लोकदेवता बाबा रामदेव : राम शाह पीर

Pressnote.in
रामदेवरा मेला, रामदेवरा गांव, पोखरण, जैसलमेर,

बाबा रामदेव एक तंवर राजपूत थे जिन्होंने सन 1458 में समाधि ली थी। उनकी समाधि पर लगने वाले इस मेले में हिंदुओं व मुसलमानों की समान आस्था है। 1931 में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने समाधि पर मंदिर बनवा दिया था। कहा जाता है कि रामदेव की चमत्कारिक शक्तियों की चर्चा दूर-दूर तक थी। उन चर्चाओं को सुनकर मक्का से पांच पीर उन्हें परखने पहुंचे और उनसे अभिभूत होकर लौटे। उसके बाद मुसलमान उन्हें राम शाह पीर कहकर उनका मान करने लगे। मेले में आने वाले श्रद्धालु समाधि पर चावल, नारियल और चूरमे का चढ़ावा चढ़ाते हैं और लकड़ी के घोड़े समर्पित करते हैं। हर मजहब से जुड़े लोग मेले में आते हैं और पूरी रात-रात भर भजन व गीत के कार्यक्रम चलते हैं।

http://www.pressnote.in/Jaisalmer-News_176534.html

जगविख्यात रामदेवरा में 628 वाँ विराट मेला शुरू


स्वर्णमुकुट प्रतिष्ठा व मंगला आरती से हुआ मेले का आगाज
रामदेवरा | अगाध जन श्रद्घा के केन्द्र लोकदेवता बाबा रामदेव की अवतरण तिथि भाद्रपद शुक्ल द्वितीया(भादवा बीज) के उपलक्ष में बाबा की कर्मस्थली रामदेवरा में जगवि यात विराट मेला रविवार को ब्रह्ममूहूर्त में बाबा की समाधि के शीर्ष पर स्वर्ण मुकुट प्रतिष्ठा तथा मंगला आरती की परंपरागत रस्मों से शुरू हुआ।-
- दुनिया- भर में सर्वाधिक ल बी अवधि तक चलने वाले और विराट मेले के रूप में प्रसिद्घ रामदेवरा मेले में लगभग 50 लाख लोग हिस्सा लेते हैं। इस बार यह 628 वाँ मेला है। इस मेले में भारत के विभिन्न हिस्सों से श्रद्घालु हिस्सा लेते हैं। इनके अलावा दुनिया के कई मुल्कों से भी आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए यह मेला आकर्षण का केन्द्र रहा है।
बाबा की समाधि का पंचामृत से अभिषेक
- रविवार को भोर मे राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल, जैसलमेर जिला कलक्टर जैसलमेर शुचि त्यागी एवं पुलिस अधीक्षक ममता राहुल ने बाबा रामदेवजी की समाधि के दर्शन तथा पूजा-अर्चना के साथ ही पंचामृत से अभिषेक किया की और प्रदेश में सर्वांगीण खुशहाली की कामना की।
- इन अतिथियों ने बाबा की समाधि पर इत्र एवं प्रसाद चढाया, चँवर ढुलाया तथा बाबा की अखण्ड जोत के दर्शन किए। इसके बाद दर्शनों के लिए श्रद्घालुओं का अपार सैलाब समाधि की ओर उमड पडा।
मेवा-मिष्ठान एवं मिश्री का भोग
- मंगला आरती के अवसर पर बाबा की समाधि पर दूध ,दही ,शहद,इत्र एवं पंचामृत से अभिषेक किया गया। बाबा को मेवा मिष्ठान व मिश्री का भोग चढाया गया। पुजारी कमल किशोर छंगाणी के साथ ही बाबा के वंशज तंवर समाज के प्रतिष्ठित भक्तगण भी मंगला आरती में उपस्थित थे। बाबा की समाधि पर नई चादर चढाई गई, मुकुट को केशर से तिलक लगाया गया एवं रविवार को प्रातः बाबा रामदेव की भोग आरती की गयी।
अनुजा आयोग अध्यक्ष ने रजत छत्र अर्पित किया
- मंगला आरती की रस्म के बाद अनुजा आयोग के अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने अपने परिजनों के साथ बाबा की समाधि पर प्रसाद एवं चाँदी का छत्र चढाया। समिति के पुजारी कमल छंगाणी ने अनुजा आयोग के अध्यक्ष मेघवाल, जिला कलक्टर शुचि त्यागी एवं जिला पुलिस अधीक्षक ममता राहुल से परंपरागत विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई और प्रसाद स्वरूप बाबा की समाधि पर अर्पित पुष्पमाला इन अतिथियों को भेंट की।
इनकी रही मौजूदगी
- मंगला आरती के समय उपस्थित मेलाधिकारी एवं उपखण्ड अधिकारी पोकरण अशोक चौधरी,उप अधीक्षक पुलिस विपिन शर्मा , मेला व्यवस्थाओं के लिए नियुक्त आर.ए.एस.प्रशिक्षु ओमप्रकाश विश्नोई, नरेश बुनकर, सहायक मेलाधिकारी एवं तहसीलदार- त्रिलोक चन्द ,सरपंच रामदेवरा भोमाराम मेघवाल, सहायक अभियंता पंचायत समिति सांकडा धन्नाराम विश्नोई के साथ ही मंदिर समिति के पदाधिकारियों आदि ने बाबा की अखण्ड जोत के दर्शन किए एवम् समाधि को श्रद्घापूर्वक नमन किया।
ज्यों द्वार खुला, श्रद्घालुओं का ज्वार उमड आया
- मंगला आरती के समय समाधिमंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार खुलते ही मेलार्थियों का ज्वार उमड आया। बाबा के जयकारे लगाते हुए भक्तों का रेला उत्साह के साथ निज मंदिर में आना शुरू हो गया। इन श्रद्घालुओं ने बाबा की बीज के अवसर पर इष्टदेव के दर्शन कर अपने आप को धन्य महसूस किया। बाबा के दर्शन पाने के लिए रात से ही हजारों मेलार्थियों ने मन्दिर के बार डेरा लगा रखा था।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism