सुषमा स्वराज के एक दाव से कांग्रेस पस्त - साप्ताहिक पाञ्चजन्य
आवरण कथा -
सुषमा स्वराज के एक दाव से कांग्रेस पस्त
तारीख: 14 Aug 201512 अगस्त। पूरा देश लोकसभा की कार्यवाही को एकटक देखता रहा। जो नहीं देख रहे थे, उन्हें उनके मित्र-संबंधी फोन करके टीवी देखने की सलाह दे रहे थे। सुषमा स्वराज स्वयं पर लगे आरोपों का उत्तर दे रही थीं। कैमरा सुषमा स्वराज का भाषण दिखाते हुए अचानक सोनिया गांधी की ओर चला जाता है। सुषमा स्वराज ने उस समय सवाल उठाए थे- एंडरसन को भागने में मदद किसने की? क्वात्रोकी को भागने में मदद किसने की?
टीवी स्क्रीन पर सोनिया गांधी की भंगिमाएं दिख रही हैं। चेहरा अचानक उतरा हुआ, प्रकट तौर पर हल्की चिंता, सामान्य दिखने की जबरदस्त कोशिश, लेकिन नाकाम। पीछे कांग्रेस सदस्य लगातार शोर कर रहे हैं, सिर्फ इस कोशिश में कि सुषमा स्वराज की आवाज को जहां तक हो सके, दबाया जा सके। आवाज नहीं दबी।
इस एक क्षण को देश और देश का लोकतंत्र हमेशा याद रखेगा। कांग्रेस के प्रथम परिवार के कारनामे इस देश में कई लोग जानते हैं। लेकिन लोग अक्सर इन्हें दबे सुरों में कहने के आदी हो चुके थे। निस्संदेह डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बहुत बार बहुत बेलाग शब्दों में इस परिवार पर बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं। लोग उनके लगाए आरोपों पर विश्वास भी करते हैं, लेकिन आम लोगों के पास इस तरह के दस्तावेजी, लिखित या स्पष्ट साक्ष्य नहीं होते हैं, जिनके बूते वे इन आरोपों को खुलकर दोहरा सकें। अब, सुषमा स्वराज के भाषण के बाद, उनके पास उद्धृत करने के लिए एक आधार बिन्दु है। सारी बात लोकसभा के रिकार्ड में दर्ज है, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी में कही गई , और कांग्रेस का प्रथम परिवार इसका कोई उत्तर न सदन में दे सका, न सदन के बाहर।
उस एक क्षण पर, सोनिया गांधी के मन में क्या चला होगा? शायद यह कि काश, कांग्रेस सदस्य इतना शोर मचा पाते कि सुषमा स्वराज का कहा हुआ एक भी शब्द किसी को सुनाई न दे पाता? या शायद यह घबराहट कि पता नहीं सुषमा स्वराज अगले वाक्य में क्या कहेंगी। कोई संदेह नहीं कि कई सवाल अभी भी बाकी हैं। कुछ भी हो सकता था। जैसे यह कि आदिल शहरयार को छुड़वाने के लिए राजीव गांधी ने, वायरलेस पर संदेश भिजवा कर, भोपाल की हत्यारी यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन चेयरमैन वॉरेन एंडरसन को रिहा करवाया था। लेकिन आदिल शहरयार से राजीव गांधी का आखिर ऐसा क्या रिश्ता था? या जैसे यह कि ओतावियो क्वात्रोकी को भागने में कांग्रेस सरकार ने मदद की थी, लेकिन क्वात्रोकी का कांग्रेस के प्रथम परिवार से आखिर ऐसा क्या रिश्ता था?
