संघ : पश्चिम बंगाल में बढ़ती जिहादी गतिविधियाँ पर प्रस्ताव





कोयंबटूर (तामिलनाडु) 19 मार्च 17.   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई “अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा” का विधिवत शुभारंभ मा.सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत तथा सरकार्यवाह श्री भय्या जी जोशी ने किया. श्री अमृता विश्व विध्याश्रम, कोयंबटूर (तामिलनाडु) के परिसर मे आयोजित तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा बैठक के दौरान देश व समाज से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा हुई , साथ ही प्रांत अनुसार संघ कार्य का अवलोकन भी किया गया  और आगामी कार्य योजना पर चर्चा हुई .

अनुसांगिक संगठनों से प्रमुख रूप में विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्र सेविका समिति, स्वदेशी जागरण मंच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व विभाग, संस्कार भारती, भारत विकास परिषद, भाजपा के प्रमुख पदाधिकारी सहित अन्य संगठन  इस बैठक मे भाग लिया। 
 

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा-2017- में  

पश्चिम बंगाल में बढ़ती जिहादी गतिविधियाँ  पर प्रस्ताव


अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, पश्चिम बंगाल में जिहादी तत्वों के निरन्तर बढ़ रहे हिंसाचार, राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम वोट-बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्र-विरोधी तत्वों को दिये जा रहे बढ़ावे तथा राज्य में घटती हिन्दू जनसंख्या के प्रति, गहरी चिन्ता व्यक्त करती है। भारत-बांग्लादेश सीमा से मात्र 8 कि.मी. अन्दर स्थित कालियाचक (जिला - मालदा) पुलिस स्टेशन पर राष्ट्रविरोधी जिहादी तत्वों द्वारा आक्रमण कर लूट-पाट करने, आपराधिक रिकार्ड जला देने तथा राज्य में अनेक स्थानों पर सुरक्षा बलों पर हमलों की बढ़ती घटनाएँ , राष्ट्रीय सुरक्षा व कानून व्यवस्था के लिये गंभीर चुनौती बन गई हैं। कट्टरपंथी मौलवियों द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने वाले फतवे खुलेआम जारी किए जा रहे हैं। कटवा, कलिग्राम, ईलामबाजार, मेटियाबुरुज (कोलकाता) सहित अनेक स्थानों पर कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दू समाज पर आक्रमण किये जा रहे हैं। कट्टरपंथियों के दबाव में सीमावर्ती क्षेत्रों से हिन्दू समाज बड़ी संख्या में पलायन को विवश हो रहा है। इन्हीं तत्वों द्वारा जाली मुद्रा तथा गोवंश की तस्करी व घुसपैठ को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्धमान बम विस्फोट की जाँच करते समय एन.आई.ए. द्वारा यह पाया गया कि पूरे राज्य में कई आतंकी समूह (माड्यूल) सक्रिय हैं तथा जिहादी आतंकियों का यह जाल सीमा के दोनों ओर फैला हुआ है।

सुनियोजित तरीके से उपद्रव मचा रहे उन्मादी कट्टरपंथियों को मंत्री पद व अन्य महत्त्वपूर्ण राजनैतिक व शासकीय पद देकर जहाँ प्रोत्साहन दिया जा रहा है, वहीं राज्य सरकार हिन्दू समाज के धार्मिक आयोजनों में बाधाएँ खड़ी कर रही है। पिछले दिनों मोहर्रम के कारण माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन का समय असामान्य रूप से कम कर दिया गया, जिस पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी।
विगत कुछ वर्षों में बमबारी, हिंसा, आगजनी व महिलाओं से दुराचार आदि की अनेक घटनाएँ हुई हैं। हिन्दू समाज पर हो रहे इन अत्याचारों के सर्वाधिक शिकार अनुसूचित जाति के लोग हैं। जुरानपुर, वैष्णवनगर, खड़गपुर व मल्लारपुर में इन वर्गों के 6 लोगों की हत्या हुई तथा गत दुर्गापूजा के दिनों इसी वर्ग की 17 वर्षीय एक छात्रा पर एसिड बल्ब से हमला किया जो उसकी मृत्यु का कारण बना। धूलागढ़ में 13-14 दिसम्बर 2016 को हिन्दू समाज पर सुनियोजित आक्रमण में आगजनी, लूटपाट व महिलाओं से दुर्व्यवहार की वीभत्स घटनाएँ हुईं। राज्य सरकार द्वारा इन कट्टरपंथी तत्वों को नियन्त्रित करने के स्थान पर इन घटनाओं को पूर्णतया छिपाने का प्रयास किया गया। यह चौंकाने वाला तथ्य है कि जब कुछ निष्पक्ष पत्रकारों ने यह सारा अनाचार प्रकाश में लाने का साहस किया तो उन्हीं के विरुद्ध मुकदमे दर्ज कर दिये गए।

