सावधान - सावधान : योजनापूर्वक झूठ फैलाया जा रहा !!

कांग्रेस और साम्यवादी दलों का सफाया देश की जनता ने कर दिया , ऐतिहासिक हार से तिलमिलाये ये दल राष्ट्रभक्त नरेंद्र मोदी सरकार को काम नहीं करने दो, के एजेंडे पर रोज रोज षडयंत्रों के द्वारा बाधा  उत्पन्न कर रहे हैं !




JNU का कन्हैया कुमार कैसे करता है झूठ और मक्कारी की बातें

4th March 2016 सावधान सावधान

New Delhi: कल दिल्ली की जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी का छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार 14 दिन की न्यायिक हिरासत के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हो गया। रिहाई के बाद कन्हैया कुमार ने शाम को सभी JNU छात्रों को इकठ्ठा करके लम्बा चौड़ा भाषण दिया लेकिन भाषण के दौरान उसने प्रधानमंत्री मोदी को जमकर निशाना बनाया। उसने केवल दो  साल पुरानी सरकार को देश की सभी समस्याओं के लिए जिम्मेदार बताकर JNU के एंटी मोदी अजेंडे को खुद ही एक्सपोज्ड कर दिया। खासतौर से छात्रों से राजनीतिक बयानबाजी की अपेक्षा नहीं की जाती लेकिन कन्हैया कुमार ने देश को भ्रमित करने वाली बयानबाजी करने के साथ साथ झूठ और मक्कारी का भी सहारा लिया और मोदी सरकार को पांच वर्ष में उखाड़ फेंकने की कसम खायी।

कन्हैया कुमार ने फिर से अपने पिछले भाषण को दोहराते हुए कहा की उन्हें गरीबी, भुखमरी और जातिवाद से आजादी चाहिए। कन्हैया कुमार की इस बात से देश के सभी लोग सहमत हो सकते हैं क्यूंकि ये सभी समस्याएं इस देश की सबसे बड़ी समस्याएँ हैं लेकिन कन्हैया कुमार ने अपने भाषण में यह नहीं बताया की इन समस्याओं का जिम्मेदार कौन है, किसने देश पर सबसे अधिक समय तक राज किया है। क्या वे लोग देश की गरीबी, भुखमरी और जातिवाद के जिम्मेदार नहीं हैं।

मोदी सरकार को देश में आये 2 साल भी नहीं हुए हैं। क्या देश की सभी समस्याओं के लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार है, इससे पहले कांग्रेस ने 10 वर्ष तक शासन किया और उसके पांच वर्ष पहले भी देश पर कांग्रेस पार्टी का ही शासन था। क्या कन्हैया कुमार और JNU के वामपंथी छात्रों की नजर में कांग्रेस इन समस्याओं की जिम्मेदार नहीं है।

ज्यादातर लोगों को पता होगा की कांग्रेस के शाशन के समय में (60-90 के दशक) देश में ब्राह्मणवाद का बोलबाला, ब्राह्मणों को चुन चुन कर नौकरी पर रखा जाता था। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु खुद अपने नाम के आगे पंडित लगाते थे, उनके राज में पंडितों को चुन चुन कर नौकरियां बांटी गयीं। इससे ना सिर्फ सामाजिक भेदभाव फैला, समाज में एक निराशात्मक माहौल भी फैला और खासकर दलितों के साथ बहुत अन्याय हुआ। उस समय में ज्यादातर नौकरियों पर ऊँची जाती वालों को रखा गया और पिछड़ी जातियों को इग्नोर किया गया, इसके बाद पिछड़ी जातियों को आरक्षण की जरूरत हुई लेकिन उन्हें आज तक सही रूप से आरक्षण नहीं मिला। आज भी कुछ राजनीतिक पार्टियाँ उन्हें आरक्षण का सपना दिखाकर सरकार चला रही हैं लेकिन ना तो गरीबों और पिछड़ों को आरक्षण दे रही हैं और ना ही राज्य से गरीबी मिटने का नाम ले रही हैं, बिहार इसका जीता जागता उदाहरण है। बिहार आज भी सबसे अधिक पिछड़ा हुआ माना जाता है और वहां की सरकारें अभी भी आरक्षण देने का सपना दिखा कर राज्य कर रही हैं अगर उन्हें सच में आरक्षण दे दिया जाता तो वहां पर इतनी गरीबी ना होती और नौजवानों को रोजगार के लिए दूसरे शहरों में भटकना ना पड़ता।

