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जून, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक और पाकिस्तान

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कश्‍मीर के वार्ताकार बनवाएंगे एक और पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान के दायरे से बाहर करने (1952) तुष्टीकरण की प्रतीक और अलगाववाद की जनक अस्थाई धारा 370 को विशेष कहने, भारतीय सुरक्षा बलों की वफादारी पर प्रश्नचिन्ह लगाने, पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर एक पक्ष बनाने, पाक अधिकृत कश्मीर को पाक प्रशासित मानने और प्रदेश के 80 प्रतिशत देशभक्त नागरिकों की अनदेखी करके मात्र 20 प्रतिशत पृथकतावादियों की ख्वाइशों/ जज्बातों की कदर करने जैसी सिफारिशें किसी देशद्रोह से कम नहीं हैं। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए एक रपट तैयार की है। यदि मुस्लिम तुष्टीकरण में डूबी सरकार ने उसे मान लिया तो देश के दूसरे विभाजन की नींव तैयार हो जाएगी। यह रपट जम्मू-कश्मीर की अस्सी प्रतिशत जनसंख्या की इच्छाओं, जरूरतों की अनदेखी करके मात्र बीस प्रतिशत संदिग्ध लोगों की भारत विरोधी मांगों के आधार पर बनाई गई है। तथाकथित प्रगतिशील वार्ताकारों द्वारा प्रस्तुत यह रपट स्वतंत्र कश्मीर राष्ट्र का रोड मैप है। रपट का आधार अलगाववाद 1952-53 में जम्मू

कश्मीर घाटी से हिन्दू संहारक अफगान शासन को उखाड़ फेंकने में सफल हुआ एक हिन्दू नेता पंडित बीरबल धर

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गौरवशाली इतिहास-9 कश्मीर घाटी से हिन्दू संहारक अफगान शासन को उखाड़ फेंकने में सफल हुआ एक हिन्दू नेता  पंडित बीरबल धर -नरेन्द्र सहगल तारीख: 6/23/2012 कश्मीर प्रदेश की अंतिम हिन्दू साम्राज्ञी कोटा रानी के आत्म बलिदान के पश्चात् सत्ता पर काबिज हुए प्रथम मुस्लिम शासक शाहमीर के राज्यकाल से प्रारंभ हुआ बलात् मतान्तरण का सिलसिला अंतिम सुल्तान सूबेदार आजम खान के राज्य तक निरंतर 500 वर्षों तक अबाध गति से चलता रहा। पूर्व का हिन्दू कश्मीर अब तलवार के जोर से मुस्लिम कश्मीर में बदल दिया गया। इस कालखंड में हिन्दू समाज और संस्कृति को समाप्त करने के लिए सभी प्रकार के घृणित एवं नृशंस उपायों का इस्तेमाल किया गया। क्रूरतम और अमानवीय हथकंडों के बावजूद ये विधर्मी विदेशी शासक कश्मीर के मूल समाज को पूर्णतया समाप्त नहीं कर सके। कश्मीर के हिन्दू समाज ने लगातार पांच सौ वर्षों तक बलिदानों की अद्भुत परंपरा को बनाए रखते हुए भारतीय जीवन मूल्यों की रक्षा की। हिन्दू रक्षा का संकल्प सूबेदार आजम खान के कालखंड में भी कश्मीर के संभ्रांत पंडितों ने कश्मीर एवं हिन्दू समाज को बचाने का निर्णय किया। किसी भी ढंग

मायावती : सत्ता दुरउपयोग : 86 करोड़ रुपए से रिनोवेटेड बंगला, एक-एक खिड़की 15 लाख की

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मायावती: गरीब और दलितों के नाम पर वोट बटोरने वाली इस महिला ने भी सत्ता के दुरउपयोग में कोई कसर नहीं छोडी, रहने के बंगले पर किया गया खर्चा मुह आश्चर्य से खुला रखने के लिये पर्याप्त है। ये है मायावती का 86 करोड़ रुपए से रिनोवेटेड बंगला, एक-एक खिड़की 15 लाख की प्रकाशन तरीख : 09-May-2012 21:07:18 स्त्रोत: एजेंसी लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राजधानी लखनउच्च् के 13 माल एवेन्यू स्थित अपने बंगले की मरम्मत के लिये राजकोष से 86 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि खर्च की है। राज्य के मौजूदा काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव द्वारा सूचना का अधिकार :आरटीआई: के तहत मांगी गयी जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है। सूत्रों ने आज यहां बताया कि शिवपाल सिंह यादव ने मायावती के पूर्ववर्ती शासनकाल में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से दाखिल आरटीआई अर्जी में मायावती द्वारा अपने बंगले के लिये सरकारी धन खर्च किये जाने सम्बन्धी जानकारी मांगी थी। अब इस बारे में जाहिर की गयी जानकारी में खुलासा हुआ है कि मायावती ने अपने बंगले की मरम्मत और जीर्णोद्वार के लिये सरकारी कोष से 86 करोड़ रुपए खर्च किय

amarujala : नेताजी की मौत का सच क्यों छिपा रहे थे प्रणब?

