कोरोना वायरस : क्या लैब में पैदा हुआ है ?


कोरोना वायरस: क्या लैब में पैदा हुआ है ?

कोरोना वायरस को लेकर सत्य है या केवल अफवाह , पर लगातार यह बात कही सुनी जा रही है कि यह लेब में तैयार किया गया युद्ध वायरस हे। शुक्रवार को भास्कर में इस संदर्भ में प्रकासित समाचार से संदेह और भी गहराया है। विश्व में लेबों में शंकर नश्लें तैयार करनें तथा उनमें कोई विशेष गुण बडानें का काम सक्षम देशों में वर्षों से चल रहें हे। शंकर ज्वार, गेहू , शंकर गाय से लेकर फसलों के बीज एवं रक्षक जीवाणु - कीटाणुओं तक की बातें सुनी जाती रहीं हैं। जासूसी में एक सिद्धांत है, संदेह का। संदेह को पकड कर आगे बडनें से सत्य तक पहुंचा जाता हे। कोरोना में कुछ तो येशा है जो असामान्य हे। विश्व के सबसे विकसित एवं जीव विज्ञान में अत्यंत समृद्ध देशों में इसका कहर जारी है। यह प्रतीत हो रहा है कि यह वायरस किसी शंकर किस्म का मानव विकसित वायरस हे। जो छूत की बीमारी की तरह पास गुजरनें वालों को तुरंत पकड लेता है और छुप कर बैठ जाता हे तथा धीरे धीरे अपना काम प्रारम्भ कर काल बन जाता है। मानव सभ्यता की रक्षार्थ सत्य उजागर होना ही चाहिये। क्यों कि यह सम्पूण मानवजाती के विनाश की कोशिश है। जो जाने अनजानें में सामनें आ गई है।
भवदीय
- अरविन्द सिसौदिया, राधाकृश्ण मंदिर रोड़, डडवाडा, कोटा । राजस्थान ।
9414180151



फॉक्स न्यूज का दावा / चीन ने वुहान की लैब में पैदा किया था कोरोना वायरस, ताकि बता सके कि उसके वैज्ञानिक अमेरिकियों से कहीं आगे

चीन ने कहा- इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि दुनियाभर में 20 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने वाले कोरोनोवायरस को वुहान की लैब में बनाया गया था।

* अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प कह चुके हैं- वायरस दुर्घटनावश फैला या जानबूझकर, जांच करके ही रहेंगे
** दावा- वुहान में जिस वेट मार्केट की पहचान कोरोना फैलने के रूप में की गई थी, वहां चमगादड़ बिकते ही नहीं थे

दैनिक भास्कर
Apr 17, 2020

वॉशिंगटन. अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज ने गुरुवार को दावा किया कि चीन ने एक विशेष उद्देश्य से इस वायरस को वुहान की लैब में पैदा किया ताकि वह बता सके कि उसके वैज्ञानिक अमेरिकी वैज्ञानिकों से कहीं आगे हैं। चीन ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह कोरोना जैसे खतरनाक वायरस की अमेरिका की तरह या उससे ज्यादा अच्छे से पहचान कर सकता है और उससे पूरी ताकत के साथ निपट सकता है। यह उसका अब तक का सबसे महंगा और गुप्त कार्यक्रम था।
चीन ने वेट मार्केट की थ्योरी भी जानबूझकर फैलाई
चैनल ने सूत्र के हवाले से कहा कि डॉक्टरों के प्रयासों और इस वायरस को शुरू में लैब में रोकने से जुड़े कई दस्तावेजों के अध्ययन से यह पता चलता है कि वुहान में जिस वेट मार्केट की पहचान कोरोना फैलने के रूप में की गई थी, वहां चमगादड़ बिकते ही नहीं थे। चीन ने वेट मार्केट की थ्योरी को भी जानबूझकर फैलाया ताकि लैब पर लगने वाले आरोप दब जाएं। चीन चाहता था कि इसके जरिए वह अमेरिका और इटली को निशाना बनाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को ही कहा था कि वुहान की लैब से कोरोनावायरस दुर्घटनावश लोगों में फैला या जानबूझकर, इसका पता हम लगाकर ही रहेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पहले ही कह चुके हैं कि चीन को बताना होगा कि वायरस कैसे फैला?
तनाव बढ़ेगा: अमेरिका का चीन पर न्यूक्लियर टेस्ट का संदेह
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को कहा कि हो सकता है कि चीन ने सीटीबीटी संधि का पालन करने के दावे के बावजूद गुप्त रूप से कम क्षमता का परमाणु परीक्षण विस्फोट किया हो। इस दावे के बाद दोनों देशों के बीच कोरोनावायरस के चलते पहले से ही तल्ख संबंध और ज्यादा तनाव बढ़ा सकते हैं। दरअसल, चीन के परमाणु परीक्षण स्थल लाेप नूर पर पिछले साल काफी हलचल देखी गई थी, जिसके चलते अमेरिका के मन में ये संदेह उठ रहा है कि उसने परमाणु परीक्षण किया होगा।
डब्ल्यूएचओ तस्दीक कर चुका है कि वायरस वुहान की लैब में नहीं बना: चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आरोप के बाद गुरुवार को चीन ने अपनी सफाई दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इस बात की तस्दीक कर चुका है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि दुनियाभर में 20 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने वाले कोरोनोवायरस को वुहान की लैब में बनाया गया था।

