कोटा की अंनत चतुर्दशी कोरोना काल
*कोटा की अंनत चतुर्दशी*
श्री अनंत चतुर्थी महोत्सव आयोजन समिति कोटा द्वारा 2020 कोरोना काल में पारंपारिक प्रतिकात्मक तरीके से शोभा यात्रा का प्रारंभ कर परंपरागत मार्ग द्वारा गणपति बप्पा का बारहद्वारी पर पूजा अर्चना महाआरती के साथ पारंपरिक तरीके से आयोजन समिति द्वारा पूरे जोर-शोर हर्षोल्लास के साथ विसर्जन किया | कुछ झलकियां शोभा यात्रा की जिसमें मुख्य रुप से उपस्थित अध्यक्ष सनातन पुरी जी महाराज, बाबा शैलेंद्र जी भार्गव, आयोजन समिति के प्रभारी रमेश जी राठौर, पूर्व प्रभारी राजेंद्र जी जैन , दिनेश जी सोनी, जटाशंकर जी शर्मा, त्रिलोक जी जैन, रामबाबू जी सोनी, नेता जी खंडेलवाल, जितेंद्र जी त्यागी, सह प्रभारी धनराज जी गुर्जर, राकेश जी चतुर्वेदी, श्याम जी वर्मा,सुरक्षा प्रमुख रमेश जी मीणा, जगदीश जी सुमन, हनुमान जी मीणा उपस्थित रहे |
गणेश जी महाराज की जय हो
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*इस वर्ष 2020 में कोरोना काल* मे गणेश महोत्सव अनन्त चतुर्दशी अपने अपने घर मे ही मनेगी।
*बड़ी धूमधाम से मनाई जाती रही है।*
*बड़ी धूमधाम से मनाई जाती रही है।*
*अनन्त चतुर्दशी* पर किसी समय ज्यादा से ज्यादा *एक दर्जन झाकियां* निकलती थी अब इतना बड़ा जलूस निकलता है कि व्यवस्था के लिये *3 हजार पुलिस जवान*, अनेक अधिकारी लगाये जाते है। *अनगिनित अखाड़े* और लगभग *दस हजार अखाड़े* बाज इत्यादि रहते है।
*कोटा में* अब तो जगह जगह घर घर पर गणेशजी की स्थापना होने लगी है प्रमुख चौराहों पर यानी यह कह दिया जाये की पूरे *कोटा में 30 लाख गणेश जी* की स्थापना होती है तो अतिशयोक्ति नही होगी। पिछली अंनत चतुर्दशी में *5 लाख आलू बड़े* वितरण किये गये थे। कचोरी, समोसा, पोहा, जलेबी इमरती, सूजी का हलवा, पूड़ी सब्जी इत्यादि का खुले मन से वितरण किया जाता है। जलूस, झांकियों, अखाड़ो का स्टेज बनाकर स्वागत किया जाता है।
*कोटा में* भीमगंजमण्डी, पटरी पार, नदी पार,नया कोटा, पुराना कोटा,बारां रोड इत्यादि क्षेत्र में अब विसर्जन भी अनेक स्थानों पर होने लगा है *कोटा के किशोर तालाब* में तो पूरी रात्रि विसर्जन कार्यकम चलता रहता है सुबह हो जाती है,*भीतरिया कुंड चंबल नदी पर कई जगह नयापूरा, रामपुरा, सकतपुरा, कुन्हाड़ी, भदाना, रंगपुर तट इत्यादि स्थानों पर होता है।*
*भक्तजन* एक्टिवा, मोटरसाइकिल, टाटा 407, टेक्टर ट्रॉली,जीप, कार अनेक वाहनों पर गाते बजाते नाचते बग्गियों रथ में जलूस निकलते हुवे *जयकारों से आसमान गुंजायमान* करतें हुवे विसर्जन करते है। इसका वर्णन जितना भी किया जाये उतना कम है।
*अनेक भजन मंडलियां*, डांडिया दल, बैंडवादक दल शोभायात्रा में शामिल रहेंंगे। साढ़े चार से पांच किमी के जुलूस मार्ग में अनेक स्थानों पर स्वागतद्वार लगाए जाते है
*शोभायात्रा में दुर्गा वाहिनी व्यायाम शाला* की महिला पटेबाजों ने आग के गोलों से कूदकर प्रदर्शन करने में पीछे नही रहती है सभी हैरत में पड़ जाते है। *श्री मंशापूर्ण व्यायामशाला* छावनी के पटेबाजों ने लाठी से फ्री स्टाइल लडऩे का प्रदर्शन करते है।
*1948 का वो साल कोटा शहर* कभी नहीं भूलेगा जब पहली बार गाजे-बाजे के साथ यहां सड़कों पर जुलूस निकाला गया। आइए आपको ले चलते हैं *गणेशोत्सव* के विराट स्वरूप में तब्दील होने महान यात्रा पर, जिसकी शुरुआत *72 साल* पहले पाटनपोल निवासी *डॉ, राजकुमार* ने की।
वर्ष 1990 में *बाबा गोपीनाथ जी भार्गव* ने शोभायात्रा को भव्य बनाया। महामंडलेश्वर *रामानंद जी सरस्वती* का सानिध्य मिला, रामधाम आश्रम एवं बड़ा भक्तमाल के *अवधेशाचार्य जी महाराज*, शिवपुरी धाम के *संत सनातन पूरी जी* अनेक संतजन सामाजिक संस्था, धार्मिक संस्थाओं, आयोजन समिति द्वारा *विशाल आयोजन हो रहा है।*महंत शैलेन्द्र जी भार्गव, महामंडलेश्वर हेमा जी सरस्वती, संत सनातन पूरी जी* इसमें कोटा में अखाड़ों के जनक कहे जाने वाले उस्ताद *चौथमल बरथूूनिया* का भी उल्लेखनीय योगदान रहा। बरथूनियां को अखाड़ों के द्रोणाचार्य के नाम से भी जाना जाता है। कोटा वासियो का भी सहयोग बहुत बडा है।
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