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नेताजी की मौत का सच क्यों छिपा रहे थे प्रणब? नई दिल्ली/इंटरनेट डेस्क Tuesday, June 26, 2012 http://www.amarujala.com राष्ट्र पति पद के यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का सच छुपाने का आरोप लगाया गया है। पूर्व पत्रकार अनुज धर ने अपनी जल्द ही प्रकाशित होने वाली किताब में प्रणब मुखर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। किताब के मुताबिक आजाद हिंद फौज के संस्‍थापक सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान हादसे में नहीं हुई थी। प्रणब मुखर्जी ने अपने विदेश मंत्री कार्यकाल के दौरान अपनी सीमा से बाहर जाकर इस सच को छुपाया। किताब के मुताबिक नेताजी ने आखिरी दिन कैसे गुजारे, इस पर पर्दा डालने में भी प्रणब मुखर्जी शामिल थे। सरकारी दस्तावेज के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 में ताइवान में हुए विमान हादसे में हुई थी। अनुज धर की किताब में इस बात को नकारा गया है कि सुभाष चंद्र बोस के मौत विमान हादसे में हुई। यह किताब अम‌ेरिका और ब्रिटेन की गुप्त सूची से हटाए गए रिकॉर्ड और भारतीय प्रशासन के दस्तावेजों पर आधारित है, जिन्हें पिछले 65 सालों से सीक्रेट रखा गया। किताब में अनुज धर न

25 जून: आपातकाल दिवस:याद रहे, लोकतंत्र की रक्षा का महाव्रत

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25 जून: आपातकाल दिवस के अवसर पर याद रहे, लोकतंत्र की रक्षा का महाव्रत अरविन्द सीसौदिया मदर इण्डिया नामक फिल्म के एक गीत ने बड़ी धूम मचाई थी: दुख भरे दिन बीते रे भईया, अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया छायो रे! सचमुच 1947 की आजादी ने भारत को लोकतंत्र का सुख दिया था। अंग्रेजों के शोषण और अपमान की यातना से मातृभूमि मुक्त हुई थी, मगर इसमें ग्रहण तब लग गया जब भारत की सबसे सशक्त प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगा दिया, तानाशाही का शासन लागू हो गया और संविधान और कानून को खूंटी पर टांग दिया गया। इसके पीछे मुख्य कारण साम्यवादी विचारधारा की वह छाया थी जिसमें नेहरू खानदान वास्तविक तौर पर जीता था, अर्थात साम्यवाद विपक्षहीन शासन में विश्वास करता हैं, वहां कहने को मजदूरों का राज्य भले ही कहा जाये मगर वास्तविक तौर पर येनकेन प्रकारेण जो इनकी पार्टी में आगे बढ़ गया, उसी का राज होता है। भारतीय लोकतंत्र की धर्मजय भारत की स्वतंत्रता के साठ वर्ष से अधिक हो चुके हैं। इस देश ने गुलामी और आजादी तथा लोकतंत्र के सुख और तानाशाही के दुःख को बहुत करीब से देखा। 25 जून 1975 की

रेव पार्टी का काला सच : लग्जरी लाइफ

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रेव पार्टी: एक्‍टर अपूर्व का ब्‍लड सैंपल पॉजिटिव, क्रिकेटर को क्‍लीन चिट पर सवाल मुंबई। कुछ दिनों पहले जुहू के पॉश होटल ओकवुड में रेव पार्टी करते पकड़े गये 128 लोगों में से 44 लोगों का ब्लड सैंपल पॉजीटिव पाया गया है। यह जानकारी मुंबई के पुलिस आयुक्त अरुप पटनायक ने दी है। जिन लोगों के सैंपल पॉजीटिव पाए गए हैं, उनमें अभिनेता अपूर्व अग्निहोत्री भी शामिल हैं। हालांकि इस पार्टी के दौरान पकड़े गए क्रिकेटर राहुल शर्मा के पिता के बयान ने सवाल खड़े कर दिए हैं। राहुल के पिता का दावा है कि उनके बेटे को इस मामले में क्‍लीन चिट मिल गई है जबकि पुलिस को अभी उनके ब्‍लड सैंपल की रिपोर्ट ही नहीं मिली है। पटनायक ने बताया कि जिनके भी ब्लड सैंपल पॉजीटिव पाये गये हैं, उनके खिलाफ नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटेंश (एनडीपीएस) एक्ट के तहत कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने बताया कि 44 लोगों में से 2 ने एमडीएमए ड्रग का सेवन किया था। इसके अलावा 16 ने एमडीएम ड्रग के साथ-साथ चरस का भी सेवन किया था, जबकि 29 लोगों ने शराब पी हुई थी। महत्वपूर्ण है कि यह खुलासा जुहू के होटल ओकवुड में पकड़ी गई उसी रेव पार्टी