कल कन्हैया कुमार ने खुद कहा कि वह सबसे पिछड़े राज्य बिहार से आता है। क्या कन्हैया कुमार को जानकारी नहीं है की बिहार के पिछड़े होने का कारण क्या है। क्या बिहार के पिछड़े होने का कारण जातिवाद नहीं है। बिहार में 35 वर्ष तक राज करने वाले लालू यादव और नीतीश कुमार ने गरीबों और पिछड़ों को आरक्षण क्यूँ नहीं दिया और क्यूँ एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाते रहे। बिहार में क्यूँ दलित को महादलित बना दिया गया। दलित आज भी बिहार के सबसे बड़े वोटबैंक क्यूँ हैं। क्या मोदी सरकार बिहार की गरीबी के लिए जिम्मेदार है। बीजेपी और मोदी ने तो वहां पर राज भी नहीं किया। क्या कन्हैया कुमार बिहार सरकार या वहां पर जातिवाद ख़त्म करने के लिए बिगुल छेड़ेगा? नहीं छेड़ेगा। क्यूंकि नीतीश कुमार ने कन्हैया कुमार को बिहार का बेटा बताया है और बेटा अपने बाप के खिलाफ कैसे बोल सकता है।

कल कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में एक झूठ बोला। उसने कहा की मोदी ने कालाधन लाकर देश के सभी लोगों के बैंक अकाउंट में 15 लाख जमा कराने का वादा किया है। वैसे तो मोदी के बारे में यही बात मोदी विरोधी नेता नीतीश कुमार, लालू यादव, राहुल गाँधी और केजरीवाल भी कहते हैं लेकिन एक छात्र होने के नाते कन्हैया कुमार से ऐसी झूठ और मक्कारी की बातें शोभा नहीं देतीं। सच यह है कि मोदी ने कभी नहीं कहा की कालेधन में से 15 लाख रुपये सभी देशवासियों के बैंक अकाउंट में डाले जाएंगे। उन्होंने कालेधन की अधिकता का अहसास कराने के लिए कहा था की विदेशों में इतना ज्यादा कालाधन है की अगर देश में वापस आ जाय तो सभी लोगों को 15-15 लाख मिल सकता है। मोदी ने पैसे देने के लिए नहीं बोला था और ना ही वादा किया था। उन्होंने ये जरूर कहा था की नौकरीपेशा लोगों को उसका कुछ भाग जरूर मिलेगा। मोदी के कहने का मतलब ये था की पैसा आने के बाद उसे देश के विकास और गरीबों के कल्याण में लगाया जाएगा लेकिन उनकी बातों को नीतीश कुमार, लालू यादव, राहुल गाँधी और केजरीवाल ने गलत प्रचारित किया और राजनीतिक फायदा लेने के लिए देशवासियों को भ्रमित किया। यही बात JNU छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार कह रहा है जो उसकी झूठ और मक्कारी को दर्शाता है। अगर यह बात सच होती को आखिर 15 लाख किसे नहीं चाहिए, मुझे भी चाहिए, आपको भी चाहिए और देश के सभी गरीबों को चाहिए। लेकिन एक देशभक्त नागरिक फ्री के 15 लाख नहीं चाहता बल्कि उस पैसे को देश के विकास पर खर्च करना चाहता है।

कन्हैया कुमार समानता की बातें करता है। क्या समानता यही है की सभी लोगों को 15-15 लाख रुपये मिल जाएँ। देश में बहुत सारे अमीर हैं और बहुत सारे गरीब हैं क्या कन्हैया कुमार अमीरों को भी 15 लाख देना चाहता है। यह कैसी समानता हुई भाई। अगर गरीबों को देने की बात करो तो कुछ सही भी हो सकती है लेकिन आप तो सभी देशवासियों को 15-15 लाख देना चाहते हो। समानता यह है की कालाधन आये और योजनायें बनाकर उसे गरीबों पर खर्च किया जाय ताकि गरीबों की हालत में सुधार हो, उनके बच्चें अच्छे स्कूलों में पढ़ाई करें, उनके साथ भेदभाव ना हो और वे भी सबके बराबर में खड़े हो सकें।

प्रधानमंत्री मोदी ने गैस सब्सिडी छोडो योजना के तहत लाखों अमीरों से सब्सिडी छुडवा दी, आज उसी का नतीजा है की जो गैस सिलेंडर पहले 1300 रुपये में मिलता था आज केवल 500-600 रुपये में मिल रहा है। पहले गरीबों के पास राशन कार्ड नहीं होता था और उन्हें 1300 के अलावा भी 2-3 सौ रुपये फ़ालतू देकर 1500 रुपये में गैस सिलेंडर खरीदते पड़ते थे। आज हालत यह है की कोई भी गरीब या सामान्य आदमी केवल 500-600 रुपये में सिलेंडर खरीद सकता है, सब्सिडी के साथ यह सिलेंडर 420 के आसपास मिलता है। आज गरीब यहाँ तक कह देते हैं की कोई बात नहीं हमें बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर ही दे दो, 100-150 से क्या फर्क पड़ जाएगा। पहले उन्हें बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर 1500 में मिलते थे और उनकी हालत पतली हो जाती है लेकिन आज उन्हें 500-600 ही सिलेंडर मिल रहे हैं।

इसके अलवा मौजूदा बजट में करीब 5 करोड़ BPL परिवारों को फ्री गैस कनेक्शन देने की बात की गयी है और उसके लिए लम्बे चौड़े बजट की भी घोषणा की गयी है। क्या इससे करीबों का कल्याण नहीं होगा।

इसके अलावा भी अभी तक देश के 18 हजार गाँवों तक बिजली नहीं पहुँच पायी है। जहाँ बिजली पहुँच भी गयी है वहां बिजली आती ही नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 तक सभी 18 हजार गाँवों में बिजली पहुँचाने का वादा किया है और काम भी बहुत तेजी के साथ हो रहा है और जिस तेजी से काम हो रहा है, यह काम पूरा भी हो जाएगा और सभी देशवासियों को बिजली मिलने भी लगेगी। क्या इससे देश के गरीबों का भला नहीं होगा। क्या बिजली पहुँचने से पढने लिखने वाले छात्रों को फायदा नहीं मिलेगा। क्या बिजली आने से नौजवान अपने गाँवों में ही कोई रोजगार नहीं शुरू कर सकेंगे। आज जिस भी गाँव में बिजली है वहां दुकाने ही दुकाने खुल जाती हैं और लोग अपने गाँव में ही रोजगार खोलकर पैसे कमाते हैं।

मोदी सरकार को देश में आए केवल डेढ़ साल हुए हैं। देश में किसानों की हालत बहुत ख़राब है, बहुत सारे किसान आत्महत्या भी कर रहे है, बहुत सारे किसानों के खेतों में सिंचाई की सुविधा नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल खराब होने के बाद उन्हें समय से मुआवजा नहीं मिलता और उन्हें आत्महत्या करनी पड़ती है। क्या मोदी सरकार ही किसानो की हालत के लिए जिम्मेदार है जबकि उसे आये केवल डेढ़ साल हुए हैं। क्या कांग्रेस पार्टी किसानों की हालत की जिम्मेदार नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी कृषि सिंचाई योजना के तहत सभी किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना चाहते हैं ताकि किसानों को खेती करना सस्ता हो सके। मनरेगा योजना के तहत सभी गाँवों में सिंचाई के लिए तालाब और कुंवे बनाने की घोषणा हुई है ताकि पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सके और पानी को सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सके। नयी नहरों को बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है और नदियों को जोड़कर पानी के सही इस्तेमाल की घोषणा हुई है। क्या इससे देश के किसानों का भला नहीं होगा। क्या उनके खेतों में पानी पहुँचने से खेती करना सस्ता नहीं होगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी किसानों को सस्ते बीमे की सुविधा दी जा रही है ताकि फसलों की बर्बादी के बाद उन्हें समय से और जल्दी मुआवजा मिल सके। किसानों के लिए सस्ते लोन की भी घोषणा हुई है।

मोदी भी देश से गरीबी और भुखमरी दूर करना चाहते हैं। इनके लिए उन्होंने योजनायें भी शुरू कर दी हैं लेकिन कन्हैया कुमार ने मोदी सरकार को जनविरोधी बताते हुए उन्हें पांच साल में उखाड़ फेंकने की कसम खायी। जो सरकार गरीबों और किसानों के लिए काम कर रही है कन्हैया कुमार और JNU यूनिवर्सिटी के वामपंथी छात्र उस सरकार को जन विरोधी बताकर उसे उखाड़कर वापस उसी सरकार को लाना चाहते हैं जो वास्तव में जातिवाद, गरीबी, भुखमरी और किसानों की बदहाली के लिए जिम्मेदार है।

कोई भी सरकार अगर बुरा काम कर रही है तो इसके लिए उसका विरोध करना सभी का हक है लेकिन कोई भी काम अगर सही है तो उसकी तारीफ भी करनी चाहिए। कन्हैया कुमार ने मोदी की किसी भी योजना की तारीफ नहीं की उल्टा उन्होंने मोदी सरकार को जनविरोधी बताया। क्या 5 करोड़ गरीब महिलाओं को फ्री गैस कनेक्शन देना जन विरोध है, क्या किसानो को सस्ती फसल बीमा योजना का लाभ देना जन विरोध है, क्या किसानों के खेतों में पानी पहुँचाना जन विरोध है, क्या 1300 रुपये वाले सिलेंडर को 500 रुपये में देना जन विरोध है, क्या अँधेरे गाँवों में बिजली पहुँचाना जन विरोध है, क्या पूरे देश वासियों को 24 घंटे बिजली देना और उसके लिए मिशन के तहत काम करना जन विरोध है, क्या सभी गाँवों में पक्की, अच्छी और मजबूत सड़कों का जाल बिछाना जन विरोध है।

कन्हैया कुमार ने इन योजनाओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी की एक बार भी तारीफ नहीं की क्यूंकि उसका अजेंडा गरीबी और भुखमरी नहीं बल्कि इन्हें दूर करने की कोशिश करने वाली मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना और वापस उसी पार्टी की सरकार बनाना है जो वास्तव में देश में भुखमरी, गरीबी और जातिवाद के लिए जिम्मेदार है।

कन्हैया कुमार कहता है की उसके पिता गरीब किसान हैं और केवल 300 हजार रुपये में उनका घर चलता है। नीतीश कुमार कहते हैं की कन्हैया कुमार बिहार का बेटा है। कन्हैया कुमार बताएं कि बिहार में उनके परिवार की गरीबी और बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार है। वहां तो बीजेपी और मोदी की सरकार भी नहीं है, 15 साल लालू परिवार ने और 10 साल नीतीश कुमार ने राज किया है। आज तक बिहार के गरीबों और किसानों की हालत में सुधार क्यूँ नहीं हुआ। क्यूँ मात्र 3000 रुपये में उनके परिवार को गुजर बसर करना पड़ता है। क्या कन्हैया कुमार लालू यादव या नीतीश कुमार को बिहार की गरीबी और अपने परिवार की बदहाली के लिए जिम्मेदार बताने की हिम्मत करेगा? नहीं करेगा। क्यूंकि उसका अजेंडा मोदी को रोकना है जबकि उसके गरीब किसान पिता की बदहाली के लिए मोदी कतई भी जिम्मेदार नहीं हैं।

कन्हैया कुमार को सन्देश

एक संपादक होने के नाते मै भी ये मानता हूँ देश में गरीबी, भुखमरी और जातिवाद है, इसके अलावा किसानों की हालत भी बहुत खराब है लेकिन इसके लिए केवल मोदी सरकार जिम्मेदार नहीं है, मोदी सरकार को आये हुए केवल डेढ़ साल हुए हैं, इससे पहले अगर कांग्रेस सरकार से इन समस्याओं पर ध्यान दिया होता तो अब तक देश से ये सभी समस्याएँ ख़त्म हो चुकी होतीं। कोई भी काम जादू से नहीं होता बल्कि इसके लिए योजनायें बनाकर उन्हें लागू करना होता है। आप मोदी सरकार का पांच साल भी इन्तजार नहीं कर सकते और बिना उन्हें मौका दिए उन्हें उखाड़ फेंकने की बात करते हो।

आप झूठे, दोगले और मक्कार हो क्यूंकि –

*आपने उस पार्टी को इन सब समस्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं बताया जिस पार्टी ने देश पर 60 साल तक शासन किया।
*आप भ्रस्टाचार की बातें करते हो लेकिन उस पार्टी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलते जिसने भ्रस्टाचार को जन्म दिया है
*आप सिस्टम को खराब बताते हो लेकिन उस पार्टी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलते जिसने पूरा सिस्टम खराब कर दिया
*आपमें हिम्मत नहीं है की बिहार में फैले जातिवाद पर एक शब्द भी बोल सको।
*आप में हिम्मत नहीं है की आप जातिवाद पर आधारित आरक्षण ख़त्म करने पर एक शब्द भी बोल सको
*आपमें हिम्मत नहीं है कि आप अपने परिवार की गरीबी और केवल 3 हजार रुपये में गुजर बसर करने के हालात पैदा करने के जिम्मेदार नेताओं यानी नीतीश कुमार और लालू यादव के खिलाफ एक शब्द भी बोल सको
*आप 15 लाख रुपये बैंक अकाउंट में आने की बात को गलत तरीके से प्रचारित करते हो
*आप एक छात्र होकर झूठ और मक्कारी और दोगलेपन पर उतर आये हो
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो किसानों की हालत सुधारने का प्रयास कर रही है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो गरीबी ख़त्म करने का प्रयास कर रही है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो जातिवाद ख़त्म करने का प्रयास कर रही है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो सभी गाँवों में बिजली पहुँचाना चाहती है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो पूरे देश को 24 घंटे बिजली देना चाहती है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो सभी गाँवों तक मजबूत सड़कों का जाल बिछाकर किसानों की फसलों को आसाने से शहरों तक बेचने की सुविधा देना चाहती है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो किसानों को जागरूक करने का काम कर रही है
*आप उस सरकार को जन विरोधी बता रहे हो जो किसानों की आमदनी को डबल करने का सपना देख रही है
*आप सैनिकों को सोल्युट करते हो, उन्हें किसान का बेटा और अपना भाई बताते हो और नक्सलियों द्वारा उनकी हत्या पर मिठाई बांटते हो
*आप कहते हो की सैनिकों की शहादत के लिए सरकार जिम्मेदार है क्यूंकि उन्होंने युद्ध के हालात पैदा किये हैं
*आप चाहते हो की हमारे सैनिक बॉर्डर से हट जायं और पाकिस्तान हमारे ऊपर हमला कर दे
*आप चाहते हो कि भारत कश्मीर को आजाद करके युद्ध जैसे हालातों को बदल दे
*क्या गारंटी है कि कश्मीर आजाद होने के बाद युद्ध नहीं होंगे
*क्या गारंटी है की कश्मीर से आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा
*आतंकवाद तो पाकिस्तान में भी है जो भारत से आजाद हो चुका है
*अगर कश्मीर पाकिस्तान को देने के बाद उसकी नजर पंजाब पर पड़ गयी और फिर से युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए तो क्या आप कहोगे की पंजाब को भी पाकिस्तान को दे दो और युद्ध के हालत पैदा ही मत होने दो
अगर उसके बाद पाकिस्तान की नजर दिल्ली पर पड़ गई तो आप कहोगे की दिल्ली भी पाकिस्तान को दे दो और युद्ध के हालत पैदा ही मत होने दो
*अगर कश्मीर और पाकिस्तान की तरह देश से हिन्दुओं को मारकर भगाया जाने लगेगा तो आप कहोगे की भाग जाओ और मर जाओ, युद्ध के हालत पैदा ही मत होने दो
*मै आपको यही सुझाव दूंगा की आप कम से कम पांच साल तक इन्तजार तो कर लो, अगर सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया तो हम भी आपके साथ विरोध में शामिल हैं लेकिन अभी से झूठी, दोगली और मक्कारी वाली बातें मत करो। देश में नकारात्मकता मत फैलाओं, देश के विकास की गति मत रोको।

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