इतना गुमराह मत कीजिए, कन्हैया की जमानत तमाम राष्ट्रहित शर्तों से बंधी है
इतना खुश मत होइए,कन्हैया की जमानत तमाम राष्ट्रहित शर्तों से बंधी है !
Kanhaiya के Bail आर्डर पर जज साहिबां ने दिया देश भक्ति का संदेश
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New Delhi, Mar 03 : जो लोग JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष Kanhaiya की रिहाई पर खुशी मना रहे हैं उनके लिए एक बार समझना बहुत जरुरी है कि Kanhaiya को जमानत तो मिली है लेकिन, उसकी आजादी तमाम शर्तों से बंधी हुई है। इतना ही नहीं, High Court की जज साहिबां प्रतिभा रानी ने Kanhaiya के Bail आर्डर में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी की हैं। जज साहिबां ने अपनी टिप्पणियों के जरिए ना सिर्फ Kanhaiya बल्कि JNU के तमाम लोगों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने की कोशिश की है।
दिल्ली High Court की जस्टिस प्रतिभा रानी ने Kanhaiya के Bail आर्डर की शुरुआत उपकार फिल्म के एक गाने की चंद लाइनों से की है। जस्टिस प्रतिभा रानी लिखती हैं – “रंग हरा हरि सिंह नलवे से, रंग लाल है लाल बहादुर से, रंग अमन का वीर जवाहर से, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती…
ये राष्ट्रभक्ति से भरा गीत संकेत देता है कि हमारी मातृभूमि के प्रति प्यार के अलग-अलग रंग हैं। बसंत के इस मौसम में जब चारों ओर हरियाली है और चारों ओर फूल खिले हुए हैं ऐसे में JNU में शांति का रंग क्यों गायब हो रहा है। JNU के स्टूडेंट और फैकल्टी मेंबर्स की ये जवाबदेही है कि वो इसका जवाब दें।”
High Court की जस्टिस प्रतिभा रानी ने अपने आर्डर की शुरुआत इंदीवर द्वारा लिखे उपकार फिल्म के इसी गाने से की है। इतना ही नहीं, उन्होंने Kanhaiya की जमानत को लेकर कई और भी अहम और महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि वो मानते हैं कि ये एक तरह का इंफेक्शन है जो छात्रों में फैल रहा है। इसे बीमारी बनने से पहले रोकना होगा।
इस तरह के इंफेक्शन के फैलने पर उसे रोकने के लिए एंटी बायोटिक का प्रयोग किया जाता है। उसके बाद भी इंफेक्शन कंट्रोल नहीं होता तो दूसरे चरण का ईलाज शुरू होता है। ऐसे में कई बार ऑपरेशन की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक हिरासत के दौरान याचिकाकर्ता यानि Kanhaiya ने उस घटना के बारे में सोचा होगा कि आखिर ऐसी घटना हुई क्यों। ऐसी स्थित में मैं Kanhaiya को जमानत देकर मेन स्ट्रीम में जुड़े रहने का मौका देकर इलाज का पारंपरिक तरीका अपना रही हूं।
जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा कि 11 फरवरी के अपने भाषण में Kanhaiya ने कहा था कि उसकी मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और तीन हजार रुपये महीना कमाती है। उसी तीन हजार रुपये में पूरा परिवार चलता है। कोर्ट ने कहा कि Kanhaiya कि आर्थिक हालत को देखते हुए जमानत की राशि इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए कि वो जमानत बांड ही नहीं भर पाए। कोर्ट में Kanhaiya के पैरोकार और झेलम हॉस्टल के वार्डन ये सुनिश्चित करेंगे कि अगले छह महीने के दौरान कन्हैया किसी देश विरोधी कार्यक्रम में हिस्सा न ले।
कोर्ट ने कहा कि Kanhaiya को हर अधिकार हासिल है लेकिन वह संविधान के दायरे में होना चाहिए। JNU में जो नारे लगे उनसे उन शहीदों के परिवारों को धक्का लग सकता है जो कॉफिन में तिरंगे से लिपटकर घर लौटे। Kanhaiya को जमानत ऐसे ही नहीं मिली। कन्हैया की आजादी अब तमाम शर्तों से बंधी हुई है।
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