कहा, &

सुषमा स्वराज ने नए मार्ग नाथू ला दर्रे के के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को हरी झंडी दिखाई

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सुषमा स्वराज ने नए मार्ग के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को हरी झंडी दिखाई  Tuesday, June 16, 2015 नई दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज नए मार्ग नाथू ला दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई । इस नए मार्ग की घोषणा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सितंबर में अपनी भारत यात्रा के दौरान घोषणा की थी । उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली यात्रा के मौजूदा रास्ते की तुलना में समुद्र तल से 4,000 मीटर की उंचाई पर स्थित हिमालय का नाथू ला दर्रा भारतीय तीर्थयात्रियों, खासकर बुजुर्गों के लिए बसों के जरिए अधिक आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करेगा । सुषमा ने कहा, ‘मैं आज कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के जत्थे को झंडी दिखाकर दो कारणों से खुश हूं । पहला, यह कि मैंने बुजुर्ग लोगों को यात्रा करने में सक्षम बनाने का पिछले साल जो वायदा किया था, वह पूरा हो रहा है और दूसरा यह कि मुझे इन लोगों के चेहरों पर खुशी दिखाई दे रही है जो अन्यथा यात्रा करने में सफल नहीं होते ।’ ब्रिटेन से यात्रा दस्तावेज हासिल कराने में आईपीएल के पूर्व

राष्ट्र सेवा के व्रती गढ़ने का उपक्रम: संघ शिक्षा वर्ग

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राष्ट्र सेवा के व्रती गढ़ने का उपक्रम: संघ शिक्षा वर्ग नागपुर की भयंकर गर्मी की तपिश को सहते हुए कश्मीर से ले कर कन्याकुमारी तक और गुजरात से मणिपुर तक के ये युवा सुबह ५ बजे से रात्रि १० बजे तक अविरत कार्यमग्न रहते हैं. नागपुर के रेशिमबाग में यह दृश्य पिछले लगभग तीन सप्ताह से लोगों के परिचय का हो चूका हैं. शुरू में लगनेवाले आश्चर्य का स्थान अब इस युवकों के प्रति स्नेह और प्यार में परिवर्तित हो चूका हैं. जी हाँ, ये दृश्य है नागपुर में प्रतिवर्ष होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का. हर वर्ष देश के विभिन्न प्रान्तों से स्वयंसेवक नागपुर आते हैं. संघ संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार और द्वीतीय सरसंघचालक पूजनीय माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के कर्मस्थली में उनकी समाधी की छत्रछाया में संघकार्य का प्रशिक्षण ग्रहण करते हैं और अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जाकर संघ का हिन्दू समाज के संघटन का काम करने हेतु स्वयं को तैयार करते हैं. पिछले लगभग ८५ वर्षीं से यह साधना अखंड चल रही हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आर एस एस यह नाम आज देश-विदे

समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज निर्माण संघ कर रहा है – प.पू. डॉ. मोहनजी भागवत

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समतायुक्त, समतायुक्त,शोषणमुक्त समाज निर्माण संघ कर रहा है – डॉ. मोहनजी भागवत सरसंघचा लक प.पू. डॉ मोहन जी भागवत समारोप कार्यक्रम में संबोधित करते हुए नागपुर. सरसंघचालक प.पू. डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि भारत में, हर क्षेत्र में आज बदलाव का अनुभव हो रहा है. दुनिया में भारत की मान-प्रतिष्ठा बढ रही है, भारत के प्रति दुनिया की आशा-आकांक्षा बढ़ रही है. सरसंघचालक जी रेशिमबाग परिसर में तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. भारत के प्रति दुनिया के इस बदले हुए दृष्टिकोण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि, भारत के प्रधानमंत्री द्वारा ‘योग दिवस’ के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव रखते ही, यह प्रस्ताव चर्चा के बिना ही तीन चौथाई से मतों पारित हो गया. दुनिया भारत द्वारा पहल करने की राह देख रही  थी. उन्होंने कहा कि शक्ति के क्षेत्र में जिसकी शक्ति बढ़ती है, उसकी प्रतिष्ठा बढती है. आर्थिक-सामरिक क्षमता के आधार पर ऐसा होता है. लेकिन समयचक्र बदलने पर उस देश की मान और प्रतिष्ठा भी कम हो जाती है. किंतु भारत के संदर्भ में ऐसा नहीं है. भारत अपने अस्तित्व