पाकिस्तान पहुंची : अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुई गोलीबारी की जांच


पाकिस्तान तक पहुंची अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुई गोलीबारी की जांचTuesday, December 8, 2015


वॉशिंगटन : चरमपंथी दंपति द्वारा सान बर्नार्डिनो में अंजाम दी गई गोलीबारी की जांच का दायरा बढ़कर पाकिस्तान समेत कई बाहरी देशों तक पहुंच गया है। यह जानकारी एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने दी। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल लॉरेटा लिंच ने एनबीसी के ‘मीट द प्रेस’ में कल दिए एक साक्षात्कार में कहा, पाकिस्तान उनमें से एक देश है। कुछ अन्य देश भी शामिल हैं। एफबीआई पाकिस्तानी नागरिक ताशफीन मलिक और पाकिस्तानी मूल के उसके पति सैयद रिवान फारूक द्वारा बुधवार को एक जनसमूह पर गोलीबारी करके की गई 14 लोगों की हत्या के मामले की जांच कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे आतंकी कृत्य करार दिया है।
लिंच ने एक सवाल के जवाब में कहा, जांच जारी है। इसका दायरा व्यापक है, यह बहुत जटिल है। इसकी जांच एफबीआई द्वारा की जा रही है क्योंकि हमें चरमपंथ से प्रभावित होने के संकेत मिले हैं। यह एक आतंकी जांच है लेकिन हम हमारे राज्य और स्थानीय समकक्षों के साथ मिलकर काम करना जारी रखे हुए हैं। इसके अलावा एटीएफ मार्शल जमीन पर तैनात हैं।

ताशफीन और फारूक की शादी लगभग दो साल पहले सउदी अरब में हुई थी। इनकी मुलाकात एक मेट्रीमोनियल साइट पर हुई थी। ताशफीन ने अपनी अधिकांश जिंदगी सउदी अरब में बिताई और फिर वह पाकिस्तान में अपनी पढ़ाई पूरी करने गई। इसके बाद वह फारूक की मंगेतर के रूप में अमेरिका आ गई थी। उन्होंने कहा, अब तक हुई जांच में इस बात का संकेत नहीं मिला है कि इस दंपति ने बंदूकें क्यों उठा लीं और क्यों ये हत्यारे बन गए?

उन्होंने कहा, मैं कह सकती हूं कि हमारी जांच का केंद्र यही है। हम इन दोनों हत्यारों की जिंदगी के बारे में हर संभव जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। वे कहां पले-बढ़े, कैसे मिले? इन चीजों से हमें दिशानिर्देशन मिलेगा। लिंच ने कहा कि अमेरिका सउदी प्रशासन से भी बात कर रहा है। मैं पूरी जानकारी नहीं दे सकती क्योंकि हम सूचना जुटाने के लिए अपने विदेशी समकक्षों के साथ बात कर रहे हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया होगी। हम उनके जीवन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल ने कहा, हम इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि इन दोनों को ऐसी प्रेरणा कहां से मिली? उन्होंने इस कृत्य को अंजाम क्यों दिया और यह स्थान विशेष क्यों चुना?

भाषा 
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फारूक को गोलीबारी करने से पहले मिले थे 28,500 डॉलर
aajtak.in [Edited by: परवेज़ सागर] | कैलिफोर्निया, 8 दिसम्बर 2015


अमेरिका के कैलिफोर्निया में दो दिसबंर को गोलीबारी की घटना को अंजाम देने वाले सैयद फारूक के बैंक खाते में इस वारदात से दो सप्ताह पहले 28,500 डॉलर जमा किए गए थे. अब जांच अधिकारी इस बात का पता लगाने को कोशिश कर रहे हैं कि ये रकम उसे क्यों और किस लिए मिली थी.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांचकर्ताओं ने खुलासा किया कि सैयद फारूक को यह रकम वेबबैंक डॉट कॉम से मिली थी. फॉक्स न्यूज ने सान बर्नार्डिनो में हुई घातक गोलीबारी पर अपनी विशेष रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है.