अब ये सारे सवाल उठेंगे और अपने जवाब तक पहुंचने तक उठते रहेंगे।
यह भी हो सकता है कि उस एक क्षण पर सोनिया गांधी मन ही मन उस क्षण को कोस रही हों, जब कांग्रेस ने बहस की मांग करने का फैसला किया था, काम रोको प्रस्ताव की जिद की थी। अगर रोज की तरह रोजमर्रा का हंगामा होता तो कांग्रेस को यह दिन नहीं देखना पड़ता। कांग्रेस के प्रथम परिवार पर हमला? कांग्रेस के लिए यह कुफ्र जैसी स्थिति है।
वास्तव में सुषमा स्वराज ने सिर्फ कांग्रेस के प्रथम परिवार का पर्दाफाश नहीं किया। उन्होंने उस मीडिया जमात का भी भांडा फोड़ दिया, जो कांग्रेस के इशारों पर नाचने की जल्दबाजी में या मोदी विरोध की अहंतुष्टि में, अर्धसत्य और झूठ के बीच टहलती रहती है, चीखती और कराहती रहती है। ललित मोदी को 'भगोड़ा' कहने वाला देश का मूलत: अंग्रेजी और कुछ अन्य मीडिया ही था, सुषमा स्वराज ने और अरुण जेटली ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि ललित मोदी को आज तक देश की किसी भी अदालत ने भगोड़ा घोषित नहीं किया है। चिट्ठी ललित मोदी के लिए लिखी गई, यह आभास पैदा करने वाला भी इसी मीडिया का यही हिस्सा था,आज यह झूठ भी खुल गया। ललित मोदी की पत्नी, जो पिछले कई वर्ष से कैंसर से पीडि़त हैं, चिट्ठी उनके लिए लिखी गई थी। उन पर न तो कोई आरोप है और न ही वह किसी भी तरह से विवादित हैं।
निशाने पर तीर
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सपाट सी घोषणा थी-जब तक सुषमा स्वराज इस्तीफा नहीं देंगी, संसद नहीं चलने दी जाएगी। लेकिन 12 अगस्त को मल्लिकार्जुन खडगे ने काम रोको प्रस्ताव रख कर सबको चौंका दिया।
प्रश्न- क्या यह कांग्रेस में किसी नई सोच का परिणाम था? क्या कांग्रेस किसी कारण से दबाव महसूस कर रही थी?
उत्तर-नई सोच का सवाल ही नहीं था। मल्लिकार्जुन खडगे से राहुल गांधी की खींची लकीर से आगे जाने का साहस दिखाने की अपेक्षा कोई नहीं रखता।
ऐसे में शायद कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह उम्मीद रही होगी कि काम रोको प्रस्ताव की उनकी मांग खारिज कर दी जाएगी और लिहाजा यह मांग उठाने में कोई हर्ज नहीं है।
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वे प्रस्ताव की शब्दावली के आधार पर भाजपा को भड़काने का काम करेंगे, इससे सदन न चलने देने का दोष भी भाजपा पर मढ़ना सरल हो जाएगा।
लेकिन सुषमा स्वराज ने प्रस्ताव को, किसी भी शब्दावली में, तुरंत स्वीकार करने की मांग करके उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
कांग्रेस ने आखिरी पत्ता फेंका। वह (अपने ही लाए काम रोको प्रस्ताव पर) बहस करने के लिए तैयार थी, लेकिन इस पर भी उसकी शर्त थी- पहले प्रधानमंत्री को बुलाया जाए।
अब कांग्रेस की चिढ़ या अहंकार साफ था। उसे सिर्फ अहंतुष्टि करनी थी। बहस की औपचारिकता में मल्लिकार्जुन खडगे सिर्फ एक मोहरे साबित होने जा रहे थे, हालांकि सुषमा स्वराज ने उन्हें बख्श कर और सीधे राजपरिवार पर हमला करके इस आखिरी पत्ते को भी भोथरा कर दिया। उधर कांग्रेस की ओर से कोई नहीं जानता था कि अगर एक बार बहस शुरू हो गई, तो कांग्रेस किस बिन्दु का क्या जवाब देगी। कांग्रेस अपने मुंह की खाने की पटकथा खुद लिख कर आई थी।