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अमेरिकी चैनल का दावा: चीन ने वुहान की लैब में 'विशेष उद्देश्य' से बनाया था कोरोना वायरस


वर्ल्ड डेस्क, वाशिंगटन। Updated Fri, 17 Apr 2020

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के पूरी दुनिया में पैर पसारने के बाद से ही इसे फैलाने को लेकर चीन पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में एक अमेरिकी समाचार चैनल ने दावा किया है कि चीन के वुहान में एक लैब में नोवल कोरोना वायरस को बनाया गया था। इसके पीछे चीन का 'विशेष उद्देश्य' भी था।
आइए जानते हैं क्या है यह दावा..
दरअसल, अमेरिका के समाचार चैनल फॉक्स न्यूज ने गुरुवार को अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने इस वायरस को वुहान की लैब में पैदा किया था। इसके पीछे उसका एक 'विशेष उद्देश्य' था। चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन यह बताना चाहता था कि उसके वैज्ञानिक किसी भी प्रकार से अमेरिका के वैज्ञानिकों से पीछे नहीं हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने कोरोना को बनाकर यह बताने की कोशिश की कि वह ऐसे खतरनाक वायरस बना सकता है और सिर्फ इतना ही नहीं ऐसे वायरस से अमेरिका के मुकाबले कहीं ज्यादा अच्छी तरह से निपट भी सकता है। फॉक्स न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि कोरोना वायरस को बनाने का यह चीन का अब तक का सबसे महंगा और गोपनीय प्लान था।

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि डॉक्टरों के प्रयासों और इस वायरस के शुरूआत में ही लैब में रोकने से संबंधित दस्तावेजों के अध्ययन से कई और बातें पता चलती हैं। इसमें से एक प्रमुख बात यह है कि वुहान के उस बाजार में चमगादड़ बिकते ही नहीं थे, जहां से कोरोना के फैलने की बात अब तक मानी जाती रही है।

चीन ने चली शातिराना चाल
कोरोना वायरस के फैलने के बाद चीन ने एक और शातिराना चाल चली। उसने जानबूझकर पशु बाजार से वायरस फैलने की बात कही, ताकि लैब में वायरस बनाए जाने के आरोप दब जाएं। चीन यह भी चाहता था कि इसके जरिए वह अमेरिका और इटली को निशाना बनाए।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ही कहा था कि वुहान की लैब से कोरोना वायरस दुर्घटनावश लोगों में फैला या जानबूझकर, इसका पता हम लगाकर ही रहेंगे। इसके अलावा अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पहले ही कह चुके हैं कि चीन को बताना होगा कि वायरस कैसे फैला?

चीन बोला- डब्ल्यूएचओ कह चुका है कि वायरस लैब में नहीं बना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोप के बाद गुरुवार को चीन ने अपनी सफाई दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी कह चुका है कि कोरोना वायरस को वुहान की लैब में बनाया गया, इस बात के कोई सबूत नहीं हैं। बता दें कि दुनियाभर में 20 लाख से ज्यादा लोग अब तक इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।

अमेरिका ने जताया चीन पर परमाणु परीक्षण का संदेह
इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि चीन ने सीटीबीटी संधि का पालन करने के दावे के बावजूद गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण किया हो सकता है। भले ही उसकी क्षमता कम रही हो। इस दावे से अमेरिका और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। दरअसल, चीन के परमाणु परीक्षण स्थल लाेप नूर पर पिछले साल काफी हलचल देखी गई थी।



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