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सबल समाज से अच्छे-अच्छे उद्दण्ड कांपते हैं - सावरकर जी

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भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकार की जयंती के अवसर पर भारत की नव निर्मित स्वदेशी संसद भवन का लोकार्पण हो रहा है। भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण भारतहित चिन्तक सरकार चल रही है। इसीलिये यह शुभ अवसर देश को प्राप्त हुआ ।  - अरविन्द सीसौदिया नामर्दी के बुतों को चौराहों से उतार फैंकना होगा, देश को दिशा दे सकें, वें तस्वीरें लगानी होगी। उन विचारों को खाक पढ़े, जो कायरता में डूबे हों, पढें वह,जो ज्वालामुखी सा तेज हर ललाट पर लाये। स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका न केवल महत्वपूर्ण थी, अपितु अंग्रेजों की असल नींद हराम  इसी रास्ते पर चले महान योद्धाओं ने की थी। स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर इस यशस्वी श्रृंखला की एक प्रमुख कडी थे। उनके ओजस्वी लेखन से ब्रिटिश सरकार कांपती थी। उन्हंे राजद्रोह के अपराध में, दो जन्मों की कैद की सजा सुनाई गई थी, अर्थात कम से कम 50 वर्ष उन्हें काले पानी की जेल में कोल्हू फेरते-फेरते और नारियल की रस्सी बनाते-बनाते बिताने थे। महाराष्ट्र के नासिक जनपद में एक छोटा सा स्थान भगूर है। इसी में दाम...

Vivekananda Rock Memorial : Eknath Ranade विवेकानन्द रॉक मेमोरियल

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विवेकानन्द स्मारक शिला या रॉक मेमोरियल विवेकानन्द स्मारक शिला या रॉक मेमोरियल भारत के तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित स्मारक भुमि-तट से लगभग 500 मीटर अन्दर समुद्र में स्थित एक चट्टान पर निर्मित किया गया है। एकनाथ रानडे ने विवेकानंद शिला पर विवेकानंद स्मारक मन्दिर बनाने में विशेष कार्य किया। स्वामी विवेकानंद को इसी चट्टान पर ज्ञान प्राप्त हुआ था। साथ ही स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इसी चट्टान पर देवी कुमारी ने भगवान शिव की भक्ति में तपस्या की थी। स्वामी विवेकानंद की जन्म शताब्दी के अवसर पर, जनवरी 1962 में लोगों ने कन्याकुमारी समिति का गठन किया, जिसका उद्देश्य इस चट्टान पर एक स्मारक और एक पैदल यात्री पुल का निर्माण करना था।  इस स्मारक को बनाने का कार्य शुरू होने पर तमिलनाडु के कैथोलिक चर्च ने इस मिशन की राह में कई रोड़े लगाए। चर्च ने इस शिला को विवेकानन्द शिला की बजाय ‘सेंट जेवियर रॉक’ नाम दे दिया और मिथक गढ़ा कि सोलहवीं शताब्दी में सेंट जेवियर इस शिला पर आये थे। शिला पर अपना अधिकार सिद्ध करने के लिए वहां चर्च के प्रतीक चिन्ह ‘क्रॉस’ की एक प्रतिमा भी स्थापित कर दी और ...

खड़गे बनना तो तय, मगर चलना अनिश्चित - अरविन्द सिसोदिया

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खड़गे बनना तो तय, मगर चलना अनिश्चित - अरविन्द सिसोदिया यूं तो कांग्रेस की स्थापना भारतवासियों को अंग्रेज भक्त बनानें के लिये , ब्रिटिश अधिकारी ए ओ ह्यूम नें की थी। किंतु यह धीरे धीरे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम की मुख्य पार्टी बन गई और 1885 से लेकर अभी तक यह भारत की महत्वपूर्ण पार्टी बनीं हुई है। 100 साल से अधिक आयु रखनें वाली यह एक मात्र सफल पार्टी भी है। कांग्रेस के गठन के बाद से कुल 61 लोगों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है । मल्लिकार्जुन खड़गे 62 वे व्यक्ति होंगे जो कांग्रेस की कमान सँभालेंगे ।  सोनिया गांधी पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 1998 से 2017 और 2019 से अभी तक,  बीस वर्षों से अधिक समय तक इस पद पर रहीं । अभी वे ही अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहीं हैं । पार्टी में अध्यक्ष हेतु चुनाव चल रहा है,अगला चुनाव 17 अक्टूबर 2022 के लिए निर्धारित है।  कांग्रेस पर नेहरू परिवार नें अपना स्वामित्व बनाये रखा है, महात्मा गांधी के द्वारा कांग्रेस की भंग करनें की सलाह भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नें नहीं मानीं थी ।...