दूसरा पहलू। सदन में कांग्रेस अकेली पड़ती जा रही थी। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस राजदरबार को उनके 'तू सेवेंती तू' वाले क्षण की याद दिला दी थी, जब मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था। कांग्रेस के बाकी 'नैसर्गिक सहयोगी' पहले ही मैदान छोड़ चुके थे। कांग्रेस के साथ आने के लिए पूरा विपक्ष भी राजी नहीं था। यहां तक कि वह राजद भी सदन चलने देने के पक्ष में खड़ी हो गई, जो बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की गठबंधन भागीदार बनने जा रही है। खीझे हुए कांग्रेस सदस्यों ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में सदन में मुलायम सिंह को न बोलने देने के लिए चीख-चीख कर जमीन-आसमान एक कर दिया। हालांकि जब उसी विषय पर राजद के सांसद बोल रहे थे, तो कांग्रेस उस पर बिल्कुल चुप रही।
तीसरा पहलू। सीआईआई की पहल पर एक ऑनलाइन याचिका शुरू की गई, जिसमें दिखावे के लिए सभी पार्टियों से और वास्तव में कांग्रेस-सीपीएम गठजोड़ से अपील की गई थी कि वे सदनों को काम करने दें। इस याचिका पर देश के १५ हजार शीर्ष उद्योगपति हस्ताक्षर कर चुके थे।
कांग्रेस को उद्योग जगत की यह हुकुमउदूली जरा भी रास नहीं आई। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट करके इस बात पर ही आपत्ति कर दी कि उद्योग जगत आखिर बोल क्यों रहा है। लेकिन मनीष तिवारी यह भूल गए कि हाल ही में कांग्रेस ने अपने सर्वोच्च, यानी कि उपाध्यक्ष के स्तर पर, आर्थिक दबाव होने की बातकही थी और चंदे की मांग की थी।
चौथा पहलू। कांग्रेस 25 सदस्यों का निलंबन देख चुकी थी। कोई संदेह नहीं कि इसके अति नाटकीय विरोध की तस्वीरें अखबारों में छपी थीं। लेकिन जाहिर तौर पर एक ही तस्वीर बार-बार नहीं छप सकती थी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई महाजन अपनी नाराजगी बहुत साफ शब्दों में जता चुकी थीं, और अब कांग्रेस के पास खोने के लिए बहुत कुछ नहीं बचा था।
सुषमा स्वराज के हमलों का तीसरा निशाना बने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम। सुषमा स्वराज ने सरेआम कहा कि मल्लिकार्जुन खडगे जो कुछ पढ़ कर सुना रहे हैं, उन्हें वह पी. चिदम्बरम ने लिखकर दिया है और यह पूरा मामला निजी शत्रुता का षड्यंत्र है। कांग्रेस के पास इसका कोई उत्तर नहीं था, जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो।
सुषमा स्वराज ने पी. चिदम्बरम पर फिर हमला बोला। उन्होंने चिदम्बरम के वित्त मंत्री रहते हुए उनकी पत्नी नलिनी चिदम्बरम के आयकर विभाग की ओर से वकील होने का मामला उठाया। कांग्रेस ने चिदम्बरम का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं समझी।
यहां तक आते आते कांग्रेस लगभग पस्त हो चुकी थी। इतनी पस्त कि जब सुषमा स्वराज ने सोनिया, राहुल और राजीव गांधी पर हमले किए, तो भी कांग्रेस हताश भाव से देखती रही। सोनिया गांधी तब जाकर आसन के आगे आईं, जब भाजपा के एक सांसद सतीश गौतम ने सोनिया गांधी की बहन एलेक्जांद्रा उर्फ अनुष्का के लिए पूछ लिया- राहुल की मौसी को कितना पैसा मिला ललित मोदी से? इस आरोप ने सोनिया, राहुल और बाकी कांग्रेस में नई जान फूंक दी। पूरी कांग्रेस सदन के गर्भ में उतर आई, और सदन एक घंटे के लिए स्थगित होने के बाद ही हटी। बाद में घोषणा की गई कि यह टिप्पणी रिकार्ड में नहीं है।
कांग्रेस के प्रथम परिवार का, प्रथम परिवार के लिए, प्रथम परिवार की ओर से अहंकार को दबे शब्दों में एक अभिव्यक्ति दी मल्लिकार्जुन खडगे ने। उन्होंने मांग की कि सुषमा स्वराज के भाषण को नियम ३५२ के तहत पूरा का पूरा खारिज किया जाए। तर्क नहीं, सीधा खारिज करने का फरमान। निष्ठावान फर्ज। जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस नियम के तहत तो खुद खडगे का भी भाषण खारिज हो जाएगा, तो खडगे बैठ गए। कांग्रेस का यह अंतिम तर्क था। -ज्ञानेन्द्र बरतरिया