राज्य सरकार एक ओर राष्ट्रभक्ति का संस्कार देने वाले विद्यालयों को बन्द करने की धमकी दे रही है, वहीं दूसरी ओर कुख्यात सिमुलिया मदरसा जैसी हजारों संस्थाओं की ओर से आँख मूँदे हुए है, जिनमें कट्टरपंथी व जिहादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कट्टरपंथियों के दबाव में पाठ्यपुस्तकों में मूल बांग्ला शब्दों का विकृतीकरण किया जा रहा है। अनेक स्थानों पर शिक्षण संस्थाओं में परंपरा से चली आ रही सरस्वती पूजा को भी बन्द करने का प्रयास किया जा रहा है। मिलाद-उन-नबी मनाने के नाम पर विद्यालयों का इस्लामीकरण करने आदि के प्रयासों को राज्य सरकार अनदेखा कर रही है। पिछले वर्ष कोलकाता से मात्र 40 कि.मी. दूर 1750 विद्यार्थियों वाले तेहट्ट स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यालय-प्रशासन द्वारा मिलाद-उन-नबी मनाने की अनुमति न दिये जाने पर कट्टरपंथियों ने कब्जा करके वहाँ अपना झण्डा फहराया तथा अध्यापिकाओं को कमरे में बन्द कर दिया। परिणामस्वरूप वह विद्यालय एक माह तक बन्द रहा।

भारत विभाजन के समय बंगाल का हिन्दू बहुल क्षेत्र ही पश्चिम बंगाल के रूप में अस्तित्व में आया था। तदुपरान्त पूर्वी पाकिस्तान या वर्तमान बांग्लादेश में निरन्तर अत्याचार व प्रताड़ना के कारण वहाँ के हिन्दू नागरिक भारी संख्या में पश्चिम बंगाल में शरण लेने को बाध्य हुए। यह आश्चर्यजनक है कि बांग्लादेश से विस्थापित होकर बड़ी संख्या में हिन्दुओं के प.बंगाल में आने के उपरान्त भी राज्य की हिन्दू जनसंख्या जो 1951 में 78.45 प्रतिशत थी, वह 2011 की जनगणना के अनुसार घटकर 70.54 प्रतिशत तक आ गई। यह राष्ट्र की एकता व अखण्डता के लिए गंभीर चेतावनी का विषय है।  

    अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा कट्टरपंथी हिंसा तथा राज्य सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति की कड़े शब्दों में निंदा करती है तथा समस्त देशवासियों से यह आवाहन करती है कि जिहादी हिंसा व राज्य सरकार की सांप्रदायिक राजनीति के विरुद्ध जन जागरण करें। देश के जन संचार माध्यमों से भी यह आग्रह है कि इस भीषण परिस्थिति को देश के सामने प्रस्तुत करें। प्रतिनिधि सभा राज्य सरकार का आवाहन करती है कि वोटों की क्षुद्र राजनीति से ऊपर उठकर वह अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करे। अ.भा.प्र.सभा केन्द्र सरकार से भी यह आग्रह करती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए राज्य के राष्ट्र-विरोधी जिहादी तत्वों के विरुद्ध दृढ़ता से कार्यवाही सुनिश्चित करे।

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