आरती श्री रामायणजी की


http://www.siddh-ashram.com/Ramkadarbar.jpg


आरती श्री रामायणजी की .
कीरति कलित ललित सिय पी की ..

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद .
बालमीक बिग्यान बिसारद ..
सुक सनकादि सेष और सारद .
बरन पवन्सुत कीरति नीकी ..

गावत बेद पुरान अष्टदस .
छओं सास्त्र सब ग्रंथन को रस ..
मुनि जन धन संतन को सरबस .
सार अंस सम्म्मत सब ही की ..

गावत संतत संभु भवानी .
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ..
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी .
कागभुसुंडि गरुड के ही की ..

कलि मल हरनि बिषय रस फीकी .
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ..
दलन रोग भव भूरि अमी की .
तात मात सब बिधि तुलसी की ..


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सनातन अर्थात हमेशा नयापन

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

दीपावली पर्व का समाज व्यवस्था सम्बर्द्धन का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

My Gov दीपावली एवं होली प्रोत्साहन और छुट्टी नियमावली

देवों के देव महादेव भगवान शंकर का श्रृंगार Mahadev, Shankar

खुशियों को बाँटना ही त्यौहार की असली प्रासंगिकता है” — ओम बिरला om birla

भैरोंसिंह शेखावत : शेर - ए - राजस्थान Bhairon Singh Shekhawat : Sher-e - Rajasthan