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आवरण कथा - यूं लगा कांग्रेस के मुंह पर ताला
तारीख: 14 Aug 2015नई दिल्ली। लोकसभा में यूं तो भ्रष्टाचार और दूसरे मुद्दों पर बहस पहले भी हुई है लेकिन मानसून सत्र में ललित मोदी प्रकरण को लेकर हुई बहस में केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जिस आक्रामकता और प्रामाणिकता के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस और गांधी परिवार के चोरी छिपे कारनामों की याद दिलाई तो कांग्रेस तिलमिला उठी। इतनी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुदे नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गईं। लेकिन सुषमा स्वराज ने कांग्रेस को उसके भ्रष्ट कारनामों का आइना दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सुषमा स्वराज ने भोपाल गैस कांड में हजारों लोगों की मौत के लिए दोषी एंडरसन को भगाने से लेकर बोफ र्स तोप सौदे में दलाली प्रकरण में शामिल होने के आरोपी क्वात्रोकी के राज खोलना शुरू किए तो सोनिया गांधी ने अपने हाथ कानों पर ऐसे रख लिए जैसे वे सच को सुनना नहीं चाहतीं। आखिर सच कड़वा जो होता है और सुषमा सदन में सच बोल रही थीं।
सुषमा स्वराज ने एंडरसन और क्वात्रोकी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भूमिका का तथ्यों और दस्तावेजों के साथ उल्लेख किया तो सोनिया और राहुल गांधी के चेहरों पर तनाव साफ नजर आने लगा। कारण, एंडरसन और क्वात्रोकी को लेकर कांग्रेस खुद सवालों के घेरे में आ गई। रही सही कसर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूरी कर दी। लिहाजा कांग्रेस जेटली की बात सुने बिना ही संसद का मैदान छोड़ गई। सत्ताधारी भाजपा नेताओं ने ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज पर सवाल खड़े कर मोदी सरकार की छवि खराब करने की कांग्रेस की रणनीति को भी पूरी तरह विफल कर उल्टा उसे कटघरे में खड़ा कर दिया। कारण ललित मोदी, एंडरसन और क्वात्रोकी भारत से बाहर गए या भागे तो कांग्रेस के शासन में गए। इसलिए जवाब अब कांग्रेस को देना होगा।
असल में तो कांग्रेस की रणनीति भी यही थी लेकिन कांग्रेस को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि जिस ललित मोदी प्रकरण को लेकर उसने संसद की कार्यवाही ठप करके रखी थी उस पर जब चर्चा होगी तो सदन में उल्टा घिर जाएगी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि सत्तापक्ष कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा के लिए तैयार नहीं होगा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल चलने देने और नियमों का हवाले देते हुए एक बार तो कांग्रेस का कार्य स्थगन प्रस्ताव नामंजूर कर दिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस को लगभग ललकारते हुए लोकसभा अध्यक्ष से निवेदन किया कि कांग्रेस जिस नियम के तहत और जिस शब्द के साथ चर्चा करना चाहती है उसकी अनुमति प्रदान कर दे, उन्हें कोई आपत्ति नहीं। बस एक शर्त है कि जब वह बोलें तो कांग्रेस उनकी बात सुने, सदन से बहिर्गमन न करे। लिहाजा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पक्ष और विपक्ष की बात सुनने के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए चर्चा शुरू करा दी। कांग्रेस की ओर से उसके नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने ललित मोदी प्रकरण को लेकर सुषमा स्वराज और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
सुषमा स्वराज शांति के साथ खडगे के भाषण को सुनती रहीं लेकिन जब सुषमा स्वराज बोलने के लिए खड़ी हुई तो कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री को बुलाने की मांग करते हुए नारेबाजी और हंगामा करने लगे। कांग्रेस की रणनीति थी कि शोर-शराबे के चलते सदन नहीं चल पाएगा और सुषमा स्वराज को अपनी बात रखने का या तो मौका नहीं मिलेगा या फिर सुषमा स्वराज की बात शोर शराबे में दब कर रह जाएगी। लेकिन सुषमा स्वराज ने जैसे जैसे एक एक कर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देना शुरू किया उनका भाषण कांग्रेसी सदस्यों की नारेबाजी पर भारी पड़ने लगा। करीब तीस मिनट के सुषमा स्वराज के पूरे भाषण के दौरान कांग्रेसी सदस्य नारे लगाते रहे लेकिन सुषमा नहीं रुकीं। सुषमा स्वराज ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अर्जुन सिंह की आत्मकथा वाली किताब निकाल कर भोपाल गैस कांड में हजारों लोगों की मौत के लिए दोषी एंडरसन को देश से भगाने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भूमिका और बदले में अमरीकी जेल में बंद एक अपराधी आदिल शहरयार को इसलिए छुड़वाने का चिट्ठा खोलना शुरू किया क्योंकि आदिल का परिवार गांधी परिवार का नजदीकी माना जाता था। उसे सुनकर सोनिया और राहुल गांधी सहित पूरा सदन सन्न रह गया। और जब सुषमा स्वराज ने क्वात्रोकी का मामला उठाते हुए राहुल गांधी से अपनी मां से यह पूछने को कहा कि उनसे पूछें कि क्वात्रोकी को भगाने के लिए कितने पैसे लिए गए? तो सोनिया और राहुल के साथ समूची कांग्रेस को जोर का झटका लगा। लिहाजा कांग्रेसी सदस्यों ने इस झटके से ध्यान हटाने के लिए और जोर जोर से नारे लगाने शुरू कर दिए। पर सुषमा स्वराज जैसे ठान के आई थीं कि अपनी शब्द वाणी से कांग्रेस को मानसून सत्र में धो डालेंगी और उन्होंने ऐसा किया भी।
सुषमा स्वराज ने जहां एंडरसन से लेकर क्वात्रोकी मामले में कांग्रेस को आइना दिखाया वहीं ललित मोदी प्रकरण में भी उन्होंने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया। सुषमा स्वराज ने ललित मोदी को मदद देने से लेकर अपने परिजनों को बदले में कोई रकम मिलने के आरोप से भी साफ इंकार कर दिया। स्वराज ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनकी पत्नी का जिक्र करते हुए हितों के टकराव का उदाहरण दिया और कहा कि ललित मोदी मामले को लेकर हितों के टकराव का जो आरोप कांग्रेस उन पर लगा रही है उसमें कहीं कोई दम नहीं है। सुषमा स्वराज ने सिलसिलेवार कांग्रेस के हर सवाल का उत्तर दिया। तो सत्ताधारी भाजपा और राजग घटकों के सभी सदस्यों ने हर बार मेजें थपथपा कर सुषमा का समर्थन किया। चर्चा के दौरान भाजपा और उसके सहयोगी दल जहां एकजुट टीम के रूप में नजर आ रहे थे वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा था। कई गैर कांग्रेसी दलों ने सदन को ठप करने और काम न होने देने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना भी साधा। तो भाजपा और राजग सदस्यों ने ललित मोदी प्रकरण को लेकर सदन में कोई कामकाज न होने देने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। लिहाजा कांग्रेस के आचरण को लेकर कई सवाल और खड़े हो गए।
सुषमा स्वराज के भाषण से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी खासे प्रभावित हुए और उन्होंने स्वराज की पींठ थपथपाते हुए उन्हें बधाई दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली, आडवाणी और सुषमा सहित भाजपा खेमे में जहां जीत जैसा नजारा था वहीं कांग्रेस खेमे में मायूसी। लिहाजा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जैसे ही बोलने खडे़ हुए तो कांग्रेस और उसके सहयोगी दल सदन से बहिर्गमन कर गए। भाजपा सदस्यों ने चुटली लेते हुए कहा भी कि मैदान छोड़ कर कहां जा रहे हो, चर्चा अभी बाकी है। बहरहाल, ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने जिस प्रकार संसद के भीतर कांग्रेस को घेरा उसे देख-सुन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने अंदाज में दोनों को सार्वजनिक रूप से बधाई देने में देर नहीं लगाई। -मनोज वर्मा
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मिनट दर मिनट उड़ी धज्जियां
तारीख: 14 Aug 201512 अगस्त को संसद के दोनों सदनों में हुई कार्रवाई का मिनटवार ब्योरा
11:05 लोकसभा में सुषमा स्वराज का वक्तव्य आरंभ, कहा, वे चर्चा के लिए तैयार हैं।
11:06 सुषमा-मैं मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर बिना बदलाव किए उसी भाषा में बहस के लिए तैयार हूंं।
11:06 सुषमा स्वराज ने अध्यक्ष से मल्लिकार्जुन खडगे के स्थगन प्रस्ताव पर बहस कराने की विनती की।
11:07 सुषमा- मैं अध्यक्ष जी से बहस शुरू करने का अनुरोध करती हूं जिसमें सिर्फ विपक्षी सदस्य ही बोलेंगे। मैं इसके लिए तैयार हूं पर एक ही विनती है कि जब मैं बोलूं तो मुझे बोलने दिया जाए।
11:07 मल्लिकार्जुन खडगे ने अध्यक्ष से सभी कार्यवाही निरस्त करके प्रधानमंत्री को बहस में बुलाने की अपील की।
11:08 मल्लिकार्जुन ने मांग की कि प्रधानमंत्री को बहस के लिए सदन में आना चाहिए।
मल्लिकार्जुन-प्रधानमंत्री अपने मंत्री के खिलाफ कार्यवाई कैसे करेंगे अगर वे उनके खिलाफ आरोप ही न सुनें।
11:09 विपक्षी नेताओं ने भाजपा मंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए।
11:10 वेंकैया नायडू- सरकार स्थगन प्रस्ताव के तहत लोकसभा में ललित मोदी के मुद्दे पर बहस कराने को तैयार है।
11:11 सुमित्रा महाजन- मुझे प्रश्नकाल के बाद स्थगन प्रस्ताव की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है।
11:13 लोकसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव पर बहस के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने की विपक्ष की मांग ठुकरा दी।
11:14 अरुण जेटली ने विपक्ष पर संसद को बाधित करने का आरोप लगाया।
11:16 विपक्ष ने सदन चलाने की इंडिया इन्कारपोरेशन केंपेन की मांग पर आपत्ति की। राज्यसभा में नारे लगाए गए।
11:17 विपक्ष ने राज्यसभा में मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए-'मोदी शाही की सरकार, नहीं चलेगी नहीं चलेगी'।
11:18 विपक्ष ने कालाधन मुद्दे पर मोदी सरकार पर आरोप लगाए, कहा-15 लाख का क्या हुआ, क्या हुआ।
11:18 राज्यसभा उपसभापति कुरियन-यह लोकतंत्र पर जनमत है। यह बहुत खेदजनक है।
11:18 राज्यसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित।
12:04 सीताराम येचुरी- हमने पहली बार सुना कि व्यवसायी सदन चला रहे हैं। हमें अच्छा लगा कि लोग सदन की कार्यवाही में रुचि दिखा रहे हैं लेकिन वे इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकते।
12:05 मल्लिकार्जुन खडगे ललित मोदी विवाद पर बहस के लिए नोटिस लाए। अध्यक्ष ने अस्वीकार करते हुए कहा-स्वीकृत नोटिस गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था।
12:05 येचुरी-पीएम ने खुद को प्रधानमंत्री नहीं एक सेवक बताया था, इसलिए नियम सबके लिए एक जैसे रहने दीजिए। हम सब लोकसभा में मतदान की तरह सदन में बहस चाहते हंै।
