आजाद हिंद फौज का फंड पाक के साथ बांटने पर राजी थे नेहरू



नेताजी की फाइलों से खुलासा : 1953 में आजाद हिंद फौज का फंड 

PAK के साथ बांटने पर राजी हुई थी नेहरू सरकार

dainikbhaskar.com | Aug 31, 2016,
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नई दिल्ली. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की डिक्लासिफाइड फाइल्स से खुलासा हुआ है कि भारत ने 1953 में इंडियन नेशनल आर्मी (INA) और इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (IIL) का फंड पाकिस्तान के साथ शेयर करने पर सहमति जताई थी। जवाहर लाल नेहरू ने वेस्ट बंगाल के तब के सीएम को लेटर लिखा था, "बातचीत में सहमति बनी है कि फंड को भारत-पाक के बीच 2:1 के रेशो में बांट दिया जाए।" सोमवार को नेताजी से जुड़ी 25 फाइल्स को डिक्लासिफाई किया गया था। नेहरू के लेटर से ही पता चली थी पाक को फंड देने की बात...

- नेताजी के संगठनों (INA और IIL) के फंड्स को पाक को दिए जाने का पता नेहरू के लेटर से चला है।
- नेहरू ने ये लेटर 18 अक्टूबर, 1953 को वेस्ट बंगाल के तब के सीएम बीसी रॉय को लिखा था। इसमें नेहरू ने बंगाल सरकार की ओर से पास किए एक रेजोल्यूशन का जवाब दिया था।
- रेजोल्यूशन के मुताबिक, 'बंगाल सरकार ने नेताजी और उनकी आजाद हिंद सरकार के छोड़े गए फंड्स के बारे में केंद्र सरकार से जांच करने के लिए कहा था।'
नेहरू ने अपने नोट में क्या लिखा था?
- नोट के मुताबिक, "सुदूर पूर्व में अंतिम वॉर खत्म होने के बाद गोल्ड, ज्वेलरी और कुछ अन्य चीजें अफसरों ने सीज की थीं। ये चीजें साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज में INA और IIL से जुड़ी थीं।"
- "सिंगापुर इसका कस्टोडियन ऑफ प्रॉपर्टी (संपत्ति का संरक्षक) था। 1950 में सिंगापुर सरकार ने इस संपत्ति की वैल्यू आंकी। संपत्ति की कीमत 1 लाख 47 हजार 163 स्ट्रेट डॉलर पाई गई।" स्ट्रेट डॉलर ब्रिटेन के मलक्का स्ट्रेट पर किए सेटलमेंट के लिहाज से करंसी थी।
- नोट में ये भी कहा गया, "रिवैल्यूलेशन के मुताबिक संपत्ति की कीमत का सही आकलन करना मुश्किल है।"
- "पाकिस्तान के साथ लंबी बातचीत चली। अंत में सहमति बनी कि संपत्ति को भारत-पाकिस्तान के बीच 2:1 के रेशो में बांट दिया जाए।"
- हालांकि, फंड रिलीज किए जाने का मामला संपत्ति के बतौर कस्टोडियन माने जाने वाले सिंगापुर की लेजिस्लेटिव काउंसिल में पेश किया गया। इसके मुताबिक, रकम को किसी भी शख्स या बॉडी को देने का राइट नहीं था।
कल्चर मिनिस्ट्री ने डिक्लासिफाई कीं फाइल्स
- 30 अगस्त को कल्चर सेक्रेटरी एनके सिन्हा ने 25 फाइलों के 7th बैच को जारी किया। ये फाइलें 1951 से 2006 के बीच की हैं।
- नरेंद्र मोदी ने इसी साल 23 जनवरी को नेताजी की 119th जयंती के मौके पर पहली बार 100 फाइल्स को डिक्लासिफाई किया था।
- इसके बाद मार्च में 50 फाइलें जारी की गईं और बाद के महीनों में 25-25 फाइलें जारी हुईं।
क्या है नेताजी का रहस्य?
- 70 साल पहले नेताजी का गायब होना आज भी रहस्य बना हुआ है।
- इसकी जांच के लिए दो कमीशन बनाए गए थे। दोनों ने अपनी रिपोर्ट में ताइपे (ताइवान) में 18 अगस्त, 1945 को एक प्लेन क्रैश में नेताजी के मारे जाने की बात कही थी।
- इसके बाद मामले की जांच के लिए जस्टिस एमके मुखर्जी की अगुआई में तीसरा कमीशन बनाया गया।
- मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'प्लेन क्रैश में नेताजी बच गए थे।'

30 अगस्त को कल्चर सेक्रेटरी ने नेताजी से जुड़ी 25 फाइलें डिक्लासिफाई की।

जवाहर लाल नेहरू ने नेताजी की संपत्ति के सिलसिले में वेस्ट बंगाल के तब के सीएम बीसी रॉय को लेटर लिखकर जानकारियां दी थीं। (फाइल)

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