गौमाता की दुर्दशा



गौमाता की दुर्दशा ( स्थानीय / सामाजिक समस्याएं )
भारत में वैदिक काल से ही गाय को माता का स्थान दिया गया है। परन्तु वर्तमान में गाय की दुर्दशा शहरों की सडकों पर एक समस्या के रूप ले चुकी है। सडकों पर गायों के झुण्ड दुर्घटना के कारण बनते हैं जिससे गौ एवं जन हॉनी होती है। सडकों पर गौ मातायें सुरक्षित भी नहीं हैं, क्यों कि गौ तस्कर इन्हे बूचडखानों में बेंच देते हैं। जिससे हमारी गौ माता की अकाल हत्या हो जाती है। सरकार / प्रशासन ने भी गौ माताओं के पालन पोषण के लिये स्थानीय निकायों द्वारा गौ शालाओं की स्थापना की है, परन्तु उनकी दशा भी अत्यंत हदय विदारक है। गौशालाओं में पीनें का पानी,खानें का चारा,रहने को छायादार जगह,बीमारी में उचित चिकित्सक का अभाव हमेशा ही बना रहता है। वहीं वर्षा के दिनों में पानी भर जानें से कीचड आदि हो जाता है। स्थानीय प्रशासन एवं जागरूक नागरिकों को इन गौशालाओं की अव्यवस्थाओं पर ध्यान देकर उचित प्रबंधन करना चाहिये। जिससे गौमाताओं की तस्करी व गौ हत्याओं को रोका जा सकेै, साथ ही पशुपालकों में भी चेतना जाग्रत करनी चाहिये, जिससे वे अपने पशुओं को खुले में न छोड कर यथा स्थान पर बांध कर उनकी उचित देखभाल कर सकें।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हिन्दू एकता क्यों आवश्यक है

उच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद तो पद छोडो बेशर्म केजरीवाल जी - अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस राज में " आतंकवादियों " को होती है खून की होली खेलने की खुली छूट

जान बचानें वाली वेक्सीन से ही जिन्दा है, भ्रम न फैलाएं - अरविन्द सिसोदिया

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

कैलाश मानसरोवर के बिना भारत अधूरा है - इन्द्रेश कुमार

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग