Ayodhya Verdict: राम जन्मभूमि पर SC का फैसला

Ayodhya Verdict:
एक नजर में पढ़ें अयोध्या राम जन्मभूमि -बाबरी मस्जिद विवाद पर आया SC का फैसला
By Ankur Sharma| Updated: Saturday, November 9, 2019,

नई दिल्ली। देश के सबसे बहुचर्चित कोर्ट केस अयोध्या राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद केस में शनिवार को फैसला आ गया है और इसके बाद अब तक विवादित रही जमीन पर रामलला विराजमान ही रहेंगे वहीं दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को अलग से मस्जिद के लिए जमीन देने के निर्देश दिए हैं। आज पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में एतिहासिक फैसला सुनाया है, बता दें कि इस बेंच ने लगातार 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद बीती 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला अतार्किक: SC इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार देते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने जो तीन पक्ष माने थे, उसे दो हिस्सों में मानना होगा। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा जमीन को तीन हिस्सों में बांटना तार्किक नहीं था। इससे साफ हो गया कि मामले में अब रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड दो पक्ष ही रह गए।

SC ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसने देरी से याचिका दायर की थी, गोगोई ने कहा कि कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।

आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है, बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था और इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे।

अपना अधिकार साबित नहीं कर पाए मुस्लिम: सु्प्रीम कोर्ट मुस्लिमों ने इस बात के सबूत पेश नहीं किए कि 1857 से पहले स्थल पर उनका ऐक्सक्लुसिव कब्जा था। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि मस्जिद कब बनी, इससे फर्क नहीं पड़ता। 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति रखी गई। गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि वहां लगातार नमाज पढ़ी जाती रही थी। कोर्ट ने कहा कि 1856 से पहले अंदरूनी हिस्से में हिंदू भी पूजा किया करते थे। रोकने पर बाहर चबूतरे पर पूजा करने लगे खाली जमीन पर नहीं बनी थी मस्जिद: SC सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई से निकले सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला पूरी पारदर्शिता से हुआ है। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के नीचे विशाल रचना थी। एएसआई ने 12वीं सदी का मंदिर बताया था। कोर्ट ने कहा कि वहां से जो कलाकृतियां मिली थीं, वह इस्लामिक नहीं थीं।

5 एकड़ की जमीन कोर्ट ने आगे कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को कहीं और 5 एकड़ की जमीन दी जाए और इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए, इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने का आदेश हुआ है। कोर्ट ने आगे कहा कि हर मजहब के लोगों को संविधान में बराबर का सम्मान दिया गया है।
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अयोध्या पर फैसला: निर्मोही अखाड़े का विवादित जमीन पर दावा खारिज, लेकिन ट्रस्ट में मिलेगा प्रतिनिधित्व
By Anjan Kumar Chaudhary| Updated: Saturday, November 9, 2019,

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि की विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़ा का दावा तो खारिज कर दिया है, लेकिन उसे राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व देने का फैसला सुनाया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल-142 का उपयोग किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का निर्मोही अखाड़ा ने स्वागत किया है।

अयोध्या में रामजन्मभूमि की विवादित जमीन पर एक दावेदार निर्मोही अखाड़ा भी था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दावेदारी ठुकरा दी है। हालांकि अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में उसे भी प्रतिनिधित्व दिया जाय। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने कहा है कि, "150 वर्षों के हमारे संघर्ष को पहचानने के लिए निर्मोही अखाड़ा सुप्रीम कोर्ट का आभारी है और इसने निर्मोही अखाड़ा को केंद्र सरकार की ओर से बनाए जाने वाले श्री राम जन्मस्थान मंदिर के निर्माण एवं प्रबंध के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है।"


गौरतलब है कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस आर्टिकल 142 का इस्तेमाल किया है, उसमें उसे यह अधिकार है कि किसी ऐसे दुर्लभ मामले में जहां कानून से उसे कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाई देता, वह अपने विवेक का उपयोग कर सकता है। आपको बता दें कि रामजन्मभूमि में निर्मोही अखाड़ा भी अपने स्वामित्व का दावा करता रहा है, लेकिन वह शुरू से रामलला के पक्ष में ही रहा है।

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Ayodhya Verdict:
रामलला को मिली विवादित जमीन, जानिए अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें
By Bavita Jha| Updated: Saturday, November 9, 2019

नई दिल्ली। देश की सबसे पुराने विवाद अयोध्या जमीन विवाद में आज देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्याय को दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में सुन्नी बोर्ड को अलग से 5 एकड़ जमीन देने की बात कही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। पांच जजों की बेंच ने अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन पर राम मंदिर का निर्माण केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाकर करेगी। वहीं अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मिलेगी।
आइए जानें इस ऐतिहासिक फैसले की 10 बड़ी बातें....
अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में पैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी जाए। कोर्ट ने कहा कि हिन्दुओं की यह आस्था अविवादित है कि भगवान राम का जन्म स्थल ध्वस्त संरचना है। उन्होंने कहा का सीता रसोई राम चबूतरा, भंडार गृह की उपस्थिति के मिले सबूत इस तथ्य का दावा पेश करते हैं।

केंद्र सरकार बनाएगी ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामलला के जमीन पर केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाकर मंदिर का निर्माण करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर, योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि फैसले आस्था और विश्वास, दावे के आधार पर नहीं दिए जा सकते। कोर्ट ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेज दिखाते हैं हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्मस्थान है।

मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन सुप्रीम कोर्ट ने मुस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन आवंजिट कराने का नि र्देश दिया। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था।

निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में तीसरे पक्ष निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया। निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन को खारिज करते हैं।


खाली जमीन पर नहीं बनी बाबरी मस्जिद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। मस्जिद के नीचे विशाल रचना थी। वह रचना इस्लामिक नहीं थी। वहां जो कलाकृतियां मिली वो भी इस्लामिक नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते।


सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं। कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया। कोर्ट ने कहा कि ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं। कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे बनी संरचना इस्लामिक नहीं थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि मस्जिद के निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था।

हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं। कोर्ट ने कहा कि मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं। अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते। मुख्य नयायाधीश ने कहा कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट धर्मस्थानों को बचाने की बात कहता है. एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है।

ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्ज़िद 1528 की बनी बताई जाती है लेकिन कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता। कोर्ट ने कहा कि ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं। 12वीं सदी से 16वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, साबित नहीं हुआ।


सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में बदला दावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में अपने दावे को बदला। उन्होंने पहले कुछ कहा, बाद मे नीचे मिली रचना को ईदगाह कहा। कोर्ट ने कहा कि साफ है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बना था। कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद के नीचे विशाल रचना थी। कोर्ट ने कहा कि ASI ने वहां 12वीं सदी की मंदिर बताई। विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं। रिपोर्ट में इस संरचना में कसौटी का पत्थर, खंभा आदि की बात कही गई।

एक मत से आया फैसला सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक मत से आया। कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले केस नंबर 1501, शिया बनाम सुन्नी वक्फ बोर्ड केस में एक मत से फैसला आया। इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया।

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