चलो महंगाई का भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ : सीमेंट उद्योग को महंगा पड़ा जोड़

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चलो महंगाई का भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ :   सीमेंट उद्योग को महंगा पड़ा जोड़ बीएस संवाददाता / नई दिल्ली June 21, 2012 भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने आज 11 सीमेंट कंपनियों और सीमेंट मैन्युफैचरर्स एसोसिएशन (सीएमए) पर सांठगांठ करने के लिए 6,307 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इस सूची में एसीसी, अंबुजा सीमेंट्स, अल्ट्राटेक और जेपी सीमेंट्स शामिल हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कहा, 'भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने सीमेंट विनिर्माताओं ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के उल्लंघन का दोषी पाया।' जिन अन्य सीमेंट कंपनियों को सांठगांठ का दोषी पाया गया और जुर्माना लगाया गया उनमें अल्ट्राटेक सीमेंट्स में विलय हो चुकी ग्रासिम सीमेंट्स, लफार्ज इंडिया, जे के सीमेंट, इंडिया सीमेंट्स, मद्रास सीमेंट्स, सेंचुरी सीमेंट्स और बिनानी सीमेंट्स शामिल हैं। आदेशानुसार प्रत्येक कंपनी को वित्त वर्ष 2009-10 और 2010-11 के दौरान कमाए गए मुनाफे की 50 फीसदी रकम 90 दिन के भीतर जुर्माने के तौर पर चुकानी होगी। सीसीआई के सदस्य आर प्रसाद ने कहा कि जुर्माने की रकम सरकार के संचयी कोष में जाएगी। जांच के दौर

जब नेता बेईमान हो जाता है - अरविन्द सीसौदिया

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जब नेता बेईमान हो जाता है, - अरविन्द सीसौदिया जब नेता बेईमान हो जाता है, नीति मर जाती है, न्याय मर जाता है, जिधर देखो उधर शैतान नजर आता है, विश्वास में विष, आशीर्वाद में आघात, हमदर्दी में दुखः-दर्द, मिठास में मधुमेह, पावनता में महापतन और..., ईमान में महाबेईमान घटित हो जाता है। (1) भगवान भी जिसके भय से कांपने लगता है, राष्ट्रधर्म प्राण बचाकर भागने लगता है, सूरज भी पश्चिम से उगता है यारों, जब राजसिंहासन बेईमान हो जाता है...! लोगों, जीवन नर्क बन जाता है बातों की नकाबों में, इन शैतानों में, सम्पत्ति की होड़ - धनलूट की दौड़ , बीस साल पहले, जिस पर कोड़ी भी नहीं थी यारों, वह करोपतियों में भी सिरमौर नजर आता है। (2) गले में महानता के उसूल टांगे, वाणी में संतों की सम्प्रभुता की बांगें, जो मिले उसे लूट लेना हैं मकशद, अपनी तो हवस मिट ही जायेगी, असल इंतजाम तो, अगली अस्सी पीढ़ी का कर जाना है यारों...! (3) जो मिले, जहां मिले, जितना मिले,सब स्वीकार है, भिष्ठा में मिले, मदिरा में मिले, मंदिर में मिले.., किसी की घर गृहस्थी और जायदाद में मिले, किसी के सुख-सुकून और स

जीजाबाई : छत्रपति शिवाजी माताजी

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राजमाता जीजाबाई उपनाम : जीजामाता जन्मस्थल : महाराष्ट्र  मृत्युस्थल : महाराष्ट्र जन्म और पारिवारिक जीवन :  मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी राजा भोसलेकी माता जीजाबाई का जन्म  १२ जनवरी १५९८ को सिंदखेड गांव में हुआ था । यह स्थान वर्तमानमें महाराष्ट्रके विदर्भ प्रांतमें बुलढाणा जिलेके मेहकर जनपदके अन्तर्गत आता है । उनके पिताका नाम लखुजी जाधव तथा माताका नाम महालसाबाई था । जीजाबाई उच्चकुलमें उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली स्त्री थीं । जीजाबाई जाधव वंशकी थीं और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त थे ।  जीजाबाईका विवाह शाहजीके साथ अल्प आयुमें ही हो गया था । उन्होंने राजनीतिक कार्योंमें सदैव अपने पतिका साथ दिया । शाहजीने तत्कालीन निजामशाही सल्तनतपर मराठा राज्यकी स्थापनाका प्रयास किया । परंतु वे मुगलों और आदिलशाहीके संयुक्त बलोंसे हार गए थे । संधिके अनुसार उनको दक्षिण जानेके लिए बाध्य किया गया था । उस समय शिवाजीकी आयु मात्र १४ सालकी थी अतः वे मांके साथ ही रहे । बडे बेटे संभाजी अपने पिताके साथ गए । जीजाबाईका पुत्र संभाजी तथाउनके पति शाहजी अफजल खानकेसाथ एक युद्धमें वीरगतिको प्राप्त हुए । शाहजीकी मृत्य

