पद्मावत का विरोध क्यों ?



पद्मावत का विरोध क्यों? इन पर भी ध्यान देना जरूरी ..
- सुमन वर्मा की वाल से
(1). दीपिका पादुकोण को रानी पद्मावती का पात्र क्यों दिया? जो आज साड़ी में है और कल बिकिनी पोज़ देगी। अगर कल महाभारत में Sunny Leone को द्रौपदी का पात्र दे तो कैसा रहेगा?
(2). जो अलाउद्दीन खिलजी पांच फुटिया और बकरे जैसा दिखता था। उसे Six Pack physique में क्यों दिखाया जा रहा है? क्या ये इतिहास से छेडखानी नही?
(3). Trailer में आप सभी ने देखा। राणा रतन सिंह, यानी शाहिद कपूर को Shirtless दिखाया। उसे बिना जनेऊ के दिखाया गया। क्या राणा रतन सिंह के माता पिता ने उनका उनपनयन संस्कार नही करवाया था? एक और छेडखानी।
(4). इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि Movie में गोरा और बादल कर कोई किरदार है ही नही। और Movie में रानी पद्मावती रतन सिंह को लड़ कर नही भगा कर लेके आती है। माने राजपूत भगोड़े है?
(5). भंसाली कहता है कि यह कहानी प्रेरित है असली किरदारों से कोई लेना देना नही।
यदि असली कहानी पर ही बना देता, सही इतिहास के साथ तो क्या इसकी नानी मर जाति?
यह एक सोची समझी साजिश है। इसे मनो वैज्ञानिक भाषा मे Subversion कहते है। बौद्धिक माध्यम से कोई बात दिमाग मे घुसा देना। USA में लोगो को Russia के खिलाफ बढकाने के लोए आज तक Hollywood में Russians और Chinese को villain दिखाया जाता है।
Movie देखते समय, आँखे, कान और मस्तिष्क तीन इंद्रिया एक्टिव होती है। उससे सबसे तेजी से दिमाग मे बाते घुसती है। All Is Well नामक एक डायलाग मूवी में आया और पूरा देश उसे बोलने लगा। तो सोचिये एक छोटा बच्चा जब यह मूवी देखेगा तो उसके लिए तो यही सत्य हो जाएगा।


तो फिर पद्मावत फ़िल्म पर बेन क्यों नही

- अनिल डागा जी की वाल से...
जब 22 साल के अनुराग कश्यप नें एक फिल्म बनायी थी black friday, बंबई बम धमाकों के असल किरदारों पर,
बंबई बम धमाके जिनके किरदार दाऊद, याकूब और कंपनी थे।
इसे ग्रांड ज्यूरी प्राईज दिया गया Indian film festival of los Angels द्वारा।
कहते हैं कि हुसैन जैदी (जो कि खुद मुस्लिम हैं) ने तीन साल दिन रात एक कर के इस सारे प्रकरण पर रिसर्च करी थी।
पर हाय, फिल्म पर बांबे हाईकोर्ट द्वारा 2004 में प्रतिबंध लगाया गया, कारण?
एक समुदाय की भावनाओं को ठेस।
आतंकवादीयो को आतंकवादी कहना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, क्यों??
कारण एक ही है, कुछ लोग मानते थे उन्होंने सबाब का काम करा, खैर...
टॉम हैंक्स के पूरे फिल्मी करियर में दो फिल्में सबसे यादगार हैं, उनके बेमिशाल अभिनय की प्रतिमा।
सेविंग प्राइवेट रेयान और द विंची कोड,,
2006 में आयी दूसरी फिल्म द विंची कोड पर भारत के चार राज्यों नागालैंड, पंजाब, तमिलनाडु और गोवा में बैंड लगा दिया गया।
कारण यह पिक्चर ईसाई(कैथोलिक समाज) की भावनाओं को ठेस पंहुचाती है।
ये तो आधिकारिक बैन था, सरकार ने पायरेटेड सीडी भी ब्लाक कर दी थी,
मुझे याद है मैं तब b. sc में पडता था, और फिल्म की एक पायरेटेड सीडी ढूंढने में पूरा साल लग गया था।
एक फिल्म बनी थी 2005 में Sins, बैन कर दी गयी।
कारण कहानी एक इसाई(Preast) द्वारा महिलाओं का शोषण दिखाया गया था।
इस से भी भावनाओं को काफी ठेस पहुंची।
आप कभी गूगल पर सर्च करना, best song of kishore kumar और हर एक juke box में एक गाना जरूर आपको मिलेगा,,
"तेरे बिना जिंदगी से कोई, शिकवा, तो नंही"
संजीव कुमार और किशोर दा के कैरियर की माईलस्टोन मूवी को कांग्रेस सरकार द्वारा बैन कर दिया था।
ये गाना निर्धारित तिथी से 26 हफ्ते यानी 182 दिन बाद सुना लोगों ने,, पूरे 182 दिन बाद।
कारण इस पिक्चर को कांग्रेस को ठेस देने वाला बताया गया था।
याद है 2013 में आयी पिक्चर "विश्वरूपम"
ये मामला थोडा सा अलग है, कोर्ट और सेंसर बोर्ड ने रिलीज की अनुमति दे दी थी।
पर जललिता सरकार ने इसे मुस्लिम विरोधी मानते हुए तमिलनाडु में बैन कर दिया था।
कहानी का खैर भारत से कुछ लेना देना नहीं था, अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा पीडित लोगो की कहानी ने तमिलनाडु के लोगो को बहुत ठेस पंहुचायी।
कहते हैं इस फिल्म को बनाने में मशहूर अभिनेता कमल हसन ने अपना घर तक गिरवी रखा था।
मूल फिल्म चूंकि तमिल में थी, तो भावनाओं को दुखाने की महंगी कीमत चुकानी पड़ी।
वो तब सार्वजनिक रुप से भारत छोडने तक की घोषणा कर चुके थे।
तस्लीमा नसरीन पर आज भी बंगाल में बैन है।
कारण उन्होंने बांग्लादेश में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के शोषण होने पर एक किताब लिखी थी "लज्जा"..
The Stanic Verse (शैतानी आयतें),,
भारतीय मूल के बिट्रिस लेखक सलमान रुश्दी की इस किताब ने दुनिया भर में हंगामा मचाया।
इस किताब को इस्लाम बिरोधी मानते हुए तत्कालीन राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने इस किताब को सम्पूर्ण भारत में प्रतिबंधित कर दिया।
यहां तक कि इस किताब का जापानी में अनुवाद करने वाले लेखक 'होतरसी ईरागसी' की हत्या कर दी गयी।
इस किताब के ईतावली ट्रांसलेटर और नार्वे के प्रकाशक पर भी जानलेवा हमले हुए।
तो अगर आपको पद्मावत पिक्चर बैन पर बुरा सा कुछ लग रहा है तो यकीन मानिए,
बुरा तो आपको बहुत मानना चाहिए था, तब ही इस बात की सार्थकता थी।
इति।

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