12:06 शरद यादव-सदन भारत के लोगों ने चुना है और व्यवसायी हमें सदन चलाने का निर्देश नहीं दे सकते।
12:07 सुषमा स्वराज ने अध्यक्ष से खडगे के स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने की विनती की।
12:07 लोकसभा दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित
12:45 लोकसभा ललित मोदी विवाद पर बहस के लिए तैयार हुई, कागज प्रस्तुत करने के बाद बहस शुरू होने के आसार
12:47 खडगे- मुझे खुशी है कि मेरा स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया।
12:47 राहुल गांधी अपने साथ हाथ से लिखा भाषण लेकर आए।
12:48 लोकसभा स्थगन प्रस्ताव पर बहस के लिए तैयार हुई। अध्यक्ष ने बहस के लिए 150 मिनट निर्धारित किए।
12:48 खडगे ने स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
12:54 खडगे-प्रधानमंत्री को सदन में उपस्थित होना चाहिए क्योंकि यह एक मंत्री द्वारा एक भगोड़े को मदद करने के बारे में है और केवल वे हमारे आरोपों पर कार्यवाई कर सकते हैं।
12:56 खडगे-प्रधानमंत्री को सदन या बाहर बात करना पसंद नहीं है। वे सिर्फ रेडियो या टीवी या विज्ञापनों में बात करना पसंद करते हैं। हम पूरे मुद्दे पर प्रधानमंत्री से उनकी राय जानना चाहते हैं।
12:57 खडगे- मैं अध्यक्ष से अनुरोध करता हूं कि हम मंत्री से बार-बार जवाब नहीं चाहते। हम सिर्फ प्रधानमंत्री से जवाब चाहते हैं।
12:58 खडगे ने मांग की कि प्रधानमंत्री बहस का
जवाब दें। उन्होंने मांग की बहस नियम 56 के तहत ही हो।
1:04 खडगे-सुषमा स्वराज का परिवार ललित
मोदी मामले में वकील था। इसीलिए उसे बचाया गया था।
1:11 खडगे- सुषमा स्वराज को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
1:24 खडगे ने पूछा, ललित मोदी की जांच सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? ललित मोदी को यूके उच्चायोग में क्यों नहीं बुलाया गया?
1:43 लोकसभा अध्यक्ष ने खडगे को अपना भाषण समाप्त करने के लिए कहा।
1:44 सोनिया गंाधी पार्टी नेताओं के साथ अध्यक्ष के आसन के सामने विरोध करने आईं।
1:48 लोकसभा 2 बजे तक के लिए स्थगित।
2:54 लोकसभा अध्यक्ष ने सुषमा स्वराज को बोलने के लिए कहा।
2:56 सुषमा स्वराज ने बोलना शुरू किया, विपक्ष ने शोरगुल मचाया।
2:59 सुषमा- अगर मुझे बोलने नहीं दिया जायेगा तो न्याय कैसे हो सकता है।
3:03 सुषमा- मेरे पति कभी ललित मोदी की तरफ से पासपोर्ट मामले में पेश नहीं हुए।
3:03 सुषमा- मेरी बेटी पासपोर्ट मामले में नौवें नम्बर की वकील थी। उसे इस मामले में एक पैसा भी नहीं मिला।
3:05 सुषमा स्वराज ने कहा, पूर्व वित्तमंत्री चिदम्बरम ने अपनी पत्नी नलिनी की मदद की थी और उन्हें आई टी विभाग में सलाहकार भी नियुक्त किया था।
3:10 सुषमा ने राहुल गांधी पर पटलवार किया, कहा-राजीव गंाधी सरकार ने ओतावियो क्वात्रोकी को भारत से भाग निकलने में मदद की थी। हमने कोई चीज छुपकर नहीं की।
3:19 सुषमा ने राहुल को कहा- छुट्टियों पर जाओ और क्वात्रोकी से एंडरसन तक की मदद करने का कांग्रेस का इतिहास पढ़ो और अपनी मां से सवाल पूछो- मम्मा, पापा ने क्वात्रोकी को क्यों छुड़ाया?
3:24 सुषमा- यूके सरकार ने प्रत्यावर्तन का अनुरोध किया था, लेकिन चिदम्बरम ने कुछ नहीं किया।
3:29 सुषमा- मैं 38 साल से राजनीति में हूं और मेरे खिलाफ कभी किसी गलत काम के आरोप नहीं लगे हैं।
3:30 सुषमा- चिदम्बरम अपनी व्यक्तिगत शत्रुता की वजह से ललित मोदी के विरुद्ध थे।
6:08 अरुण जेटली- राहुल गांधी को कोई जानकारी नहीं, फिर भी विशेषज्ञ हैं।
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