उस रिपोर्ट के मुताबिक जांचकर्ता इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्या फारूक ने लोन के रूप में यह रकम ली थी. सैयद फारूक के माता पिता अमेरिका से पाकिस्तान आकर बस गए थे. फारूक एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य निरीक्षक के तौर पर प्रतिवर्ष 53,000 डॉलर कमाता था.

एफबीआई अधिकारियों ने संवाददाताओं को बताया कि आतंकवादी दंपति पिछले कुछ समय से चरमपंथ से प्रभावित हो रहे थे. एफबीआई के लॉस एंजिलिस फील्ड ऑफिस में प्रभारी सहायक निदेशक डेविड बॉउडिक ने बताया कि वे दोनों कुछ समय से चरमपंथ से प्रभावित होकर काम कर रहे थे.


सैयद फारूक और पाकिस्तान से आई उसकी पत्नी ताशफीन मलिक ने बीते बुधवार को सान बर्नार्डिनो में गोलीबारी की वारदात को अंजाम दिया था. जिसमें 14 लोग मारे गए थे जबकि कई लोग जख्मी हो गए थे. इस वारदात को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आतंकवादी कृत्य करार दिया था.


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कैलिफोर्निया में हमला करने वाली 

तशफीन ने मुल्तान में ली थी जेहाद की ट्रेनिंग!

December 07, 2015 आईबीएन-7


नई दिल्ली। पाकिस्तानी मूल की तशफीन मलिक और उसके पति रिजवान फारूक ने 5 दिन पहले अमेरिका के कैलिफोर्निया में अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 14 लोगों की जान ले ली। थर्रा देने वाली इस आतंकी वारदात के साथ पाकिस्तान का नाम जुड़ते ही अमेरिका समेत दुनिया भर की जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए और जब जांच एजेंसियों और खोजी पत्रकारों ने तफशीन के टेरर कनेक्शन की पड़ताल की तो सामने आया पाकिस्तान की जेहाद फैक्टरी नाम। जेहाद फैक्टरी यानी पाकिस्तान के वो तमाम मदरसे, जहां नौजवानों को धर्म की आड़ में जेहाद का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक तफशीन और उसके पति रिजवान के इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज से गहरे ताल्लुकात थे। मौलाना अब्दुल अजीज अपने कट्टरपंथी विचारों के पूरे पाकिस्तान में कुख्यात है। जांच अधिकारियों को तफशरीन और मौलाना अब्दुल अजीज की एक साथ खींची गई तस्वीर भी मिली है।

इस्लामाबाद की मस्जिद के साथ-साथ तफशीन ने जेहाद का सबसे बड़ा पाठ मुल्तान में हासिल किया। तफशीन ने मुल्तान की बहाउद्दीन जकारिया यूनिवर्सिटी से फार्मेसी की पढ़ाई की थी। जैसे-जैसे तफशीन और रिजवान के पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आ रहे हैं पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
आरोप लग रहे हैं कि तफशीन के दिमाग में जेहाद का जुनून पाकिस्तान में ही ठूंसा गया। मुल्तान में पढ़ाई के दौरान वो कई कट्टरपंथियों की संगत में रही
आरोप यहां तक लग रहे हैं कि तफशीन ने सोची-समझी साजिश के तहत ही रिजवान फारूक को अपने जाल में फंसाया। फिर रिजवान से शादी करके वो अमेरिका पहुंची और उसने रिजवान का भी ब्रेन वॉश किया। इसके बाद दोनों ने मिलकर कैलिफोर्निया शूटआउट को अंजाम दिया।
इस वारदात में मुल्तान का नाम सामने आने के बाद जब दुनिया भर के पत्रकार वहां पहुंचे तो उन्हें होटल में ही नजरबंद कर लिया गया। मुल्तान पुलिस ने विदेशी पत्रकारों को तफशीन के तमाम लिंक और रिश्तों की जांच-पड़ताल से रोक दिया। यहां तक कि पत्रकारों के होटल से बाहर निकलने तक पर रोक लगा दी गई।
मुल्तान में नजरबंद किए गए वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार टिम क्रेग ने ट्वीट किया। पाकिस्तानी अफसर पत्रकारों को होटल से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। मुझे भी मुल्तान के होटल से बाहर जाने से रोक दिया गया है। पाकिस्तान अफसरों का कहना है कि मैं विदेशी पत्रकार हूं और मुझे तुरंत इस्लामाबाद लौट जाना चाहिए।
एक तरफ तो पाकिस्तानी अफसर इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं कि मुल्तान में ही तफशीन को जेहादी पाठ पढ़ाया गया और दूसरी ओर विदेशी पत्रकारों को यहां उनकी जान का खतरा बताते हुए डरा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि विदेशी पत्रकारों को मुल्तान में रिपोर्टिंग करने से रोकने वाले अफसर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं। पत्रकारों को डराने के लिए उन्हें मुल्तान में जारी शिया-सुन्नी विवाद की भी दुहाई दे रहे हैं।
बता दें कि मुल्तान को सुन्नी चरमपंथियों का गढ़ माना जाता है। तफशीन से जुड़ी सच्चाई को छिपाने के लिए आईएसआई के अफसर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। यहां तक कि वो विदेशी पत्रकारों के साथ मार-पीट से भी बाज नहीं आ रहे। वो पत्रकारों को धमकाने के लिए अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की कहानी सुना रहे हैं। पर्ल की 2002 में मुल्तान इलाके में ही आतंकियों ने अपहरण के बाद हत्या कर दी थी।
सूत्रों के मुताबिक तफशीन का मुल्तान कनेक्शन सामने आते ही आईएसआई के अफसर उससे जुड़े सबूत मिटाने में जुट गए हैं। शनिवार को कुछ अफसरों ने बहाउद्दीन यूनिवर्सिटी का दौरा किया और तफशीन से जुड़े सबूत मिटाए।  साथ ही यूनिवर्सिटी के टीचरों को रिपोर्टरों से बात करने से मना किया गया है।
दरअसल, मुल्तान को जेहाद फैक्टरी का नया गढ़ माना जा रहा है। अफगानिस्तान सीमा से सटे होने के चलते आईएसआई यहां चरमपंथी गुटों को जमकर हवा दे रहा है। आमतौर पर भारत के खिलाफ हमले के लिए भी आतंकवादी गुटों को यहीं ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन मुल्तान की जेहाद फैक्टरी से निकली तशफीन की करतूत ने मुल्तान को पूरी दुनिया में बदनाम कर दिया है।
कैलिफोर्निया शूटआउट के बाद पूरी दुनिया की मीडिया समेत तमाम खुफिया एजेंसियों की नजर मुल्तान और यहां की जेहाद फैक्टरियों पर टिक गई है और आईएसआई ये नहीं चाहती है। यही वजह है अपनी जेहाद फैक्टरियों को दुनिया की निगाह से दूर रखने के लिए वो विदेशी पत्रकारों को यहां रिपोर्टिंग करने से रोक रही है।
उधर कैलिफोर्निया शूटआउट की जांच में जुटी एजेंसियों को रिजवान फारूक के घर से भारी मात्रा में गोलियां और हथियार मिले हैं। रिजवान के घर से मिली इन असलहों से सब हैरान हैं। कैलिफोर्निया पुलिस के मुताबिक तफशीन और रिजवान के घर से 5 हजार से ज्यादा गोलियां, एक दर्जन पाइप बम और बड़ी मात्रा में विस्फोटक बनाने वाला सामान मिला है।
आपको बता दें कि कैलिफोर्निया के बर्नार्डिनो में तफशीन और रिजवान ने अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस फायरिंग में तफशीन ने 70 से ज्यादा गोलियां दागी थीं। इस हमले में 21 लोग जख्मी हुए थे।

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