संघ और कांग्रेस



संघ और से कांग्रेस की जंग किसलिए ?
राघवेन्द्र सिंह
नई दिल्ली। जो अखण्ड भारत की मांग, स्वदेशी अपनाने पर बल, अपने पूर्वजों को नमन, भगवा ध्वज को गुरू, भारतवर्ष को भूमि का टुकड़ा न मानते हुये माँ का स्थान देता है और घुसपैठ, आतंकवाद, अलगाववाद एवं जबरन धर्मान्तरण का स्पष्ट विरोध करता है, जो राष्ट्रीय चरित्र जागरण और राष्ट्रीय साहित्य का सृजन कर वितरण भी करता है, एक तरफ मैकाले की मानसिक दासता की मुक्ति की बात और दूसरी तरफ समाज को एक करने के लिये सेवा कार्य भी करता है जो गरीबी, अशिक्षा, छुआ-छूत, बेईमानी समाप्त करने की बात करता है, जिसके मूल में स्पष्ट राष्ट्रवाद है, जिसका मानना है कि शुद्ध सात्विक प्रेम के मर्यादित रूप से अपनी बात कहने से ही किसी समस्या का समाधान हो सकता है वह ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ है।
यह एक ऐसा सांस्कृतिक राष्ट्रवादी संगठन है, जिसकी न तो कहीं सदस्यता होती है और न किसी प्रकार का पंजीकरण। इनके स्वंयसेवको की विधिवत कहीं भी सूची नहीं बनती। जो व्यक्ति एक बार ध्वज प्रणाम कर लेता है, वह उसी का हो जाता है। इसमें धर्म, जाति, उम्र और लिंग का कोई बंधन नहीं। यह एक स्पष्ट पारदर्शी संगठन है सब इसके और यह सबका है। यदि हम गौर करें तो यह तीन वाक्यों से मिलकर बना है जिसमें कहीं भी किसी विशेष धर्म की चर्चा या पहचान नहीं है, जिसका गुरू भी भगवद्वज है। यहां कोई व्यक्ति, महापुरूष या देवी देवता नहीं है। सिद्धान्त भी सभी धर्मों को ध्यान में रखकर बनाये गये हैं। ध्वजपूजन में भी विशेष ध्यान रखा गया है कि किसी पंथ या मजहब को इसमें भाग लेने में असुविधा न हो। गुरू के स्थान पर भी राष्ट्रीयता, ज्ञान, त्याग, पवित्रता और तेज का प्रतीक भगवद्वज ही है। जिसे 1929 की करांची-कांग्रेस झण्डा कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय ध्वज स्वीकारा था।
यह अपने अनेकानेक अनुशांगिक संगठनों के माध्यम से समाज से बुराईयों को दूर का प्रयास करता है और उत्कृष्ट राष्ट्रप्रेम, सद्गुण निर्माण और समाज को एक सूत्र में पिरोने के प्रयास में लगा रहता है। संघ ने देश की आजादी में भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। सन् 1930 की 26 जनवरी वाले दिन एक बड़े कार्यक्रम के तहत सम्पूर्ण शाखाओं पर पूर्ण स्वराज की मांग और 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में संघ की खुलकर हिस्सेदारी और अंग्रेज सरकार की गुप्तचर विभाग की फाइलों में संघ के बारे में विशेष टिप्पणियां उसके राष्ट्रीय स्वरूप को और प्रमाणित और मुखरित करती हैं। कुल मिलाकर यह तो तय है कि संघ एक ईमानदार राष्ट्रवादी संगठन है जो किसी एक धर्म का नहीं है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को पुनः परम वैभव को प्राप्त कराना है।
वर्तमान में कांग्रेस सरकार के नेता, संघ एवं उनके अनुशांगिक संगठनों की तुलना आंतकवादी संगठनों से करते हैं और कर रहे हैं। अभी हाल में संघ के एक प्रचारक इन्द्रेश कुमार को सीधे अजमेर विस्फोट में जबरन शामिल करना एक दूषित मानसिकता को दर्शाता है। जग जाहिर है इन्द्रेश ने हिन्दू मुस्लिम एकता और मुस्लिम समाज को संघ से जोड़ने के लिये एवं उनकी हिचक समाप्त करने के लिये सराहनीय योगदान दिया और वे सफल भी हुए। संघ के पूर्व सर संघ चालक केएस सुदर्शन ने मध्य प्रदेश में कांग्रेज पार्टी की नेता सोनिया गांधी पर अरूचिकर टिप्पणी की। इससे कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में रोष होना स्वभाविक है। यह भी सत्य है कि भारतवर्ष ने सोनिया गांधी को वह स्थान मिला है जो शायद दुनिया के किसी लोकतांत्रिक देश में किसी विदेशी को नहीं प्राप्त हो सकता। सोनिया गांधी की जन्म भूमि इटली में तो कदापि नहीं है। सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेज पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए, वह देश का एक बड़ा राजनैतिक दल भी है और देश में उनकी सरकार भी है।
यदि कांग्रेस को लग रहा है कि सुदर्शन के बयान के लिये उन्हे दण्डित किया जाना चाहिए तो न्यायालय का मार्ग खुला है उन पर कानूनी कार्यवाई की जा सकती है, लेकिन देश के संघ कार्यालयों पर हिंसात्मक गतिविधियों से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अराजकता का जो परिचय दिया वह निंदनीय और अशोभनीय है। उससे अधिक चिंताजनक एवं अनुचित तो यह है सत्ताधारी राजनैतिक दल के महासचिव यह बयान देते हैं, यदि कांग्रेसीजन कुछ प्रतिकूल कार्य करते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसी और पर नहीं बल्कि संघ पर होगी। यह क्या अमर्यादित बात हुई? गुण्डागर्दी, उपद्रव कोई करे जिम्मेदारी किसी और पर? क्या यह बयान हिंसा भडकाने वाला प्रतीत नहीं होता और क्या ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेसी नेता अपने कार्यकर्ताओं को अराजकता के लिये बढ़ावा दे रहे हैं?
केन्द्र पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ऐसा पहली बार नहीं कर रही है। एक लम्बे कालखण्ड से इस प्रकार के कृत्यों का अंजाम देकर हिन्दू और मुसलमानों के मध्य खाई बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल को यह मालूम होना चाहिए कि उसका क्षेत्र और समाज व्यापक है। हमेशा अंग्रेजों की व्यवस्था आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस ने बांटो और राज करो की नीति अपनाई और मुस्लिम समाज को तुष्टिकरण के माध्यम से अपना मतदाता बनाये रखने का प्रयास किया, उन्हें सच्चाई का दर्पण कभी नहीं दिखाया। कांग्रेस को डर था कि मुसलमान कहीं नाराज न हो जाएं नहीं तो एक बड़ा वोट बैंक उसके हाथों से निकल जायेगा। जमाने से मुसलमानों का तुष्टिकरण कर उन्हें प्रसन्न रखने का प्रयास किया जाता रहा है। आज उससे एक कदम आगे बढ़ कर आतंकवादियों के प्रति नरम व्यवहार अपनाकर और देश के विघटनकारी तत्वों को खुली छूट के साथ सम्पूर्ण हिन्दू समाज और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सकारात्मक पहचान बनाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन घोषित करने को कुछ शीर्षस्थ लोग अमादा हैं और इस कृत्य के माध्यम से मुसलमानों को प्रसन्न रखने का प्रयास कर रहे हैं।
देश और सम्पूर्ण भारतीय समाज के असली दुश्मन वे राजनैतिक दल, उनके सरीखे राजनेता और संगठन हैं, जिनकी धर्मनिरपेक्षता की सुई अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और राजनैतिक महात्वाकांक्षाओं के इर्द गिर्द घूमती रहती है। इन सरीखों ने सम्पूर्ण राष्ट्र को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां से हिन्दुस्तान का अस्तित्व ही संकट में नजर आने लगा। संघ जिस तरह केन्द्र सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों के खिलाफ पहली बार पूरे देश की सड़कों पर उतरा, यह कोई सामान्य घटना नहीं हैं। केन्द्र सरकार ने पहले हिन्दू आतंकवाद फिर उसका भगवाकरण कर संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार को उसमें घेरने का पूरा प्रयास किया, इससे स्पष्ट पता चलता है कि योजनाबद्ध ढ़ंग से संघ को घेरने की साजिश चल रही है।
पूरे देश की जिज्ञासा है इन्द्रेश कुमार का नाम बिना किसी साक्ष्य के किस आधार पर अजमेर बम धमाके में शामिल किया गया क्योंकि आज तक राजस्थान पुलिस यह कहने की स्थिति में क्यों नहीं है कि उनका नाम अरोप पत्र में किस आधार पर शामिल किया गया। अधकचरे आरोप पत्र के आधार पर एक ईमानदार राष्ट्रनिष्ठ व्यक्ति और संगठन को कटघरे में खड़ा करना कहां तक न्यायोचित है? संघ की नीति-रीति-सिद्धांत स्पष्ट और पारदर्शी हैं, जो किसी भी रूप में आराजकता और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की तरफ आकर्षित नहीं होते। प्रथम तो संघ का कोई व्यक्ति राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकता। दूसरा यदि कोई भविष्य में होता भी है तो वह उसका व्यक्तिगत विषय है न तो संगठन का उससे सरोकार है और न ही वह उसके बचाव में आने वाला है।
कांग्रेस की केएस सुदर्शन के बयान पर जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया, इन्द्रेश कुमार को बेवजह अजमेर विस्फोट में शामिल करना, भगवा आतंकवाद का भूत पैदा करना और संघ की तुलना सिमी से करना कांग्रेस पार्टी की मुसलमानों को रिझाने की स्पष्ट योजना है। देश में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसाइटी और राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला सरीखे घोटालों की झड़ी लगी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश के विघटनकारी तत्व दिल्ली में आकर सभाएं करते हैं। भारत की सीमाओं पर और अन्दर के हालात तनावपूर्ण हैं। घोटालों सहित विभिन्न आयामों में घिरी और पूरी तरह असफल केन्द्र की सरकार को अपने बचाव का कोई रास्ता सूझ नहीं रहा है। विफलाताओं से देशवासियों का ध्यान हटाने के लिये मनमोहन सरकार हिन्दू विरोधी गतिविधियों को आतंकवाद से जोड़ रही है। यह एक गंभीर और विचारणीय मामला है।

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