कृष्ण भजन : हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।

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विनोद अग्रवाल कृष्ण भजन हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना। ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥ तन मन जीवन श्याम का, श्याम हम्मर काम। रोम रोम में राम रहा, वो मतवाला श्याम। इस तन में अब योग नहीं कोई ठिकाना॥ उधो इन असुवन को हरी सनमुख ले जाओ। पूछे हरी कुशल तो चरणों में दीओ चढाओ । कहिओ जी इस प्रेम का यह तुच्छ नजराना॥ प्रेम डोर से बंध रहा जीवन का संयोग। सुमिरन में डूबी रहें, यही हमारा योग। कानो में रहे गूंजता वंशी का तराना॥ इक दिन नयन के निकट रहते थे आठों याम। अब बैठे हमे विसार के, वो निर्मोही श्याम। दीपक वो ज़माना था, और यह भी यमाना॥ सब तंत्र और मन्त्र क्रिया विधि से, मुरली ध्वनी प्रयोग बड़ा हैं हरी कृष्ण सभी सत वयंजन में, अधरामृत मोहन भोग बड़ा है जग में वही औषधि है ही नहीं, सब रोगों में प्रेम का रोग बड़ा है जिसे योगी पतंजलि ने भी रचा, उस योग से कृष्ण वियोग बड़ा है प्रेम प्रति मापे ज्ञान साधन और योग, रंग जोनसो चदेगो सोई फीको पड़ी जावेगो धीरता अधीता को धारण करेगी रूप, त्याग अनुरागी के अंग भरी जावेगो ध्यान धारणा की खबर पड़ेगी कब, नयन के कौरन बिंदु झारी जाव

अल्पसंख्यक आरक्षण : केंद्र सरकार को फटकार

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अल्पसंख्यक आरक्षण मसले पर केंद्र सरकार को फटकार बीएस संवाददाता / नई दिल्ली June 11, 2012 http://hindi.business-standard.com उच्चतम न्यायालय ने आज अटार्नी जनरल से बुधवार तक दस्तावेज पेश करने को कहा है, जिसके तहत केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों को अन्य पिछड़े वर्ग के 27 फीसदी कोटे में से 4.5 फीसदी आरक्षण प्रदान करने को न्यायोचित ठहरा रही है।  शीर्ष न्यायालय ने दस्तावेज पेश किए जाने तक इस सिलसिले में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने इस मामले में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों के लिए संरक्षण का अनुरोध करते हुए कहा कि इस आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत आईआईटी के लिए 325 छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्होंने कहा कि इन छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए काउंसलिंग शामिल होने की अनुमति दी जाए क्योंकि इसकी अनुमति नहीं मिलने से इन छात्रों का भविष्य चौपट हो सकता है। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ के अवकाशकालीन खंडपीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा इस

गरीबी के मायने ?

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आखिर गरीबी के मायने क्या ? हर्ष मंदर  08/06/2012 http://www.bhaskar.com/article पिछले साल के अंतिम दिनों की बात है। दो युवकों ने तय किया कि वे अपने जीवन का एक माह उतने पैसों में बिताएंगे, जो एक औसत गरीब भारतीय की मासिक आय है। उनमें से एक युवक हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी का बेटा है। उसने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है और अमेरिका और सिंगापुर में बैंकर के रूप में काम कर चुका है। दूसरा युवक अपने माता-पिता के साथ किशोरावस्था में ही अमेरिका चला गया था और उसने एमआईटी में पढ़ाई की है। दोनों ने अलग-अलग समय पर भारत लौटना तय किया था। बेंगलुरु में उन्होंने यूआईडी प्रोजेक्ट में शिरकत की, संयोग से वे रूममेट बने और गहरे दोस्त बन गए। दोनों इस उम्मीद के साथ भारत लौटे थे कि शायद वे देश के कुछ काम आ पाएंगे, लेकिन वे भारतीयों के बारे में बहुत कम जानते थे। एक दिन उनमें से एक ने कहा : क्यों न हम एक औसत भारतीय की औसत आय पर एक महीना बिताकर भारतीयों के जीवन को समझने की कोशिश करें? दूसरे युवक को यह बात जंची। दोनों इस विचार को अमली जामा पहनाने निकल पड़े। लेकिन यह अनुभव उन दोनों के जीवन